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रेप प्रोटेस्ट और पुलिस की मौत

२५ दिसम्बर २०१२

दिल्ली में क्रिसमस का दिन दिल्ली पुलिस के कांस्टेबल की मौत की मनहूस खबर के साथ शुरू हुआ. बलात्कार के खिलाफ प्रदर्शन में घायल सिपाही की मौत से स्थिति और गंभीर हो गई, जबकि प्रदर्शनकारियों का जमावड़ा जारी है.

तस्वीर: Raveendran/AFP/Getty Images

इंडिया गेट पर तैनात 47 साल के सुभाष तोमर रविवार को प्रदर्शनकारियों के साथ झड़प में घायल हो गए थे और मंगलवार को उनकी मौत हो गई. दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता राजन भगत ने बताया, "प्रदर्शनकारियों ने तोमर पर पत्थर चलाए. वह दो दिनों से बेहोश थे और आज सुबह उनकी मौत हो गई."

रविवार को हिंसक प्रदर्शन के दौरान 50 से ज्यादा पुलिसवाले घायल हुए. दिल्ली में चलती बस में 23 साल की छात्रा के साथ हफ्ते भर पहले हुए गैंग रेप के खिलाफ लोगों का प्रदर्शन चल रहा है.

तोमर के चचेरे भाई अजय तोमर ने बताया कि 1985 में दिल्ली पुलिस की नौकरी ज्वाइन करने के बाद तोमर ने एक भी त्योहार परिवार के साथ नहीं मनाया. अजय तोमर ने कहा, "मेरे भाई कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए सड़क पर उतरे थे. भीड़ ने बिना मतलब उन पर हमला किया और उन्हें मार डाला."

हत्या का मामला दर्ज

दिल्ली पुलिस ने इस मामले में आठ आरोपियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया गया है. एफआईआर में शंकर बिष्ट, नंद, शांतानु, कैलाश जोशी, अमित जोशी, अभिषेक, नफीस अहमद और चमन के नाम शामिल हैं. इन लोगों को सोमवार को गिरफ्तार किया गया और बाद में जमानत पर रिहा कर दिया गया.

तस्वीर: Reuters

इस बीच बलात्कार पीड़ित छात्रा की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है और उसे जीवन रक्षक उपकरणों पर रखा गया है. डॉक्टरों का कहना है कि बीच बीच में उसकी हालत बेहतर होती है लेकिन उसे लगातार इंटेंसिव केयर यूनिट में रखे जाने की जरूरत है. पिछले रविवार 16 दिसंबर को इस छात्रा का छह लोगों ने चलती बस में बलात्कार किया और उसके बाद उसे जख्मी हालत में सड़क पर फेंक कर चले गए. पुलिस ने सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है.

प्रदर्शन जारी

इस घटना के बाद दिल्ली में लोगों का गुस्सा उफान पर है और वे लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं. उन्होंने इंडिया गेट और रायसीना हिल्स पर भी प्रदर्शन किए और नारे लगाए. राष्ट्रपति भवन और प्रधानमंत्री कार्यालय रायसीना हिल्स पर ही हैं.

लेकिन पिछले कुछ दिनों से इसमें राजनीतिक तत्व शामिल हो गए हैं और उसके बाद प्रदर्शन हिंसक हो उठा है. रविवार को हुई हिंसा में 100 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं. महिला मुद्दों की सामाजिक कार्यकर्ता उर्वशी बुटालिया का कहना है, "प्रदर्शन जरूरी हैं. यह समाज को झकझोर सकते हैं. इससे बदलाव आ सकता है. बलात्कार कोई ऐसी घटना नहीं है, जो यूं ही हो जाती है. यह समाज में छिपी हिंसा और महिलाओं के खिलाफ उत्पीड़न को दिखाती है."

तस्वीर: Reuters

भारत में बलात्कार के दोषियों को उम्र कैद का प्रावधान है और अब इसे बढ़ा कर मौत की सजा में बदलने की मांग चल रही है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक भारत में पिछले साल जितने अपराध हुए, उसका 90 फीसदी महिलाओं के खिलाफ था. पिछले साल दिल्ली में बलात्कार के 661 मामले सामने आए, जो उससे पहले के साल से 17 फीसदी ज्यादा है.

शीला ने पल्ला झाड़ा

इस बीच, भारी दबाव के बीच दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने दिल्ली पुलिस की कार्रवाई से पल्ला झाड़ लिया है. उनका कहना है कि पुलिस महकमा उनके मातहत नहीं आता और पुलिस जो कुछ भी कर रही है, वह उसके लिए जिम्मेदार नहीं हैं.

दीक्षित का कहना है कि दिल्ली पुलिस के अफसर बलात्कार की पीड़ित लड़की के बयान को लेकर दखलअंदाजी कर रहे हैं. उन्होंने सब डिविजनल मजिस्ट्रेट ऊषा चतुर्वेदी की शिकायत पर गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे को चिट्ठी लिखी है.

समाचार एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि चतुर्वेदी को अपनी मर्जी से बयान नहीं लेने दिया गया और दिल्ली पुलिस के तीन अफसर चाहते थे कि तय सवालों के आधार पर ही लड़की का बयान दर्ज हो. पुलिस ने इन आरोपों से इनकार किया है और उस चिट्ठी के लीक होने की जांच की अपील की है, जो दीक्षित ने शिंदे को लिखी है. दिल्ली पुलिस केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन आती है.

एजेए/एमजे (पीटीआई, एएफपी)

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