रेप कांड में फैसले का इंतजार
२४ जुलाई २०१३दिल्ली की एक जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने एक नाबालिग आरोपी के मामले में सुनवाई पूरी कर ली है. मजिस्ट्रेट गीतांजलि गोयल ने 11 जुलाई को एलान किया कि इस मामले में फैसला 24 जुलाई को सुनाया जाएगा. घटना के वक्त यह नाबालिग 17 साल का था, हालांकि पीड़ित के परिवार वालों ने इस पर बालिग के तौर पर मुकदमा चलाने की मांग की है. घटना के दो हफ्ते बाद बलात्कार की शिकार लड़की की मौत हो गई थी.
पीड़ित लड़की के पिता का कहना है, "उसने सबसे बुरा अपराध किया और अगर वह नाबालिग भी है, तो उसे तीन साल बाद खुलेआम घूमने की इजाजत नहीं मिलनी चाहिए." भारत में नाबालिगों को अपराध के मामले में ज्यादा से ज्यादा तीन साल की सजा हो सकती है.
आरोप है कि इस नाबालिग और उसके पांच साथियों ने 16 दिसंबर 2012 को चलती बस में पीड़ित लड़की का बारी बारी से बलात्कार किया और इस दौरान उसके गुप्तांगों में लोहे की रॉड डाल दी. फिजियोथेरेपी की 23 साल की छात्रा अपने दोस्त के साथ सिनेमा देख कर घर जा रही थी. उसे जबरदस्त अंदरूनी चोट पहुंची और दो हफ्ते बाद सिंगापुर के एक अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई.
कुल छह आरोपियों पर बलात्कार, हत्या, अपहरण, डकैती और साजिश रचने के आरोप लगाए गए हैं. मुख्य आरोपी राम सिंह ने मुकदमे के दौरान मार्च में दिल्ली के तिहाड़ जेल में कथित तौर पर खुदकुशी कर ली. अगर बचे हुए बालिग आरोपियों पर हत्या का मामला साबित होता है, तो उन्हें मौत की सजा भी सुनाई जा सकती है.
अगर नाबालिग पर आरोप साबित होता है, तो उसे अधिकतम तीन साल की सजा सुनाई जाएगी, जिसमें अभी का कैद भी जोड़ा जाएगा. बताया जाता है कि यह नाबालिग 11 साल की उम्र में अपने घर से भाग गया था और बाद में दिल्ली में बसों की सफाई का काम करने लगा. रिपोर्टों में कहा गया है कि उसने किसी तरह के अपराध में शामिल होने से इनकार कर दिया है.
हालांकि दिल्ली की इस घटना के बाद भी भारत में बलात्कार के कई मामले सामने आए हैं, जिनमें विदेशी महिलाओं से बलात्कार भी शामिल है. सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि नए कानून के पास होने के अलावा सरकार और पुलिस को भी अधिक इच्छाशक्ति दिखाने की जरूरत है.
एजेए/एमजे (एएफपी)