रोटी खाता था प्रागैतिहासिक मानव
१९ अक्टूबर २०१०नैशनल एकेडमी ऑफ साइंसेस की पत्रिका में सोमवार को प्रकाशित अध्ययन के अनुसार स्टार्च वाले अनाजों को पकाना, संभवतः उनका आटा पीसना पूरे यूरोप में आम चलन था. आम धारणा है कि पाषाण युग का मानव मुख्य रूप से मांस खाता था.
इटली, रूस और चेक गणतंत्र की तीन जगहों पर सान वाले पत्थरों और मूसल लोढ़ा से मिले अनाज मुख्यतः स्टार्च वाले टीफा और फर्न के हैं. शोधकर्ताओं का कहना है कि ये कार्बोहाइड्रेड और ऊर्जा के महत्वपूर्ण स्रोत थे. टीफा को उत्तरी भारत में फटेरा के नाम से जाना जाता है. वह पानी वाली जमीन में उगता है और कई जगहों पर जानवरों को खिलाया जाता है.
अनाज को ठीक से पचाने और उसके पोषक तत्वों का पूरा लाभ उठाने के लिए उसकी सफाई, धुलाई, सुखाई और पिसाई जरूरी है जिसका रोटी या केक बनाने में उपयोग किया जा सकता है.अपने अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने सान के पत्थरों और दूसरे उपकरणों पर पाए गए अनाज के टुकड़ों का माइक्रोस्कोप पर परीक्षण किया और उपकरणों को फिर से बनाया कि वे किस तरह काम करते रहे होंगे.
रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा
संपादन: ए कुमार