माइकल फ्लिन ने अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार पद से इस्तीफा दिया. उन पर उप राष्ट्रपति और व्हाइट हाउस के शीर्ष अधिकारियों को अंधेरे में रखकर रूस के राजदूत से बात करने के आरोप लगे.
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माइकल फ्लिन को अमेरिका का राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बने हुए एक महीना भी नहीं हुआ था कि इस्तीफा देने की नौबत आ गई. फ्लिन ने स्वीकार किया कि उन्होंने बीते साल दिसंबर में रूसी राजदूत से हुई टेलीफोन बातचीत के बारे में उप राष्ट्रपति माइक पेंस और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को "अधूरी जानकारी" दी. बातचीत के दौरान ओबामा द्वारा रूस पर लगाए गए अमेरिकी प्रतिबंधों के बारे में हुई थी. लेकिन फ्लिन ने इसकी जानकारी किसी को नहीं दी. काफी वक्त तक वह अमेरिका में तैनात रूसी राजदूत सेर्गेई किसिलियाक के साथ ठोस बातचीत करने से इनकार करते रहे.
लेकिन सच्चाई सामने आ गई. 29 दिसंबर को तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा ने रूस पर अमेरिकी चुनावों में दखल देने का आरोप लगाया. उस दिन भी फ्लिन ने सेर्गेई किसिलियाक से टेलीफोन पर बात की. अमेरिका के न्याय मंत्रालय ने राष्ट्रपति कार्यालय को चेतावनी देते हुए कहा कि फ्लिन गलत जानकारी दे रहे हैं. हो सकता है कि फ्लिन मॉस्को की कठपुतली बन जाएं. बढ़ते दबाव के बीच सोमवार को फ्लिन ने इस्तीफा दे दिया. अपने इस्तीफे में फ्लिन ने माना कि उन्होंने अमेरिका में सत्ता परिवर्तन के दौरान विदेशी अधिकारियों को कई फोन किये.
व्हाइट हाउस ने इस्तीफे की प्रति पत्रकारों को भी दी. फ्लिन ने लिखा, "दुर्भाग्य से, घटनाक्रम इतनी तेजी से बदल रहा था कि मैंने नव निर्वाचित उप राष्ट्रपति और अन्य लोगों को अनजाने में रूसी राजदूत के साथ फोन पर हुई बातचीत की अधूरी जानकारी दी. मैंने राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति से माफी भी मांगी और उन्होंने मेरी माफी स्वीकार की."
फ्लिन पहले भी विवादों में आते रहे हैं. अमेरिकी डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी के पूर्व प्रमुख फ्लिन पर रूस से नजदीकी के आरोप लगते रहे हैं. 2014 में इन्हीं आरोपों के चलते ओबामा प्रशासन ने उन्हें डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी के प्रमुख पद से हटाया था. इसके बाद वह डिफेंस कॉन्ट्रैक्टरों के साथ काम करने लगे. इस दौरान उन्होंने एक इंटेलिजेंस कंसल्टिंग फर्म भी बनाई. 2015 में अमेरिका और पश्चिम के तनाव के बीच वह मॉस्को में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बगल में बैठे नजर आए. धीरे धीरे यह आरोप मजबूत होते गए कि फ्लिन के रूसी राष्ट्रपति कार्यालय क्रेमलिन के साथ घनिष्ठ संबंध हैं.
फ्लिन के इस्तीफे के बाद व्हाइट हाउस ने अमेरिका के कार्यवाहक सुरक्षा सलाहकार के नाम का एलान किया. वियतनाम युद्ध में सक्रिय भूमिका निभाने वाले रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल जोसेफ केलोग जूनियर देश के कार्यवाहक राष्ट्रीय सुलाहकार होंगे.
(ट्रंप के इन कदमों से मची है खलखली)
ट्रंप के इन कदमों से मची है खलखली
डॉनल्ड ट्रंप को अमेरिका का राष्ट्रपति बने अभी कुछ ही दिन हुए हैं, लेकिन उन्होंने अपने कई कदमों से दुनिया में खलबली मचा दी है. देखिए अब तक ट्रंप ने बतौर राष्ट्रपति क्या क्या किया है.
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वादों पर अमल
ट्रंप ने राष्ट्रपति के रूप में दो हफ्ते से भी कम समय के भीतर 17 अध्यादेश जारी किए हैं. वैसे इतने ही अध्यादेश ओबामा ने भी जारी किए थे. लेकिन जिस तरह के अध्यादेश ट्रंप ने जारी किए हैं, उनसे सब हैरान हैं. लगता है वह अपने चुनावी वादों को पूरा करने में जुटे हैं.
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है क्या अध्यादेश
अध्यादेश के जरिए राष्ट्रपति अमेरिकी एजेंसियों को आदेश दे सकते हैं और इसके लिए अमेरिकी संसद की अनुमति लेने की जरूरत नहीं पड़ती. किसी आदेश को तेजी से लागू कराने के लिए अध्यादेश का सहारा लिया जाता है.
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ओबामा केयर को कमजोर करना
अपने पहले अध्यादेश ने ट्रंप ने किफायती स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने वाले ओबामा कार्यकाल के कानून पर निशाना साधा है. हालांकि ट्रंप के लिए अकेले दम पर इस कानून को खत्म करना संभव नहीं है, लेकिन उनके अध्यादेश से इसे लागू करने में कई दिक्कतें आएंगी.
