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रोस्टोकः वक़्त बताने वाली घड़ी का शहर

शिव प्रसाद जोशी२३ अगस्त २००९

बाल्टिक सागर के किनारे जर्मनी के सबसे महत्त्वपूर्ण बंदरगाही शहर रोस्टोक का उथलपुथल भरा इतिहास रहा है. इस शहर में 500 साल से ज़्यादा पुरानी खगोलीय घड़ी आज भी एक दम ठीक ढंग से टिक टिक कर रही है.

ख़ूबसूरती और शहर आर-पारतस्वीर: Rostock Port/nordlicht

बाल्टिक सागर के किनारे जर्मनी के सबसे महत्त्वपूर्ण बंदरगाही शहर रोस्टोक का उथलपुथल भरा इतिहास रहा है. 15वीं शताब्दी में इस हानसियाटिक शहर के दूर दूर के बंदरगाहों से व्यापारिक रिश्ते थे. जैसे बेरगेन(नॉर्वे), रिगा(लातविया) और ब्रूगेस(बेल्जियम). 1419 में उत्तरी यूरोप की पहली यूनिवर्सिटी रोस्टोक में स्थापित की गयी थी. 19 वीं सदी में इसके दिन फिर बहुरे. 1942 में मित्र देशों की अथाह बमबारी ने रोस्टोक को ध्वस्त कर दिया था लेकिन तत्कालीन कम्युनिस्ट निज़ाम ने इसका बड़े पैमाने पर जीर्णोद्दार कराया औऱ इसे दुनिया के सामने शो पीस की तरह पेश किया.

असली नहीं रोस्टॉक के ये हाथीतस्वीर: AP

मां और बेटी

उसके लंबे सुनहरे बाल भले न हो और वो भले ही वो नफ़ीस छोटी स्कर्ट न पहनती हो लेकिन वो बहुत प्यारी और विशिष्ट है. उसका नाम है “वार्नेम्युंडे” और अपनी मां को एक संस्कारी बेटी की तरह मदद पहुंचाती आ रही है. और मदद करे भी क्यों न. उसकी मां जो है- “रोस्टोक.” दोनों एक दूसरे से 15 किलोमीटर की दूरी पर रहते हैं और एक दूसरे से फ़ायदा उन्हें मिलता रहता है. “मां रोस्टोक” बड़ी और मज़बूत है. उसके पास इतिहास की कई तारीखें हैं, यूनिवर्सिटी है दीवारें और मकान और चर्च हैं. रोस्टोक एक शहर हुआ और उसी के पास उसका एक समुद्रतटीय रिसॉर्ट है- वार्नेम्युंडे जहां अत्याधुनिक आरामदेह सुख सुविधाएं हैं और सीधे समुद्र को जाती एक बोर्ड वॉक है. आप तख्ते पर टहलते हुए जाएं और समुद्र के ठीक सामने पहुंच जाएं.

थपकियां लेता रोस्टॉकतस्वीर: AP

वर्चस्व का टकराव

हाइनरिष फॉन मेक्लेनबुर्ग नाम के एक श्रीमंत का था वार्नेम्युंडे. उन्होंने इसे रोस्टोक शहर को बेच दिया. ये सन 1323 की बात है. रोस्टोक के गवर्नर ने वार्नेम्युंडे में पहले पहल ज़्यादातर कारोबार पर रोक लगा दी. नाविक पायलट और मछुआरों को ही अपना काम करने की छूट थी, हस्तकला या कोई और व्यापार करने की मनाही कर दी गयी. यानी वार्नेम्युडें को तरक्की करने से महरूम रखा जाने की योजना थी. बदनसीब वार्नेम्युंडे पर सितम की इतहां यहीं नहीं थी. रोस्टोक में खूब युद्ध भड़के और जब दुश्मन फौजे समुद्र से हमला करते हुए आगे आती तो निशाने पर वार्नेम्युंडे ही रहता. अनचाहे ही वो रोस्टोक का एक आऊटपोस्ट बन गया. युद्धों का कहर उसी पर बरपा.

कहानियां भी, कला भीतस्वीर: AP

लेकिन वार्नेम्युडें के धैर्य की जीत हुई और उसके तटीय आकर्षण से सैलानी खिंचे चले आते रहे. धीरे धीरे वो संपन्न कस्बे में बदलता गया. वहां एक विमान फैक्ट्री लगायी गयी. एक अहम शिपयार्ड भी यहां है. रोस्टोक की वर्चस्व की ज़िद भी पीछे छूट गयी है. वार्नेम्युडें के साथ रोस्टोक का अस्तित्व है ये बात जब एक समय के प्रशासन को समझ आ गयी तो विकास का संतुलन बनता गया.

शहर को देखना

रोस्टोक घूमने की सबसे सही शुरूआत करने की जगह है नया बाज़ार. यहां से कई अहम संग्रहालय पैदल देखे जा सकते हैं. गोथिक शिलप में बना राटहाउस यानी टाउन हॉल नया बाज़ार में ही है, कुछ ही मिनटों की दूरी पर है श्टाइनटोर. पुराने शहर का एक गेट. पुरानी किलेबंदी के 22 द्वारों में से अब तीन ही बचे हैं. ज़्यादा दूर नहीं है मारियनकिर्शे. ये ऐतिहासिक चर्च अपनी भव्यताओं और निराले शिल्प के लिए प्रसिद्ध है. इसी में न्युरेम्बर्ग के मास्टर शिल्पी चित्रकार ड्युरिंगर की 1472 में बनायी खगोलीय घडी़ भी लगी है. ये इस चर्च का एक प्रमुख आकर्षण है. कहते हैं कि ये इस वैज्ञानिक सूझबूझ से तैयार की गयी है कि सन् 2047 तक ये सही सटीक समय और तारीख़ बताती रहेगी.

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