रूस के यकुतिया इलाके में 40 हजार साल पुराने एक साइबेरियन भेड़िए का सिर मिला है. ये भेड़िया आज के भेड़ियों के मुकाबले दोगुना बड़ा है. कैसे बचा रहा यह सिर, जानिए.
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आर्कटिक के इलाके में जिस समय इस भेड़िए की मौत हुई होगी, तभी से उसका सिर बर्फीली चट्टानों वाले इलाके में जमीन के नीचे दबा था. इसी वजह से इसके फर, कान, दिमाग और दांत पूरी तरह संरक्षित हैं.
भेड़िए के ये अवशेष रूस के आर्कटिक इलाके यकुतिया में तिरेख्याख नदी के किनारे पिछले साल अगस्त में मिले. यह सिर यकुतिया साइंस एकेडमी के शोधकर्ताओं को दिया गया. उन्होंने जापान और स्वीडन में अन्य शोधकर्ता के साथ मिल कर इस पर काम किया ताकि इसकी उम्र को निर्धारण कर सकें.
एकेडमी के वालेली प्लोतनिकोव ने बताया कि यह भेड़िए की एक प्राचीन उप प्रजाति है जो मैमथों के साथ रहती थी और लुप्त हो गई. अपनी परिस्थिति के मद्देनजर यह खोज काफी अनोखी है.
इस भेड़िए का वीडियो यहां देखिए:
ये भेड़िया 40 हजार साल पहले मरा था. लेकिन बर्फीली जमीन में दबा होने के कारण उसके फर, दांत, कान, चीभ और मस्तिष्क लगभग उसी अवस्था में हैं. इससे पहले भेड़ियों की सिर्फ खोपड़ी मिली है जिनके फर या ऊतक नहीं थे.
भेड़ियों की चालाकी के किस्से बहुत पुराने हैं. इंसान इन्हें नापसंद करता है और डरता भी है. खून के प्यासे माने जाने वाले भेड़ियों के बारे में यहां जानिए कुछ दिलचस्प बातें.
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अमर प्रेम?
माना जाता है कि भेड़िए पूरे जीवन एक ही साथी के साथ जोड़ी बनाते हैं. हालांकि कुछ लोगों को इस दावे पर शक भी है. फिर भी वे ज्यादातर अपने साथी के प्रति वफादार रहते हैं इसमें कोई शक नहीं.
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खून के प्यासे?
किस्से कहानियों में भेड़ियों को इंसानों और खासकर बच्चों को अपना शिकार बनाने का जिक्र होता रहा है. जीव संरक्षणकर्मी बताते हैं कि इंसान और भेड़ियों का एक साथ शांतिपूर्ण रहना संभव है.
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चांद पर गुर्राना?
आपने भी सुना होगा कि भेड़िया चांद को देखकर गुर्राता है लेकिन वैज्ञानिक इस दावे को झूठा बताते हैं. उनका कहना है कि वे अपना सिर ऊपर उठा कर इसलिए गुर्राते हैं क्योंकि इससे उनकी आवाज साफ निकलती है.
साथ में शिकार
भेड़िए झुण्ड में रहते हैं और शिकार भी वे झुण्ड में ही करना पसंद करते हैं. साथियों को बुलाने, दुश्मन को डराने या मादा को आकर्षित करने के लिए भी ये गुर्राते हैं.
अकेला ही
कई बार झुण्ड से बिछड़ गए भेड़िए को अकेले रहना पड़ता है, इन्हें लोन वुल्फ कहते हैं. ये कम गुर्राते हैं और शांति से छुपे रहना पसंद करते हैं क्योंकि इन्हें बचाने के लिए कोई झुण्ड मौजूद नहीं होता.
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सफर में जिंदगी
भेड़िए यात्रा खूब करते हैं. कई बार खाने की तलाश में ये हर दिन 30 से 50 किलोमीटर तक चले जाते हैं. आमतौर पर इनका इलाका 150 से लेकर 300 वर्ग किलोमीटर के बीच होता है.
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क्यूट पिल्ले?
औसतन मादा भेड़िए एक बार में 6 या 8 बच्चों को जन्म देती हैं. मादा 63 दिनों तक गर्भवती होती है और नवजातों को कम से कम आठ हफ्तों तक उसके साथ रहना होता है. फिर वे ठोस भोजन करने लगते हैं.
एकजुट रहने मे फायदा
ये छह से दस के झुण्ड में रहते हैं. झुण्ड में पदों की बहुत अहमियत होती है. एक ताकतवर नर और उसकी जोड़ीदार मादा ही बच्चे पैदा कर सकते हैं. बाकी वयस्क उनके पैदा किए बच्चों को पालने में मदद करते हैं.
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यह कटा हुआ सिर जिस भेड़िए का है वो शरीर के आकार के हिसाब से आज के भेड़ियों से लगभग 25 प्रतिशत ज्यादा बड़ा था. हालांकि आधुनिक साइबेरियन भेड़िए अलग अलग आकार के होते हैं. उनका वजन 31 से 60 किलो हो सकता है जबकि कद तीन फीट और लंबाई पूंछ समेत पांच फीट का.
अब बर्फ से निकाले जाने के बाद इस सिर को वैज्ञानिक परीक्षणों के लिए सुरक्षित रखा जाएगा. लेकिन उससे पहले इसका प्लास्टिनेशन होगा. ये ऐसी प्रक्रिया है जिसमें पानी और फैट की जगह प्लास्टिक लगाई जाएगी.
प्लोतनिकोव ने कहा, "ऐसा रासायनिक पदार्थों के जरिए होता है जिससे उसके फर नहीं गिरेंगे और हम (सिर को) बिना फ्रीज किए रख पाएंगे."