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गर्भपात
ट्रंप ने उस नीति को फिर से लागू कर दिया है जो गर्भपात के लिए काउंसलिंग और गर्भपात के अधिकारों के लिए काम करने वाले गैर सरकारी संगठनों की सरकारी फंडिंग पर रोक लगाती है. पहली बार इसे रिपब्लिकन राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने लागू किया था. लेकिन बिल क्लिंटन और ओबामा जैसे डेमोक्रैट राष्ट्रपतियों ने इसे किनारे रख दिया तो रिपब्लिकन जॉर्ज बुश ने इसे लागू किया था.
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बिना दस्तावेज वाले प्रवासियों की वापसी
ट्रंप ने प्रत्यर्पण के दायरे को बढ़ाने का आदेश दिया है. वह चाहते हैं कि बिना दस्तावेज के अपने यहां लोगों को रखने वाले शहर से पैसा वसूला जाए और संदिग्ध अपराधी अप्रवासियों को हिरासत में लिया जाए. ट्रंप 10 हजार नए इमिग्रेशन एजेंट भर्ती करना चाहते हैं.
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दीवार
25 जनवरी को ट्रंप ने मेक्सिको से लगने वाली अमेरिका की सीमा पर दीवार बनाने वाले अध्यादेश पर हस्ताक्षर किए. इस दीवार को बनाने की बात चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने बार बार कही थी. ट्रंप ने अमेरिका में बिना दस्तावेजों के रह रहे अप्रवासियों को “हटाये जाने योग्य विदेशी” कहा है.
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वीजा बैन
ट्रंप के जिस अध्यादेश को लेकर शायद दुनिया में सबसे ज्यादा आलोचना हो रही है, वह है सात मुस्लिम बहुल देशों के लोगों के अमेरिका में प्रवेश पर अस्थायी रोक. उनके आलोचक जहां इसे धर्म के आधार पर भेदभाव का नाम दे रहे हैं, वहीं ट्रंप इसे देश को हमलों से सुरक्षित बनाने के लिए जरूरी बता रहे हैं.
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अमेरिका टीपीपी से बाहर
जब ट्रंप ट्रांस-पैसेफिक पार्टनरशिप से बाहर हुए किसी को ज्यादा हैरानी नहीं हुई. अपने चुनावी अभियान में भी उन्होंने यह कहकर इस संधि की आलोचना की थी कि अमेरिका की कीमत पर अन्य देशों को इसका फायदा हो रहा है.
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पाइपलाइन
राष्ट्रपति कार्यालय में ट्रंप का चौथा दिन पाइपलाइनों से जुड़ा था. इनमें डकोटा एक्सेस पाइपलाइन का निर्माण, कीस्टोन पाइपलाइन का निर्माण जारी रखना और सभी पाइपलाइनों के निर्माण में अमेरिकी सामान का इस्तेमाल करना शामिल था. ओबामा ने पर्यावरण से जुड़ी चिंताओं को देखते हुए दोनों पाइपलाइनों को मंजूरी नहीं दी थी.
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सेना का विस्तार लेकिन...
ट्रप ने सेना में नए सैनिकों की भर्ती, नए सैन्य साजोसामान की खरीद और परमाणु हथियारों को आधुनिक बनाने का आदेश दिया है. लेकिन अन्य संघीय सिविल एजेंसियों में भर्ती पर उन्होंने 90 दिन की रोक लगा दी है, ताकि प्रशासन कर्मचारियों की संख्या को कम करने की दीर्घकालीन योजना तैयार कर सके.
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बड़ा बदलाव
ट्रंप ने राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में बड़े बदलावों का एलान किया है जिससे स्टीफन बैनन का कद बढ़ेगा. विदेश नीति से जुड़े अहम फैसले करने वाली इस परिषद से ट्रंप ने कई वरिष्ठ सदस्यों की छुट्टी कर दी है जबकि दक्षिणपंथी विचारों के लिए मशहूर ट्रंप के मुख्य रणनीतिकार को इसमें शामिल किया गया है.
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नियमों पर निशाना
ट्रंप चाहते हैं कि संघीय एजेंसियां जब भी कोई नया नियम बनाएं तो पुराने दो कानून खत्म कर दें. उन्होंने नए नियम बनाने पर फिलहाल रोक लगा दी है. ट्रंप की तरफ से नियुक्त विभाग पहले स्थिति की समीक्षा करेगा और फिर इस बारे में आगे कदम बढाया जाएगा.
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एच1बी वीजा
ट्रंप ने एच1बी वीजा से जुड़े नियमों में भी बदलाव का आदेश दिया है. इससे अमेरिका में काम कर रहे भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स प्रभावित होंगे. पहले 60 हजार डॉलर प्रति वर्ष के वेतन पर एच1बी वीजा मिल जाता है, लेकिन अब इसके लिए एक लाख तीस हजार डॉलर की शर्त रखी जा रही है.
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किसके कितने अध्यादेश
ट्रंप से पहले बराक ओबामा आठ साल तक अमेरिकी राष्ट्रपति रहे और इस दौरान उन्होंने कुल 277 अध्यादेशों पर हस्ताक्षर किये. इस मामले में ओबामा जॉर्ज बुश से पीछे रहे जिन्होंने बतौर राष्ट्रपति अपने आठ साल में 291 अध्यादेश निकाले थे.