यूरोपीय संघ के नेताओं ने रूस को चेतावनी दी है कि अगर राष्ट्रपति पुतिन यूक्रेन से बाहर निकलने का फैसला नहीं करते हैं, तो संघ के देश रूस के साथ लंबे तकरार को तैयार हैं. रूस पर आर्थिक पाबंदियां लगाई गई हैं.
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ब्रसेल्स में यूरोपीय संघ के नेताओं की एक बैठक के बाद यूरोप परिषद के नए अध्यक्ष डोनाल्ड टुस्क ने कहा, "हम बिना प्रतिक्रियावादी और बिना रक्षात्मक हुए आगे बढ़ेंगे. यूरोपीय की तरह हमें अपना आत्मविश्वास पाना है और अपनी ताकत पर भरोसा करना है." उनकी टिप्पणी का पुट रूस को धमकी देने के अंदाज में सामने आया. रूस फिलहाल लगातार गिरती अर्थव्यवस्था और पेट्रोल के गिरते दामों से परेशान है. हालांकि यूरोप का एक धड़ा इससे परेशान भी दिख रहा है लेकिन टुस्क का कहना है कि इस घड़ी में सबका साथ रहना जरूरी है.
उन्होंने कहा, "यह तय बात है कि हम रूस के प्रति एक संयुक्त यूरोपीय रणनीति के बगैर यूक्रेन को लेकर एक दीर्घकालीन योजना नहीं बना सकते हैं. हो सकता है कि आज हम बहुत आशावादी नहीं हैं लेकिन हमें यथार्थवादी होने की जरूरत है, आशावादी होने की नहीं."
यह बैठक ऐसे दिन हुई, जब रूसी राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन ने यूक्रेन और अर्थव्यवस्था के मामले में शब्दबाण छोड़े. इसके बाद 28 देशों के समूह यूरोपीय संघ ने इस बात पर चर्चा की कि वे अपने पूर्वी पड़ोसी के साथ किस तरह लंबे समय की रणनीति बना सकते हैं. उन्होंने शीत युद्ध की वापसी की भी चेतावनी दी.
संघ के कुछ सदस्यों ने सलाह दी कि उन्हें मॉस्को के साथ भिड़ंत को नजरअंदाज करने के लिए यूक्रेन से फोकस हटाना चाहिए. उनका कहना था कि इससे लंबे समय में उद्योग जगत को फायदा पहुंच सकता है, जिसमें रूसी वित्तीय संकट की वजह से गहरा नुकसान हुआ है.
लेकिन जहां तक रूस के प्रति रवैये की बात है, नेताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि उन्हें पहले की ही तरह एकजुट रहने की जरूरत है और रूस को एक तरफ सख्त कार्रवाई की धमकी भी देनी है और दूसरी तरफ बेहतर औद्योगिक रिश्ते का लालच भी देना है. वे इस बात पर राजी हो गए कि यूक्रेन को वित्तीय मदद दी जाती रहेगी, ताकि वह सोवियत काल के बाद के अपने आर्थिक तंत्र को मजबूत कर सके.
रूस का विरोधी समझे जाने वाले पूर्व पोलिश प्रधानमंत्री टुस्क ने कहा, "आज हमारी रणनीतिक समस्या रूस है, यूक्रेन नहीं. आज की सबसे बड़ी चुनौती रूसी रवैया है - सिर्फ यूक्रेन के प्रति नहीं, बल्कि यूरोपीय संघ के प्रति भी."
गुरुवार को कुछ ऐसे प्रतिबंधों को अमली जामा पहना दिया गया, जिन पर पहले ही बात हो चुकी थी. इसके अलावा रूस के खिलाफ किसी नए प्रतिबंध की बात नहीं हुई. उन्होंने इस बात के संकेत भी दिए कि अमेरिका की तरह वे भी इनमें नरमी बरत सकते हैं, बशर्ते पुतिन इस बात का भरोसा दें कि सितंबर में उन्होंने यूक्रेन को लेकर मिंस्क में जो शांति वार्ता की थी, उस पर अमल कर रहे हैं.
ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने कहा, "अगर रूस अपना रुख बदलता है, तो दरवाजे हमेशा खुले हैं. अगर रूस अपनी फौजों को यूक्रेन से हटा लेता है और मिंस्क समझौते की संरचना का पालन करता है, तो ये प्रतिबंध हट जाएंगे." लेकिन जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने कहा, "प्रतिबंध तभी हटेंगे, जब इन्हें लगाने की वजहें बदल जाएंगी."
लक्जमबर्ग के पूर्व प्रधानमंत्री और यूरोपीय कमीशन के अध्यक्ष जाँ क्लोद युंकर ने टुस्क के साथ प्रेस वार्ता में कहा कि बातचीत अभी भी जरूरी है, "हमें संवाद के चैनलों को खुला रखना है. मैं बरसों से श्री पुतिन को जानता हूं और मैं इन चैनलों में तैरते हुए उस संवाद का फायदा उठाना चाहता हूं."
एजेए/एमजे (रॉयटर्स)
राष्ट्रपति भवनों का वैभव
रूस के पास क्रेमलिन, अमेरिका के पास व्हाइट हाउस और फ्रांस में एलिसी पैलेस है. अब तुर्की में भी नया राष्ट्रपति भवन बना है. यह भी बाकी राष्ट्रपति भवनों जैसा ही है यानि विशाल, दिखावे और चमक दमक से भरपूर.
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अवैध इमारत?
