रूस और पूर्व सोवियत संघ के कई देशों में एचआईवी के महामारी की तरह फैलने का जोखिम पैदा हो गया है. इन देशों में पिछले साल एचआईवी के रिकॉर्ड मामलों को देखते हुए विशेषज्ञों ने यह बात कही है.
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विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूरोपियन सेंटर फॉर डिसीज प्रिवेंशन एंड कंट्रोल के शोधकर्ताओं का कहना है कि 2017 में एचआईवी संक्रमण के ज्यादातर नए मामले हेट्रोसेक्सुअल यानी महिला और पुरूष के यौन संबंधों से जुड़े हैं. इसका मतलब है कि एचआईवी का खतरा जोखिम वाले समूहों से बाहर भी फैल रहा है.
रूस और उसके आसपास के देशों में एचआईवी संक्रमण के मामले ऐसे समय में बढ़े हैं जब 2012 से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इनमें गिरावट दर्ज की जा रही है. डब्ल्यूएचओ में एचआईवी विशेषज्ञ मसूद दारा का कहना है, यह "सामान्य आबादी में इसके बेहद तेजी से बढ़ने का शुरुआती संकेत हो सकता है."
उन्होंने थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को बताया, "एचआईवी कुछ खास समूहों में शुरू होता है. इनमें नशीली दवाएं लेने वाले लोग, सेक्स वर्कर और आपस में सेक्स करने वाले समलैंगिक पुरूष शामिल हैं." लेकिन वह कहते हैं कि रूस और उसके आसपास के देशों में इसके मामलों में वृद्धि से पता चलता है कि यह आबादी के दूसरे समूहों में तेजी फैल रहा है.
एचआईवी पीड़ितों से भेदभाव किया तो होगी जेल
एचआईवी पॉजिटिव मरीजों के साथ भेदभाव करना अब जुर्म होगा. भारत सरकार ने एचआईवी/एड्स अधिनियम, 2017 की अधिसूचना जारी कर दी है और 10 सितंबर से यह पूरे देश में लागू हो गया है. आइए जानते हैं, क्या है इस एक्ट में.
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क्या है एचआईवी/एड्स अधिनियम?
ह्यूमन इम्यूनोडिफिसिएंसी वायरस एंड एक्वायर्ड इम्यून डिफिसिएंसी सिंड्रोम (प्रिवेंशन एंड कंट्रोल) बिल, 2017 नाम का यह एक्ट एचआईवी पॉजिटिव समुदाय को कानूनी तौर पर मजबूत बनाने के लिए पास किया गया है. एक्ट के तहत इस समुदाय के लोगों को न्याय का अधिकार दिया जाएगा.
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नफरत करने पर होगी सजा
एचआईवी पीड़ित के साथ भेदभाव करना अपराध माना जाएगा. ऐसा करने वालों को तीन महीने से लेकर दो साल तक की जेल और एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. एक्ट में एचआईवी पीड़ित नाबालिग को परिवार के साथ रहने का अधिकार दिया गया है. यह उसे भेदभाव और नफरत से बचाता है.
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किन बातों को माना जाएगा भेदभाव?
बिल में एचआईवी पॉजिटिव समुदाय के खिलाफ भेदभाव को भी परिभाषित किया गया है. इसमें कहा गया है कि मरीजों को रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, प्रॉपर्टी, किराये पर मकान जैसी सुविधाओं को देने से इनकार करना या किसी तरह का अन्याय करना भेदभाव माना जाएगा. इसके साथ ही किसी को नौकरी, शिक्षा या स्वास्थ्य सुविधा देने से पहले एचआईवी टेस्ट करवाना भी भेदभाव होगा.
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एचआईवी पॉजिटिव शख्स पर नहीं डाल सकेंगे दबाव
किसी भी एचआईवी पॉजिटिव शख्स को उसकी मर्जी के बिना एचआईवी टेस्ट या किसी मेडिकल ट्रीटमेंट के लिए मजबूर नहीं किया जा सकेगा. एक एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति तभी अपना स्टेटस उजागर करने पर मजबूर होगा, जब इसके लिए कोर्ट का ऑर्डर लिया जाएगा. हालांकि, लाइसेंस्ड ब्लड बैंक और मेडिकल रिसर्च के उद्देश्यों के लिए सहमति की जरूरत नहीं होगी, जब तक कि उस व्यक्ति के एचआईवी स्टेटस को सार्वजनिक न किया जाए.
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सरकार शुरू करेगी कल्याणकारी योजनाएं
इस एक्ट के तहत मरीज को एंटी-रेट्रोवाइरल थेरेपी का न्यायिक अधिकार मिल जाता है. इसके तहत हर मरीज को एचआईवी प्रिवेंशन, टेस्टिंग, ट्रीटमेंट और काउंसलिंग सर्विसेज का अधिकार मिलेगा. कानून के मुताबिक, राज्य और केंद्र सरकार को यह जिम्मेदारी दी गई है कि मरीजों में इंफेक्शन रोकने और इलाज देने में मदद करे. सरकारों को मरीजों के लिए कल्याणकारी योजनाएं शुरू करने को भी कहा गया है.
