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रोमा मुद्दे पर फ्रांस का पलटवार

१५ सितम्बर २०१०

फ्रांस ने रोमा लोगों को निकालने के लिए अपनी आलोचना का कड़ा जवाब दिया है. ईयू की विधि आयुक्त विवियाने रेडिंग ने फ्रांस की आलोचना करते हुए रोमा लोगों के देश निकाले की तुलना दूसरे विश्व युद्ध के दौरान हुए विस्थापन से की.

पीएर लेलूशतस्वीर: AP

यूरोपीय मामलों के फ्रांसीसी मंत्री पीएर लेलूश ने आरटीएल रेडियो से बातचीत में कहा, "जिस तरह की टिप्पणी उन्होंने की है; वह बिल्कुल भी उचित नहीं है. जिस तरह के शब्द उन्होंने चुने, वे एक राष्ट्र के सिलसिले में इस्तेमाल नहीं किए जाने चाहिए:"

मंगलवार को ही यूरोपीय संघ की विधि आयुक्त रेडिंग ने फ्रांस से बड़े पैमाने पर रोमा लोगों को निकालने का विरोध किया और फ्रांस सरकार के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की धमकी भी दी. रेडिंग ने कहा कि वह स्थिति से बहुत चिंतित हैं. इससे ऐसा लगता है कि यूरोपीय संघ के एक देश से लोगों को सिर्फ इसलिए निकाला जा रहा है क्योंकि वे एक निश्चित अल्पसंख्यक समुदाय से नाता रखते हैं. रेडिंग के मुताबिक, "मैंने तो सोचा था कि दूसरे विश्वयुद्ध के बाद इस तरह की नौबत कभी नहीं आएगी."

तस्वीर: AP

फ्रांसीसी राष्ट्रपति निकोला सारकोजी ने अगस्त से फिर फ्रांस से रोमा लोगों को निकालना शुरू किया है. इसके लिए उन्हें दुनिया भर में आलोचना का सामना भी करना पड़ रहा है. फ्रांस ने पिछले महीने से एक हजार रोमा लोगों को उनके मूल देश रोमानिया और बुल्गारिया भेजा है. इस साल अब तक लगभग आठ हजार लोगों को इस तरह फ्रांस से निकाला गया है. पिछले साल 9.875 लोगों को देश निकाला दिया गया.

लेलूश कहते हैं, "एक फ्रांसीसी मंत्री, एक फ्रांसीसी नागरिक और ऐसे फ्रांसीसी का बेटा होने के नाते जिसने (नाज़ियों के खिलाफ) लड़ाई लड़ी, मैं रेडिंग के इस बयान को स्वीकार नहीं कर सकता कि 2010 का फ्रांस विशी का फ्रांस है." विशी शासन के दौरान हजारों यहूदी, खानाबदोश, रोमा और तथाकथित अवांछित लोगों को फ्रांस से नाज़ियों के यातना शिविरों में भेजा गया.

फ्रांस सरकार का कहना है कि वह सिर्फ रोमा लोगों को निशाना नहीं बना रही है और उसका कदम यूरोपीय कानूनों के मुताबिक है. फ्रांस सरकार रेडिंग की आलोचना पर हैरान है, लेकिन वह इसे मुद्दा नहीं बनाएगी.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः उज्ज्वल भट्टाचार्य

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