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रॉकेट से घबराए आसियान देशों का सम्मेलन शुरू

३ अप्रैल २०१२

उत्तर कोरिया के रॉकेट प्रक्षेपण से आसियान देशों में डर है. अमेरिका और पश्चिमी देशों को डर है कि इस तकनीक का इस्तेमाल मिसाइल के लिए भी हो सकता है. सम्मेलन में चीन से हो रही बेचैनी पर भी चर्चा होगी.

तस्वीर: Reuters

सम्मेलन से पहले आसियान के दस सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों की कंबोडिया की राजधानी नोम पेन्ह बैठक हुई. बैठक में उत्तर कोरिया के रॉकेट प्रक्षेपण की तैयारी की चर्चा हुई. आसियान के प्रमुख सुरिन पितसुवान ने कहा, "इस बात से कोरियाई प्रायद्वीप में वाकई चिंता फैल गई है. वहां की अस्थिरता पूरे इलाके में आपसी भरोसे को खत्म कर सकती है."

उत्तर कोरिया से चिंता

फिलीपींस के विदेश मंत्री एल्बर्ट डेल रोसारियो ने रॉकेट प्रक्षेपण को 'अस्वीकार्य' करार दिया. उनके मुताबिक प्रक्षेपण संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों का उल्लंघन करेगा. रोसारियो ने आसियान देशों से फिलीपींस के तर्क का समर्थन करने की मांग की. इस पर आसियान प्रमुख ने कहा, "आसियान ने बहुत, बहुत गंभीर चिंता जाहिर की है. देखना है कि यह चिंता किस भाषा में सामने आती है. हमें इंतजार करके देखना होगा."

उत्तर कोरिया को लेकर हो रही चिंता जाहिर है कि मंगलवार से शुरू हो रहे दो दिवसीय आसियान सम्मेलन में भी छाई रहेगी. आसियान के मुताबिक, "उत्तर कोरिया के प्रक्षेपण को लेकर हम सभी की यह राय है कि उत्तर कोरिया को लांचिंग से हतोत्साहित किया जाए."

रविवार को फिलीपींस ने संयुक्त राष्ट्र, चीन और आसियान देशों में तैनात उत्तर कोरियाई प्रतिनिधियों के सामने आधिकारिक विरोध दर्ज कराया. इंडोनेशिया के विदेश मंत्री ने भी कोरियाई प्रायद्वीप की स्थिति पर चिंता जताई है.

दक्षिण चीन सागरतस्वीर: DW

उत्तर कोरिया ने पिछले महीने एक रॉकेट प्रक्षेपण का एलान किया. प्योंग्यांग के मुताबिक 12 से 16 अप्रैल के बीच वह अपनी एक सैटेलाइट भेजने के मकसद से रॉकेट छोड़ेगा. एक अमेरिकी अधिकारी का कहना है कि रॉकेट के कुछ अवशेष अमेरिका के क्षेत्रीय सहयोगी फिलीपींस के तट पर बिखर सकते हैं.

अमेरिका और दूसरे देशों को यह भी लग रहा है कि उत्तर कोरिया रॉकेट प्रक्षेपण सैटेलाइट के लिए नहीं, बल्कि लंबी दूरी की एक बैलिस्टिक मिसाइल के परीक्षण के लिए कर रहा है. संयुक्त राष्ट्र ने उत्तर कोरिया पर मिसाइल परीक्षण करने की पाबंदी लगाई है. आशंका है कि इस पाबंदी को ठेंगा दिखाने के लिए ही उत्तर कोरिया सैटेलाइट भेजने की रट लगाए हुए है.

दक्षिण चीन सागर का मसला

रॉकेट के अलावा आसियान की बैठक में दक्षिण चीन सागर का मुद्दा भी उठने की संभावना है. दक्षिण चीन सागर, चीन और कई अन्य देशों की बीच विवादित प्रशांत महासागर का हिस्सा है. दक्षिण चीन सागर में अथाह तेल और गैस का भंडार है. सभी देश इस पर अपना अपना अधिकार जताते हैं. लेकिन बीते कुछ सालों से चीन अपनी ताकत के बल पर विएतनाम, फिलीपींस, ब्रूनेई और मलेशिया को धमका रहा है. यह सभी देश समुद्र पर अपना अधिकार बताते हैं, खासकर विएतनाम और फिलीपींस. दक्षिण चीन सागर भारत और चीन के बीच समुद्री युद्ध का अखाड़ा भी बनता जा रहा है. भारत वहां विएतनाम के साथ तेल और गैस निकालने का काम करना चाहता है. चीन बाहरी देशों को सागर से दूर रहने की चेतावनी देता है.

लेकिन आसियान सम्मेलन की पूर्व संध्या पर चीन के रुख में बड़ा कूटनीतिक बदलाव देखा जा रहा है. सोमवार को चीनी राष्ट्रपति हू जिंताओ नोम पेन्ह पहुंचे. उन्होंने कंबोडिया को 4,00,000 डॉलर के उपकरण दिए. कंबोडिया में हर साल एक हजार से ज्यादा बैठकें होती हैं. लचर आधारभूत संरचना से जूझ रहे कंबोडिया की मदद चीन ने ऐन वक्त में की है. कंबोडिया और चीन के अच्छे संबंध है. 1967 में स्थापित आसियान की अध्यक्षता एक साल बाद दूसरे देश की मिलती है. 2012 में कंबोडिया इसका अध्यक्ष है. आसियान कुल 60 करोड़ आबादी वाले 10 देशों का समूह है. इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, ब्रूनेई, म्यांमार, कंबोडिया, लाओस और विएतनाम आसियान के सदस्य देश हैं.

रिपोर्टः एएफपी, एपी, रॉयटर्स/ओ सिंह

संपादनः एन रंजन

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