यूक्रेन में चेर्नोबिल परमाणु हादसे की 30वीं वर्षगांठ पर मृतकों और पीड़ितों की याद में स्मारक सभाएं हुईं. दाता देशों ने परमाणु दुर्घटना की जगह को आने वाली पीड़ियों के लिए सुरक्षित रखने के लिए अतिरिक्त सहायता का वचन दिया.
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26 अप्रील 1986 को उस समय के सोवियत यूक्रेन में रिएक्टर नंबर चार में सिस्टम टेस्ट के दौरान हुई गड़बड़ी के कारण परमाणु रिएक्टर में दुर्घटना हो गई. उसके बाद हुए कई धमाकों के बाद रेडियोधर्मी विकिरण बाहर निकल आया और हजारों लोगों को उनके घरों से हटाना पड़ा. दुर्घटनाग्रस्त रिएक्टर की सफाई करने और उसे कंक्रीट के खोल से ढकने के काम में करीब 600,000 सोवियत कामगारों को लगाया गया था. उनमें से बहुत से विकिरण के शिकार हो गए. हादसे में कितने लोगों की जान गई इस पर अभी भी विवाद है.
चेर्नोबिल को सुरक्षित रखने में यूक्रेन की मदद के लिए दाता देशों ने 8.75 करोड़ यूरो की मदद का आश्वासन दिया है. इससे परमाणु कचरे का स्टोर बनाया जाएगा. यूक्रेन को भूमिगत स्टोर बनाने के लिए अभी और डेढ़ करोड़ यूरो का इंतजाम करना होगा ताकि वह इस साल के अंत तक धातु के डब्बों में खतरनाक परमाणु कचरे को सुरक्षित ढंग से रख सके. यूरोपीय पुनर्निमाण और विकास बैंक ईबीआरडी की प्रमुख सूमा चक्रवर्ती का कहना है कि यह यूक्रेन के साथ साथ दुनिया के लिए भी एक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट है.
आज भी बना हुआ है खतरा
चेर्नोबिल के परमाणु बिजलीघर के चार रिएक्टरों में से एक में 26 अप्रील 1986 को हुए हादसे के बावजूद बाकी तीन रिएक्टरों में अगले 16 साल तक बिजली बनना और परमाणु कचरा पैदा होना जारी रहा. दुर्घटनाग्रस्त रिएक्टर नंबर चार में अभी भी 200 टन यूरेनियम रखा है जिसकी वजह से यह आशंका है कि पुराने पड़ते कंक्रीट के खोल के टूटने से और रेडियोधर्मी विकिरण बाहर निकल सकती है. दुर्घटनाग्रस्त रिएक्टर को ढकने के लिए 2010 से स्टील का एक 25,000 टन भारी सुरक्षा खोल बनाया जा रहा है जो अगले साल तक बनकर तैयार हो जाएगा और दुर्घटना की जगह को ढक देगा. स्टील के इस खोल को बनाने पर 2.1 अरब यूरो का खर्च आया है. इस पैसे का तो इंतजाम हो गया है लेकिन यह साफ नहीं है कि इसके रखरखाव का खर्च कौन उठाएगा.
चेर्नोबिल परमाणु हादसे के 30 साल
सोवियत संघ के चेर्नोबिल में तीस साल पहले भयानक परमाणु दुर्घटना हुई थी. कई दिनों तक मामले को दबा दिया गया था. अब चेर्नोबिल यूक्रेन का हिस्सा है लेकिन हादसे के पीड़ित अभी भी मान्यता के लिए लड़ रहे हैं.
तस्वीर: DW/F. Warwick
मृतकों की याद
यूक्रेन के चेर्नोबिल में परमाणु बिजलीघर में हुई दुर्घटना के तीन महीने के अंदर रेडियोधर्मी विकिरण से हुई बीमारियों से 31 लोग मर गए. बहुत से लोग इसलिए मारे गए कि राहतकर्मियों को विकिरण के खतरों का पता ही नहीं था.
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जीने का सौभाग्य
सेर्गेई नोविकोव उन सौभाग्यसाली लोगों में शामिल थे जो बच गए. 1986 में वे चेर्नोबिल के परमाणु रिएक्टर से तीन किलोमीटर दूर प्रिपियात में तैनात सुरक्षा दल के सदस्य थे. नोविकोव ने मौत को करीब से देखा. वे एक साल तक अस्पताल में भर्ती रहे.
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मौत का इंतजार
नोविकोव की पत्नी रईसा ने तैनाती के दौरान एक कैलेंडर रखा था. वे हर दिन को पीले कलम से काटती और जब नोविकोव की चिट्ठी आती, उस दिन को नीली स्याही से. चेर्नोबिल में सफाई अभियान में करीब 800,000 लोगों को लगाया गया था.
