संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी दूत ने रूस-यूक्रेन जहाज हमला विवाद पर सुरक्षा परिषद की बैठक बुलाने की मांग की है. रूस ने माना है कि उसने यूक्रेनी जहाज पर हमला किया है.
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रूस-यूक्रेन तनातनी पर यूएन सुरक्षा परिषद ने सोमवार को एक आपात बैठक बुलाई है. निकी हेली ने इसकी जानकारी ट्विटर पर दी. रूस ने माना है कि उसने क्रीमिया तट के पास यूक्रेनी नौसेना के तीन जहाजों को अपने कब्जे में ले लिया है.
रूस की सीमाओं की प्रहरी केंद्रीय सुरक्षा सेवा (एफएसबी) का कहना है कि उन्हें मजबूरन उन जहाजों पर हमला करना पड़ा, जो रूस के अधिकार वाले जल क्षेत्र में अवैध तरीके से घुस आए थे. उनका कहना है, "इस बात के पुष्ट सबूत हैं कि कीव ने पूरी तैयारी के साथ उकसावे की हरकत की है." एफएसबी ने जल्द ही इन सबूतों को सार्वजनिक करने की भी बात कही. रूस ने माना कि उसके हमले में घायल हुए तीन नाविकों का इलाज किया जा रहा है और उनकी हालत स्थिर है.
रूस ने काला सागर की ओर से आजोव सी में प्रवेश के रास्ते को बंद करवा दिया है. उसका आरोप है कि यूक्रेनी बेड़ा इसी रास्ते से बिना अनुमति उनकी सीमा में प्रवेश कर रहा था, जिसके कारण उन्हें हमला कर उन्हें रोकना पड़ा. इस हमले में यूक्रेनी नौसेना के दो आर्टिलरी बोट और एक टग बोट शामिल थी, जो क्रीमिया और रूसी मुख्यभूमि के बीच के इस संकरे जलमार्ग से गुजरने वाली थी.
यूक्रेन की नौसेना का कहना है कि एक रूसी कोस्ट गार्ड जहाज ने उनकी टगबोट को कुचलने की कोशिश की, जिससे जहाज को काफी क्षति पहुंची. यूक्रेन के आतंरिक मामलों के मंत्री आर्सेन आवाकोव ने ट्विटर पर एक वीडियो शेयर किया है जिसमें टगबोट पर हुए हमला देखा जा सकता है.
यूक्रेन अब भी कह रहा है कि उसने रूस की एफएसबी को अपने जहाजों की गतिविधि के बारे में पहले से जानकारी दी थी. यूक्रेनी राष्ट्रपति पेत्रो पोरोशेंको ने कहा है कि वे मार्शल लॉ लाने का प्रस्ताव संसद में पेश करेंगे. इससे नागरिक गतिविधियों पर रोक लगेगी और सरकारी संस्थानों को कड़े कदम उठाने के लिए ज्यादा शक्तियां मिल जाएंगी.
यूरोपीय संघ और नाटो दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील कर रहा है और रूस से मांग की है कि वह उस संकरे जलमार्ग पर आवाजाही की आजादी दें.
साल 2003 में एक संधि के तहत दोनों के बीच जल सीमा का बंटवारा हुआ था. लेकिन 2014 में क्रीमिया पर कब्जे के बाद से रूस कई जलमार्गों पर अपना कब्जा जमाता आ रहा है. इस ताजा विवाद से दोनों पड़ोसी देशों के बीच तनाव फिर से बढ़ते जाने की आशंका जताई जा रही है.