तुर्की राष्ट्रपति रैजब तईप एर्दोवान अंकारा में अपने भवन को व्हाइट पैलेस कहते हैं. इस बड़ी इमारत में हजार कमरे हैं. यहां के कमरे साउंड प्रूफ हैं और कमांड सेंटर एटम बम से सुरक्षित है. आलोचक इसे दिखावटी कह रहे हैं और अवैध सरकारी इमारत भी. क्योंकि अदालती आपत्ति के बावजूद इसे बनाया गया.
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पेट्रोल का पैसा
कजाकिस्तान की राजधानी में सरकारी इमारतें लगातार अपना रंग बदलती रहती हैं. इसलिए यहां का राष्ट्रपति भवन अमेरिकी व्हाइट हाउस की चमकीली कॉपी लगता है. नूरसुल्तान नजरबायेव सोवियत काल में भी राष्ट्रपति थे. उनके परिवार की संपत्ति सात अरब डॉलर की बताई जाती है.
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तुर्कमेनिस्तान में राजा की दीवानगी
अश्गाबाग के इस पैलेस में पूरी शानोशौकत के साथ राष्ट्रपति बर्दीमुखामिदोव रहते हैं. वह देश के संस्थापक नियाजोव के निजी डॉक्टर थे. राजा के आलोचकों को पागलखाने भेज दिया जाता था. 2006 में नियाजोव के निधन के बाद उनके दांत के डॉक्टर बर्दीमुखामिदोव राष्ट्रपति बने.
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कीव में शाही इमारत
यह शाही इमारत कीव के पास बेदखल राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच ने बनवाई थी. 2010 में राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने इसे 80 लाख यूरो खर्च कर बनवाया था. उनके भागने के बाद उनकी जमीन पर बनी झील से दस्तावेज निकाले गए और उन्हें काफी मेहनत के बाद इंटरनेट में जारी किया गया.
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सोना ही सोना
पुराने यूक्रेनी राष्ट्रपति का घर कुछ ऐसा दिखता था. भ्रष्टाचार के कारण यानुकोविच फंदे में आए. बताया जाता है कि उन्होंने हजारों यूरो की धांधली की. उनके बेटे विक्टर और अलेक्जांडर भारी आर्थिक मंदी में भी उनके कारण अमीर हो गए.
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दीवानगी
यह भारी भरकम इमारत आज भी रुमेनिया की राजधानी बुखारेस्ट में खड़ी है. पेंटागन के बाद यह दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इमारत है. दो लाख पैंसठ हजार वर्ग मीटर में फैली यह इमारत 84 मीटर ऊंची है और इसमें 3,000 कमरे हैं. 1984 में उत्तर कोरिया यात्रा के दौरान निकोली चाउषेस्कू को इसे बनाने का आयडिया आया. अरबों डॉलर की इस इमारत को खड़ा करने के लिए एक पूरी कॉलोनी ध्वस्त कर दी गई.
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पेरिस का शाही दिखावा
फ्रांसीसी राष्ट्रपति भवन एलिसी पैलेस बहुत ही वैभवशाली है. यहां कई ऐतिहासिक कलाकृतियां और फर्नीचर रखा हुआ है. सीमेंट की दीवारें सिर्फ तहखाने में हैं जहां मोटे लोहे के दरवाजों के पीछे परमाणु हथियारों का कमांडो सेंटर 'फोर्स दे फ्राप' छिपा कर रखा हुआ.
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ईरान का वैभव
पूर्वोत्तर तेहरान में सादाबाद कॉम्प्लेक्स में 18 पैलेस हैं. 1920 के दौरान रेजा शाह पहलावी ने इसका विस्तार किया और इसे निवास और दफ्तर के तौर पर इस्तेमाल किया. ग्रीन पैलेस आखिरी शाह और उनकी पत्नी सोराया के लिए गर्मियों का निवास था.
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दोहा में
इस पैलेस में शेख हमाद बिन खलीफा अल थानी रहते हैं. उन्होंने पश्चिम कतर को पश्चिम के लिए खोला और 1996 में अल जजीरा चैनल की शुरुआत की. इन दिनों यह देश थोड़ा अलग थलग है क्योंकि वह मिस्र में मुस्लिम ब्रदरहुड का समर्थक है और संदेह है कि देश आतंकी गुटों को आर्थिक मदद देता है.
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आकरा में
यह शाही पैलेस घाना का राष्ट्रपति भवन है. अफ्रीका का ऐसा देश जहां स्थिरता और संपन्नता है. कोको और सोने के निर्यात से यहां काफी पैसा है. हालांकि घाना की दो करोड़ तीस लाख जनसंख्या का आधा हिस्सा गरीबी में रह रहा है. इसका मुख्य कारण पुरानी सरकार का भ्रष्टाचार है.
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सुंदर कला
दुनिया के अधिकतर राष्ट्रपति भवनों में बेहतरीन कला के नमूने रखे हए हैं. मेक्सिको सिटी के राष्ट्रपति भवन में एक बड़ी पेटिंग को निहारते हुए जर्मनी के विदेश मंत्री फ्रांक वाल्टर श्टाइनमायर.
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बर्लिन में
जर्मनी की राजधानी बर्लिन में श्लॉस बेलव्यू राष्ट्रपति भवन है. श्प्रे नदी के किनारे यह इमारत 1786 में फर्डिनांड फॉन प्रॉयसन का निजी निवास थी. यहां के बागीचे के समर फेस्टिवल लोगों में काफी लोकप्रिय हैं.