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रोजगारपरक है जर्मन भाषा

१५ मई २०१३

मंथन में विज्ञान से संबंधित जानकारियां, बालीवुड के स्वर्णिम युग पर लिखी खास रिपोर्ट, भारत में बढ़ते बलात्कार पर पाठको से मिला फीडबैक आपसे शेयर करते हैं .......

Titel: Bildgalerie DW Spanisch 60 Jahre Beschreibung: Bilder von der spanischen Redaktion der DW für die 60 Jahre DW Rubrik. Schlagwörte: 60 Jahre DW, MMG Spanisch, DW Spanisch, spanische Redaktion der DW, Deutsche Welle Copyright: DW
तस्वीर: DW

बलात्कार की जितनी भी निंदा की जाए वह कम है. सरकार ने इसके खिलाफ सख्त कानून भी बनाए, लेकिन सिर्फ कानून बना देने से अपराध खत्म नहीं होने वाले. जरुरत है इस मुद्दे पर जन-जन को जागरूक करने की. ये कार्य हम सामाजिक या व्यक्तिगत रूप से भी शुरू कर सकते हैं. यह हमारी जिम्मेदारी है. अगर हमें इस अपराध से समाज को मुक्त रखना है तो सबसे पहले खुद ही जिम्मेदारी उठानी होगी.

डा. हेमंत कुमार, भागलपुर, बिहार

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यह साल बहुत ही खुशी की बात ले कर आया है क्योंकि डॉयचे वेले अपनी स्थापना की 60वीं वर्षगांठ मना रहा है. पिछले 60 सालों में डॉयचे वेले ने रेडियो, टीवी और इंटरनेट के माध्यम से पल पल बदलते विश्व के घटना क्रम की त्वरित बेबाक, निष्पक्ष,जानकारी ठोस और संतुलित ढंग से अपने श्रोताओं, दर्शकों तक पहुचाई है. रेडियो पर श्रोताओं को कभी निराश नहीं किया. नए दौर में इंटरनेट पर आपका साथ भी अतुल्य और अनमोल है. यह विश्व मिडिया के इतिहास का अनमोल खजाना है. आपके आगे के 60 साल भी शानदार सफलता से भरे रहे. इस 60वीं वर्षगांठ पर डॉयचे वेले परिवार को बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं!

एस. बी. शर्मा, जमशेदपुर, झारखंड

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प्रिया एसेलबॉर्न/एमजे की एक रिपोर्ट के जरिए 'भारत के हजार स्कूलों में जर्मन भाषा' संबंधी महत्त्वकांक्षी जर्मन प्रोजेक्ट के बारे में पता चला. भारत में जर्मन भाषा के व्यापक प्रसार की योजना एक नया आयाम विकसित करेगी. अब तक जर्मन भाषा सीखने वाले शिक्षार्थी या तो शौकिया इस भाषा को सीखते थे या फिर किसी जरूरत के चलते, लेकिन ऐसा शायद पहली बार होगा कि लोगों के लिए जर्मन भाषा रोजगारपरक होगी यानि पढ़ने और पढ़ाने दोनों के अवसर विद्यार्थियों के पास होंगे. ऐसे में इस प्रोजेक्ट की प्रमुख पुनीत कौर का उत्साहित होना स्वाभाविक है. दूसरी बात की अब तक जर्मन भाषा सीखने के अवसर सिर्फ बड़े विश्वविद्यालयों में ही थे किन्तु अब स्कूलों की संख्या बढ़ने के साथ दूर-दराज और छोटे शहर के लोग भी आसानी से जर्मन भाषा सीख सकेंगे.

तस्वीर: imago stock&people

आखिरकार बालीबुड का एक स्वर्णिम युग आज पूरा हुआ. इन सौ सालों का सफर कब और कैसा रहा इसकी पूरी जानकारी हमें डॉयचे वेले द्वारा समर्पित इस बावत खास पेज से हुई. पूरी ईमानदारी और संजीदगी से तैयार विशेष सामग्री ने मन को छू लिया. यूं तो फिल्मी सामग्री चाहे अखबार हो या फिर कोई पत्रिका या इंटरनेट सबसे ज्यादा पढ़ी जाती हैं लेकिन किसी एक विषय को लेकर शोधपरक सामग्री को प्रस्तुत करना कोई आसान बात नहीं थी, लेकिन इस दुरुह काम को भी सहजता और खूबसूरती के साथ डॉयचे वेले ने किया है. पिछले कुछ माह से तो ऐसा लग रहा है कि सौ सालों की इस खुशी में डॉयचे वेले पूरी तरह से रम गया. चाहे फेसबुक की 'प्रश्नोलॉजी' हो या फिर मासिक पहेली प्रतियोगिता या फिर मनोरंजन कालम का कोई आर्टिकल, हर कोना सौंवीं सालगिरह मनाता प्रतीत हो रहा था. श्रोताओं और अपने पाठकों की सीधी भागीदारी से डॉयचे वेले ने खास रंग भर दिया. पुरानी दुर्लभ बॉलीवुड तस्वीरें और उस दौर के कुछ खास इंटरव्यूह ने मानों प्राण ही फूंक दिए हो. सचमुच डॉयचे वेले की पूरी टीम साधुवाद की पात्र है.

रवि श्रीवास्तव, इंटरनेशनल फ्रेंडस क्लब, इलाहाबाद

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मैं डॉयचे वेले हिंदी वेबसाइट का नियमित पाठक हूं. मुझे 'विज्ञान व पर्यावरण' की हर रिपोर्ट रोचक एवं ज्ञानवर्धक लगती है. विज्ञान व पर्यावरण से संबंधित यह एक ऐसा पेज है जो की जन चेतनात्मक है, जिससे हर वर्ग के लोगों का विकास होता हैं और मिलती हैं विज्ञान और तकनीक के बारे में ताजी जानकारी. वही बात आपके टीवी शो 'मंथन' के बारे में भी, जो देखे बिना रह नहीं सकता.

सुभाष चक्रबर्ती, नई दिल्ली

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संकलनः विनोद चड्ढा

संपादनः आभा मोंढे

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