माना जाता है कि दुनिया में इस समय लगभग दो लाख भेड़िए हैं. जर्मनी में हाल के सालों में भेड़ियों की संख्या बढ़ी है.
लोग शार्क और बिच्छू से बहुत डरते हैं और उन्हें सबसे खतरनाक जीव-जंतुओं की सूची में रखते हैं. लेकिन अगर उनके शिकार बने लोगों की संख्या देखें, तो पता चलेगा कि उनसे बहुत कम खतरा है. जानिए, कौन हैं विश्व के सबसे खतरनाक जीव.
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11. शार्क और भेड़िये
इन दोनों जानवरों के कारण हर साल दुनिया भर में महज दस लोगों की जान जाती है. इसमें कोई शक नहीं है कि भेड़िये और शार्क की कुछ प्रजातियां आपकी जान भी ले सकती हैं. लेकिन वास्तव में बहुत कम लोग ही इनका शिकार बनते हैं. आपकी जान को इनसे ज्यादा खतरा तो घर पर रखे टोस्टर से हो सकता है.
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10. शेर और हाथी
हर साल मारे गए लोगों की संख्या: लगभग 100. जंगल का राजा शेर आपको अपना शिकार बना ले, यह कल्पना के परे नहीं है. लेकिन अधिक आश्चर्यजनक बात यह है कि एक हाथी द्वारा आपके मारे जाने की भी उतनी ही संभावना है. हाथी, जो कि भूमि पर रहने वाला सबसे बड़ा जानवर है, काफी आक्रामक और खतरनाक हो सकता है.
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9. दरियाई घोड़ा
हर साल मारे गए लोगों की संख्या: लगभग 500. दरियाई घोड़े शाकाहारी होते हैं. लेकिन इसका कतई यह मतलब नहीं कि वे खतरनाक नहीं होते. वे काफी आक्रामक होते हैं और अपने इलाके में किसी को प्रवेश करता देख उसको मारने से पीछे नहीं रहते.
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8. मगरमच्छ
हर साल मारे गए लोगों की संख्या: लगभग 1,000. मगरमच्छ जितने डरावने दिखते हैं, उससे कहीं ज्यादा खतरनाक भी होते हैं. वे मांसाहारी होते हैं और कभी-कभी तो खुद से बड़े जीवों का भी शिकार करते हैं जैसे कि छोटे दरियाई घोड़े और जंगली भैंस. खारे पानी के मगरमच्छ तो शार्क को भी अपना शिकार बना लेते हैं.
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7. टेपवर्म
हर साल मारे गए लोगों की संख्या: लगभग 2,000. टेपवर्म परजीवी होते हैं जो कि व्हेल, चूहे और मनुष्य जैसे रीढ़धारी जीव-जंतुओं की पाचन नलियों में रहते हैं. वे आम तौर पर दूषित भोजन के माध्यम से अंडे या लार्वा के रूप में शरीर में प्रवेश करते हैं. इनके संक्रमण से शार्क की तुलना में 200 गुना ज्यादा मौतें होती हैं.
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6. एस्केरिस राउंडवर्म
हर साल मारे गए लोगों की संख्या: लगभग 2,500. एस्केरिस भी टेपवर्म जैसे ही परजीवी होते हैं और ठीक उन्हीं की तरह हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं. लेकिन ये सिर्फ पाचन इलाकों तक सीमित नहीं रहते. दुनिया भर में लगभग एक अरब लोग एस्कारियासिस से प्रभावित हैं.
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5. घोंघा, असैसिन बग, सीसी मक्खी
हर साल मारे गए लोगों की संख्या: लगभग 10,000. इन मौतों के जिम्मेदार दरअसल ये जीव खुद नहीं होते, बल्कि इनमें पनाह लेने वाले परजीवी हैं. स्किस्टोसोमियासिस दूषित पानी पीने में रहने वाले घोंघे से फैलता है. वहीं चगास रोग और नींद की बीमारी असैसिन बग और सीसी मक्खी जैसे कीड़ों के काटने से.
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4. कुत्ता
हर साल मारे गए लोगों की संख्या: लगभग 25,000. रेबीज एक वायरल संक्रमण है जो कई जानवरों से फैल सकता है. मनुष्यों में यह ज्यादातर कुत्तों के काटने से फैलता है. रेबीज के लक्षण महीनों तक दिखाई नहीं देते लेकिन जब वे दिखाई पड़ते हैं, तो बीमारी लगभग जानलेवा हो चुकी होती है.
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3. सांप
हर साल मारे गए लोगों की संख्या: लगभग 50,000. सांपों की सभी प्रजातियां घातक नहीं होतीं. कुछ सांप तो जहरीले भी नहीं होते. पर फिर भी ऐसे काफी खतरनाक सांप हैं जो इन सरीसृपों को दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा हत्यारा बनाने के लिए काफी हैं. इसलिए सांपों से दूरी बनाए रखें.
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2. इंसान
हर साल मारे गए लोगों की संख्या: लगभग 4,75,000. जी हां, हम भी इस खतरनाक सूची में शामिल हैं. आखिर इंसान एक-दूसरे की जान लेने के कितने ही अविश्वसनीय तरीके ढूंढ लेता है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
1. मच्छर
हर साल मारे गए लोगों की संख्या: लगभग 7,25,000. मच्छरों द्वारा फैलने वाला मलेरिया अकेले सलाना छह लाख लोगों की जान लेता है. डेंगू बुखार, येलो फीवर और इंसेफेलाइटिस जैसी खतरनाक बीमारियां भी मच्छरों से फैलती हैं.