अंतरराष्ट्रीय दबाव झेल रहे म्यांमार के सेना प्रमुख मिन अंग हलियांग ने कहा है कि रोहिंग्या मुसलमान म्यांमार के मूल नागरिक नहीं हैं और इस पूरे मामले को मीडिया बढ़ा-चढ़ा कर पेश कर रहा है.
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म्यांमार में अमेरिकी राजदूत स्कॉट मारसिएल से मुलाकात के दौरान सेना प्रमुख ने अपना पक्ष रखा था. इस बातचीत को हलियांग ने अपने फेसबुक पन्ने पर भी साझा किया है. इससे एक दिन पहले संयुक्त राष्ट्र ने म्यांमार में सुरक्षा बलों को इस अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय पर व्यवस्थित रूप से हमले का जिम्मेदार बताया था. बीते 25 अगस्त को म्यांमार के रखाइन प्रांत में हुई हिंसा के बाद से अब तक पांच लाख रोहिंग्या मुसलमान बांग्लादेश का रुख कर चुके हैं.
संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार कार्यालय के मुताबिक, "म्यांमार के सुरक्षा बलों ने रखाइन राज्य से लाखों रोहिंग्या मुसलमानों को बर्बर तरीके से देश के बाहर निकाल दिया, उनके घरों को आग लगा दी, फसलें तबाह कर दी गयीं और अब इन्हें वापस म्यांमार आने से भी रोका जा रहा है."
म्यांमार में लोकतंत्र स्थापित हो जाने के बावजूद सेना ताकतवर मानी जाती है. ऐसे में सेना प्रमुख का यह बयान काफी अहम है. हलियांग ने कहा कि रोहिंग्या मूल रूप से बंगाली है. बांग्लादेश की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा, "वे अब उस देश का रुख कर रहे हैं जहां उनकी भाषा और संस्कृति है और उन्हें लगता है कि वे वहां सुरक्षित रहेंगे." रोहिंग्या मुसलमान म्यांमार में दशकों से रह रहे हैं लेकिन अब भी म्यांमार इन्हें अपना नागरिक नहीं मानता.
दुनिया में कहां-कहां बसे हैं रोहिंग्या मुसलमान
रोहिंग्या मुसलमानों के मसले पर संयुक्त राष्ट्र समेत पूरी दुनिया म्यांमार के रुख पर सवाल उठा रही है. भारत में तो रोहिंग्या मुसलमानों का मामला न्यायालय तक पहुंच गया है. एक नजर उन देशों पर जहां रोहिंग्या मुसलमान रहते हैं.
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म्यांमार
म्यांमार में गरीबी और मुफलिसी का जीवन बिता रहे ये रोहिंग्या मुसलमान देश के रखाइन प्रांत को अपना गृहप्रदेश मानते हैं. आंकड़ों के अनुसार म्यांमार में तकरीबन 6 लाख रोहिंग्या मुसलमान रहते हैं.
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भारत
देश में तकरीबन 40 हजार रोहिंग्या मुसलमान रहते हैं. भारत की मोदी सरकार ने रोहिंग्या मुसलमानों को देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा बताया है और इन्हें वापस भेजने की बात कही है. फिलहाल मामला उच्चतम न्यायालय में है.
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बांग्लादेश
म्यांमार से भागे शरणार्थी बांग्लादेश में ही शरण ले रहे हैं. बांग्लादेश में तकरीबन 9 लाख रोहिंग्या मुसलमान रहते हैं. बांग्लादेश सरकार, म्यांमार से बार-बार इन्हें वापस लेने की बात कह रही है लेकिन म्यांमार सरकार इन्हें बांग्लादेशी करार देती है.
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पाकिस्तान
दुनिया के तमाम मुस्लिम देश रोहिंग्या मुसलमानों की हालत पर सवाल उठा रहे हैं लेकिन मुस्लिम राष्ट्रों में भी रोहिंग्या समुदाय की हालत कोई बहुत अच्छी नहीं है. पाकिस्तान में 40 हजार से 2.50 लाख तक रोहिंग्या मुसलमान रहते हैं.
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थाईलैंड
भारत के साथ सांस्कृतिक रूप से जुड़ाव रखने वाले थाईलैंड में भी तकरीबन 5000 रोहिंग्या मुसलमान रहते हैं. इनमें से अधिकतर ऐसे शरणार्थी हैं जो म्यांमार से भाग कर थाईलैंड आये और वहीं बस गये.
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मलेशिया
म्यांमार के रखाइन प्रांत में हुई हिंसा का विरोध मलेशिया में भी हुआ था. मलेशिया में तकरीबन एक लाख रोहिंग्या मुसलमान रहते हैं जो म्यांमार और बांग्लादेश में रहने वाले रोहिंग्या समुदाय से हमदर्दी रखते हैं.
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सऊदी अरब
सुन्नी बहुल मुस्लिम समुदाय वाले सऊदी अरब में भी तकरीबन 2 लाख रोहिंग्या मुसलमान रहते हैं. लेकिन म्यांमार के साथ अपने कारोबारी हितों के चलते सऊदी अरब के तेवरों में रोहिंग्या मसले पर वैसी तल्खी नजर नहीं आती जैसा अन्य मुस्लिम देश अपनाये हुए हैं.
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म्यांमार सरकार इन्हें बांग्लादेशी कहती है. सेना प्रमुख ने अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखा है, "ब्रिटिश राज में बांग्लादेश से ये रोहिंग्या मुसलमान म्यांमार आ गये थे लेकिन इन अल्पसंख्यकों का नागरिकता पर कोई दावा नहीं है. ये यहां के मूल निवासी नहीं है और रिकॉर्ड बताते हैं कि ब्रिटिश शासन काल में ये रोहिंग्या नहीं बल्कि बंगाली कहलाते थे." हालांकि सेना प्रमुख ने अपनी इस पोस्ट में संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट का कोई उल्लेख नहीं किया है.