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समाज

रूस में एचआईवी महामारी का खतरा

१ दिसम्बर २०१८

रूस और पूर्व सोवियत संघ के कई देशों में एचआईवी के महामारी की तरह फैलने का जोखिम पैदा हो गया है. इन देशों में पिछले साल एचआईवी के रिकॉर्ड मामलों को देखते हुए विशेषज्ञों ने यह बात कही है.

AIDS in Russland
तस्वीर: DENIS SINYAKOV/AFP/Getty Images

विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूरोपियन सेंटर फॉर डिसीज प्रिवेंशन एंड कंट्रोल के शोधकर्ताओं का कहना है कि 2017 में एचआईवी संक्रमण के ज्यादातर नए मामले हेट्रोसेक्सुअल यानी महिला और पुरूष के यौन संबंधों से जुड़े हैं. इसका मतलब है कि एचआईवी का खतरा जोखिम वाले समूहों से बाहर भी फैल रहा है.

रूस और उसके आसपास के देशों में एचआईवी संक्रमण के मामले ऐसे समय में बढ़े हैं जब 2012 से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इनमें गिरावट दर्ज की जा रही है. डब्ल्यूएचओ में एचआईवी विशेषज्ञ मसूद दारा का कहना है, यह "सामान्य आबादी में इसके बेहद तेजी से बढ़ने का शुरुआती संकेत हो सकता है."

उन्होंने थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को बताया, "एचआईवी कुछ खास समूहों में शुरू होता है. इनमें नशीली दवाएं लेने वाले लोग, सेक्स वर्कर और आपस में सेक्स करने वाले समलैंगिक पुरूष शामिल हैं." लेकिन वह कहते हैं कि रूस और उसके आसपास के देशों में इसके मामलों में वृद्धि से पता चलता है कि यह आबादी के दूसरे समूहों में तेजी फैल रहा है.

रूस में आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक 2017 के दौरान 1.04 लाख से ज्यादा लोग एचआईवी से संक्रमित हुए, जिसके बाद वहां कुल संक्रमित लोगों की संख्या 12 लाख हो गई है. हालांकि विशेषज्ञ कहते हैं कि असल संख्या और ज्यादा हो सकती है. मॉस्को के क्षेत्रीय एड्स सेंटर में काम करने वाले डॉक्टर निकोलाय लुंचेंकोव कहते हैं, "हमारे पास पर्याप्त दवाएं नहीं हैं, हम हर एक मरीज का इलाज नहीं करते. हम एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी लेने वाले लोगों की संख्या बढ़ा रहे हैं, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है."

ट्रीटमेंट प्रीपेयर्डनेस कोलिशन नाम के एक एनजीओ का कहना है कि पिछले साल रूस में सरकार ने ट्रीटमेंट कोर्सों को 37 फीसदी बढ़ाकर 3.6 लाख किया है. लेकिन रूस में मेथाडोन पर प्रतिबंध है, जो शोधकर्ताओं के मुताबिक इंजेक्शन के जरिए ड्रग्स लेने वाले लोगों में एचआईवी को फैलने से रोकने में मदद करती है. 'मॉस्को टाइम्स' का कहना है कि 2014 में यूक्रेन के हिस्से क्रीमिया को जब से रूस में मिलाया गया है, तब से वहां एचआईवी के मामले बढ़ गए हैं.

एड्स का टीका

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डॉक्टर लुंचेंकोव कहते हैं, "हमारे पास आपस में सेक्स करने वाले पुरूषों के बारे में पर्याप्त डाटा नहीं है, क्योंकि इसे सामाजिक रूप से बहुत बुरा माना जाता है." डॉक्टर लुंचेंकोव खुद एक समलैंगिक पुरूष हैं. आधारिक आंकड़े बताते हैं कि रूस में आपस में सेक्स करने वाले पुरूषों में आईआईवी के मामले 2008 और 2015 के बीच दोगुने से ज्यादा होकर 695 तक पहुंच गए हैं. 

विशेषज्ञ कहते हैं कि समलैंगिक और ट्रांसजेंडरों के साथ भेदभाव होने का मतलब है कि वह अपनी बीमारी के बारे में खुल कर बात नहीं करेंगे और ना ही इलाज कराने के बारे में सोचेंगे. यूरोप में एलजीबीटी समूहों के एक नेटवर्क आईएलजीए नेटवर्क ने 2016 में रूस को यूरोप का दूसरा सबसे कम एलजीबीटी फ्रेंडली देश बताया था. 

बाकी पूर्व सोवियत संघ में ड्रग्स लेने वालों के बीच एचआईवी संक्रमण के मामलों में 45 फीसदी की गिरावट देखी गई है. पिछले दस साल के दौरान इस तरह के सालाना 6,218 मामले सामने आए हैं. वहीं हेट्रोसेक्सुल सेक्स से एचआईवी संक्रमण के मामले 59 प्रतिशत बढ़ कर लगभग 18 हजार हो गए हैं.

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कार्यकर्ता कहते हैं कि कई देशों में सरकारें भी समलैंगिकों और ट्रांसजेंडरों के खिलाफ भेदभाव को बढ़ावा दे रही हैं. यूरेशियन कोलिशन ऑन मेल हेल्थ संगठन से जुड़े यूरी योरस्की कहते हैं, "जब तक एलजीबीटी लोगों के मानवाधिकारों को स्वीकार नहीं किया जाएगा, तब तक प्रभावी तरीके से एचआईवी की रोकथाम नहीं की जा सकती."

एके/आरपी (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)

 

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