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अमीन सयानी से इंटरव्यू

१२ फ़रवरी २०१४

संयुक्त राष्ट्र 13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस के तौर पर मनाती है. भारत के मशहूर रेडियो अनाउंसर अमीन सयानी ने डॉयचे वेले से कहा कि रेडियो का जमाना अभी खत्म नहीं हुआ है और प्रोग्राम अच्छा हो तो लोग रेडियो जरूर सुनेंगे.

Ameen Sayani
तस्वीर: DW/A. Sayani

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लगभग 62 साल से रेडियो कार्यक्रम कर रहे अमीन सयानी आज भी अपना प्रोग्राम करते हैं. उनका कहना है, "लोगों को शायद आखिरकार इस बात का अहसास हुआ कि रेडियो की क्या जरूरत है." सयानी कहते हैं कि अगर रेडियो कार्यक्रम अच्छा होगा, तो लोग इसे अहसास कर सकते हैं और तब रेडियो की प्रासंगिकता कभी खत्म नहीं होगी.

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क्या है रेडियो डे

करीब तीन साल पहले तीन नवंबर, 2011 को संयुक्त राष्ट्र की शिक्षा एजेंसी यूनेस्को ने तय किया कि 13 फरवरी को हर साल विश्व रेडियो दिवस के तौर पर मनाया जाएगा. इसका प्रस्ताव स्पेनी रेडियो अकादमी ने 20 सितंबर, 2010 को रखा था. रेडियो को संचार के सबसे मजबूत माध्यमों में गिना जाता है, जिसने पिछली सदी में संचार के क्षेत्र में भारी भरकम बदलाव किया था. अमीन सयानी के लफ्जों में, "ये ऐसी चीज है कि रेडियो के साथ आप कुछ और भी कर सकते हैं. खाना भी खा सकते हैं, पिकनिक पर भी जा सकते हैं या पढ़ाई भी कर सकते हैं. रेडियो इन सबके बीच मजा देता रहेगा."

तस्वीर: AFP/GettyImages

टेलीविजन और अखबार के आने के बाद रेडियो सुनने के तरीकों में बदलाव जरूर आया लेकिन रेडियो खत्म नहीं हुआ, बल्कि इसने स्वरूप बदल लिया. रेडियो कभी शॉर्ट वेव के लिए मशहूर था लेकिन एफएम के बाद अब पॉडकास्ट और मोबाइल पर रेडियो का रूप नजर आता है. आंकड़ों के मुताबिक भारत में भी पिछले सालों में श्रोताओं की संख्या बढ़ी है. सयानी का कहना है, "रेडियो कभी मर नहीं सकता."

किशोर से झगड़ा

सयानी बताते हैं कि किस तरह मशहूर गायक किशोर कुमार ने उन्हें इंटरव्यू के लिए बुलाया और खुद गायब हो गए. 81 साल के हो चुके सयानी उस किस्से को याद करते हुए कहते हैं, "इसके बाद करीब 10 साल तक मैंने किशोर दा से बात नहीं की." हालांकि बाद में उनके बीच सुलह हो गई.

बिनाका गीतमाला से 1952 में करियर शुरू करने वाले अमीन सयानी मुख्य तौर पर अंग्रेजी के एनाउंसर थे और अपने प्रसारक भाई हमीद सयानी की मदद करते थे. एक बार जब कंपनी ने हिन्दी गीतों का प्रोग्राम शुरू करने का फैसला किया, तो उसे कम पैसे में काम करने वाले अनाउंसर नहीं मिले. ऐसे में "खत छांटने वाले" अमीन ने यह जिम्मा उठाया. उम्मीद की जा रही थी कि पहले प्रोग्राम के लिए कोई 40-50 खत आएंगे लेकिन 9000 खत आ गए. इसके बाद अमीन सयानी के बारे में कुछ बताने की जरूरत नहीं.

रिपोर्टः अनवर जे अशरफ

संपादनः महेश झा

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