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चेर्नोबिल के आइकन
चेर्नोबिल को बचाने वाले आइकन जीसस क्राइस्ट. नीचे हादसे के कारण चेर्नोबिल का सुनसान लैंडस्केप. जीसस क्राइस्ट सफेद लवादे वाले लोगों को आशीष दे रहे हैं जिनमें मजदूर, डॉक्टर, नर्स और सैन्यकर्मी शामिल हैं, जिन्होंने लोगों को बचाने में जान लगा दी.
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कोई सहारा नहीं
नाइल मार्दागालिनोव क्रामातोर्स्क की चेर्नोबिल स्मृति समिति के प्रमुख हैं. वे उन लोगों में जिन्हें मदद के लिए चेर्नोबिल भेजा गया था. लिक्विडेटर कहे जाने वाले ये लोग अब दशकों से पेंशन और हर्जाना पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
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खुले आसमान के नीचे
कोपाची के किंडरगार्टन के मैदान में एक गुड़िया. हादसे के बाद लोग गांव छोड़कर भाग गए. यहां की जमीन अभी भी प्रदूषित है. प्रदूषण की मात्रा पहले परमाणु बम हमले का शिकार हुए हिरोशिमा और नागासाकी के मुकाबले 20 गुना ज्यादा है.
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गांव वापसी
एक्सक्लूजन जोन में सबसे बड़ा गांव जालिसिया था जहां 3500 लोग रहा करते थे. निवासियों को 1986 में वहां से हटा लिया गया था. कुछ लोग सोवियत संघ के शहरों में घुल मिल नहीं पाए और करीब 1000 लोग गांव वापस आ गए. रोजालिया की पिछले दिसंबर में मौत हो गई.
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भुतहा शहर
दुर्घटना का शिकार होने वाले प्लांट से 3 किलोमीटर दूर प्रिपियात सोवियत संभ्रांतों का शहर था, जहां रहने लोग मॉस्को, लेनिनग्राद और कीव से आए थे. पश्चिमी कंपनियां एक मोबाइल खोल बना रही हैं जिससे दुर्घटनाग्रस्त रिएक्टर को ढका जाएगा.
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वापस प्रकृति में
यह स्पोर्ट सेंटर प्रिपियात में उपलब्ध बहुत सारी अत्याधुनिक सुविधाओं में से एक था, जो स्थानीय जिंदगी को उच्चस्तरीय क्वॉलिटी प्रदान करता था. यहां की सुविधाओं के कारण सोवियत संघ के प्रसिद्ध खिलाड़ी नियमित रूप से यहां आया करते थे.
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स्कूल नंबर 3
प्रिपियात की एक तिहाई आबादी यानि 17,000 लोगों की उम्र 18 साल से कम थी. शहर में करीब 50,000 लोग रहते थे. प्रिपियात में 15 प्राइमरी स्कूल थे. इसके अलावा वहां पांच सेकंडरी स्कूलों के अतिरिक्तर एक टेक्निकल कॉलेज भी था.
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लुटेरों की विरासत
प्रिपियात के स्कूल नंबर तीन में फर्श पर सैकड़ों गैस मास्क बिखरे पड़े है. इन्हें फिल्टर में लगे चांदी चुराने के लिए लुटेरों ने स्टोररूम से निकाला है. इन मास्क की मदद से बच्चों को स्कूल में नागरिक सुरक्षा प्रशिक्षण दिया जाता था.
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सोवियत मेमोरियल
प्रिपियात को देखकर ऐसा नहीं लगता कि वह यूक्रेन का हिस्सा है. टूर गाइड वीता पोलियाकोवा कहती हैं, "यह सोवियत संघ का स्मारक है और सोवियत जीवन शैली की भूल को दर्शाता है."
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परमाणु हादसे की तीन दशक बाद भी इस बात पर गहरे विवाद हैं कि हादसे की वजह से निकलने वाले विकिरण से कितने लोगों की जान गईं. उस समय के सोवियत अधिकारियों ने कई हफ्तों तक हादसे के पैमाने को छुपाने की कोशिश की और बचाव कर्मियों को बिना किसी अतिरिक्त सुरक्षा के उस इलाके में भेजा. 2005 में प्रकाशित संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार चेर्नोबिल हादसे के प्रभाव के कारण यूक्रेन के अलावा पड़ोसी रूस और बेलारूस में 4000 लोगों की जान जाने का अनुमान है. पर्यावरण संगठन ग्रीनपीस ने इन आंकड़ों को गंभीर रूप से कमतर आंका गया आंकड़ा बताया. संयुक्त राष्ट्र वैज्ञानिक समिति ने औपचारिक रूप से 30 मौतों को मान्यता दी जिनमें दुर्घटना के बाद बचाव के लिए भेजे गए लोग भी शामिल थे.