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जांच के लिए लोकपाल की नियुक्ति
इस कानून के बाद राज्य सरकारों के लिए लोकपाल को नियुक्त करना अनिवार्य हो जाएगा. लोकपाल को यह सुनिश्चित करना होगा कि कानून के उल्लंघन के बाद आई शिकायतों की जांच की जाए. अगर कोई शख्स या संस्था लोकपाल के आदेशों को तय समय में नहीं मानती है तो उन पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लग सकता है. लगातार आदेश न मानने पर अतिरिक्त पांच हजार रुपये प्रतिदिन जुर्माना लग सकता है.
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2014 में पहली बार पेश किया गया
इस बिल को पिछले साल 12 अप्रैल को लोक सभा से पास किया गया था. राज्य सभा ने भी 22 मार्च, 2017 को इसे मंजूरी दे दी थी. 2014 में इस बिल को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने सदन में पेश किया था.
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क्यों महत्वपूर्ण है यह बिल?
भारत में करीब 21.17 लाख लोग एचआईवी से संक्रमित हैं. 2015 में करीब 86 हजार नए एचआईवी पीड़ितों का पता चला. इसी साल करीब 68 हजार एचआईवी पीड़ितों की मौत हो गई. लगातार बढ़ रहे पीड़ितों की संख्या और भेदभाव की वजह से इस बिल को एचआईवी के खिलाफ लड़ाई के लिए महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है.
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रूस में आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक 2017 के दौरान 1.04 लाख से ज्यादा लोग एचआईवी से संक्रमित हुए, जिसके बाद वहां कुल संक्रमित लोगों की संख्या 12 लाख हो गई है. हालांकि विशेषज्ञ कहते हैं कि असल संख्या और ज्यादा हो सकती है. मॉस्को के क्षेत्रीय एड्स सेंटर में काम करने वाले डॉक्टर निकोलाय लुंचेंकोव कहते हैं, "हमारे पास पर्याप्त दवाएं नहीं हैं, हम हर एक मरीज का इलाज नहीं करते. हम एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी लेने वाले लोगों की संख्या बढ़ा रहे हैं, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है."
ट्रीटमेंट प्रीपेयर्डनेस कोलिशन नाम के एक एनजीओ का कहना है कि पिछले साल रूस में सरकार ने ट्रीटमेंट कोर्सों को 37 फीसदी बढ़ाकर 3.6 लाख किया है. लेकिन रूस में मेथाडोन पर प्रतिबंध है, जो शोधकर्ताओं के मुताबिक इंजेक्शन के जरिए ड्रग्स लेने वाले लोगों में एचआईवी को फैलने से रोकने में मदद करती है. 'मॉस्को टाइम्स' का कहना है कि 2014 में यूक्रेन के हिस्से क्रीमिया को जब से रूस में मिलाया गया है, तब से वहां एचआईवी के मामले बढ़ गए हैं.
एड्स का टीका
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डॉक्टर लुंचेंकोव कहते हैं, "हमारे पास आपस में सेक्स करने वाले पुरूषों के बारे में पर्याप्त डाटा नहीं है, क्योंकि इसे सामाजिक रूप से बहुत बुरा माना जाता है." डॉक्टर लुंचेंकोव खुद एक समलैंगिक पुरूष हैं. आधारिक आंकड़े बताते हैं कि रूस में आपस में सेक्स करने वाले पुरूषों में आईआईवी के मामले 2008 और 2015 के बीच दोगुने से ज्यादा होकर 695 तक पहुंच गए हैं.
विशेषज्ञ कहते हैं कि समलैंगिक और ट्रांसजेंडरों के साथ भेदभाव होने का मतलब है कि वह अपनी बीमारी के बारे में खुल कर बात नहीं करेंगे और ना ही इलाज कराने के बारे में सोचेंगे. यूरोप में एलजीबीटी समूहों के एक नेटवर्क आईएलजीए नेटवर्क ने 2016 में रूस को यूरोप का दूसरा सबसे कम एलजीबीटी फ्रेंडली देश बताया था.
बाकी पूर्व सोवियत संघ में ड्रग्स लेने वालों के बीच एचआईवी संक्रमण के मामलों में 45 फीसदी की गिरावट देखी गई है. पिछले दस साल के दौरान इस तरह के सालाना 6,218 मामले सामने आए हैं. वहीं हेट्रोसेक्सुल सेक्स से एचआईवी संक्रमण के मामले 59 प्रतिशत बढ़ कर लगभग 18 हजार हो गए हैं.
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कार्यकर्ता कहते हैं कि कई देशों में सरकारें भी समलैंगिकों और ट्रांसजेंडरों के खिलाफ भेदभाव को बढ़ावा दे रही हैं. यूरेशियन कोलिशन ऑन मेल हेल्थ संगठन से जुड़े यूरी योरस्की कहते हैं, "जब तक एलजीबीटी लोगों के मानवाधिकारों को स्वीकार नहीं किया जाएगा, तब तक प्रभावी तरीके से एचआईवी की रोकथाम नहीं की जा सकती."