आरपी/एनआर (डीपीए, रॉयटर्स)
व्लादिमीर पुतिन के अलग अलग चेहरे
फोर्ब्स पत्रिका के अनुसार रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 2016 के सबसे ताकतवर इंसान हैं. उनके बाद दूसरे नंबर पर अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप हैं. आइए, देखते पुतिन की शख्सियत के अलग-अलग पहलू.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
केजीबी से क्रेमलिन तक
पुतिन 1975 में सोवियत संघ की खुफिया एजेंसी केजीबी में शामिल हुए थे. 1980 के दशक में उन्हें जर्मनी के ड्रेसडेन में एजेंट के तौर पर नियुक्त किया गया. यह विदेश में उनकी पहली तैनाती थी. बर्लिन की दीवार गिरने के बाद वह वापस रूस चले गए. बाद में वे येल्त्सिन की सरकार में शामिल हो गए. बोरिस येल्त्सिन ने घोषणा की कि पुतिन उनके उत्तराधिकारी होंगे और उन्हें रूस का प्रधानमंत्री बनाया गया.
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पहली बार राष्ट्रपति
प्रधानमंत्री के तौर पर नियुक्ति के समय पुतिन आम लोगों के लिए एक अनजान चेहरा थे. लेकिन अगस्त 1999 में सब बदल गया जब चेचन्या के कुछ हथियारबंद लोगों ने रूस के दागेस्तान इलाके पर हमला किया. राष्ट्रपति येल्त्सिन ने पुतिन को काम सौंपा कि चेचन्या को वापस केंद्रीय सरकार के नियंत्रण में लाया जाए. नए साल की पूर्व संध्या पर येल्त्सिन ने अचानक इस्तीफे का ऐलान किया और पुतिन को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया.
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दमदार व्यक्तित्व
मीडिया में पुतिन की अकसर ऐसी तस्वीरें छपती रहती हैं जो उन्हें एक दमदार व्यक्तित्व का धनी दिखाती हैं. उनकी यह तस्वीर सोची में एक नुमाइशी हॉकी मैच की है जिसमें पुतिन की टीम 18-6 से जीती. राष्ट्रपति ने आठ गोल किए.
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बोलने पर बंदिशें
रूस में एक विपक्षी रैली में एक व्यक्ति ने मुंह पर पुतिन के नाम की टेप लगा रखी है. 2013 में क्रेमलिन ने घोषणा की कि सरकारी समाचार एजेंसी रियो नोवोस्ती को नए सिरे से व्यवस्थित किया जाएगा. उसका नेतृत्व एक क्रेमलिन समर्थक अधिकारी को सौंपा गया जो अपने पश्चिम विरोधी ख्यालों के लिए मशहूर था. रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर नाम की संस्था प्रेस आजादी के मामले में रूस को 178 देशों में 148वें पायदान पर रखती है.
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पुतिन की छवि
पुतिन को कदम उठाने वाले नेता के तौर पर जाना जाता है. केजीबी का पूर्व सदस्य होना भी इसमें मददगार होता है. इस छवि को बनाए रखने के लिए अकसर कई फोटो भी जारी होते हैं. इन तस्वीरों में कभी उन्हें बिना कमीज घोड़े पर बैठा दिखाया जाता है तो कभी जूडो में अपने प्रतिद्वंद्वी को पकटते हुए. रूस में पुतिन को देश में स्थिरता लाने का श्रेय दिया जाता है जबकि कई लोग उन पर निरंकुश होने का आरोप लगाते हैं.
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सवालों में लोकतंत्र
जब राष्ट्रपति पुतिन की यूनाइटेड रशिया पार्टी ने 2007 के चुनावों में भारी जीत दर्ज की तो आलोचकों ने धांधली के आरोप लगाए. प्रदर्शन हुए, दर्जनों लोगों को हिरासत में लिया गया और पुतिन पर लोकतंत्र को दबाने के आरोप लगे. इस पोस्टर में लिखा है, “आपका शुक्रिया, नहीं.”
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खतरों के खिलाड़ी
काले सागर में एक पनडुब्बी की खिड़की से झांकते हुए पुतिन. क्रीमिया के सेवास्तोपोल में ली गई यह तस्वीर यूक्रेन से अलग कर रूस में मिलाए गए इस हिस्से पर रूसी राष्ट्रपति पुतिन का पूरी तरह नियंत्रण होने का भी प्रतीक है.