लंका को धोकर खिताब जीतना चाहेगी टीम इंडिया
२७ अगस्त २०१०![](https://static.dw.com/image/5759764_800.webp)
हालांकि पिछले एशिया कप के मुकाबले यह टूर्नामेंट कहीं ज्यादा नाटकीय घटनाक्रमों से भरा रहा. सभी टीमें कभी बड़े अंतर से जीततीं तो अगला उससे बड़े अंतर से हार जातीं. भारत को पहले मैच में न्यूजीलैंड से 200 रन से हार झेलनी पड़ी तो दूसरे मैच में उसे 105 रन से हरा दिया. इसी दौरान सूरज रांदीव की एक नो बॉल पर खूब बवाल हुआ, जिसकी वजह से वीरेंद्र सहवाग अपना शतक नहीं बना पाए थे.
लेकिन इन बातों को पीछे छोड़ खिताबी मुकाबले में किसी को उन्नीस नहीं आंका जा सकता है. दांबुला के लगातार खराब हो रहे विकेट में सिक्के की भूमिका सबसे अहम हो सकती है और दिन रात के मुकाबले में टॉस जीतने वाली टीम निश्चित तौर पर पहले बल्लेबाजी करना पसंद करेगी.
भारत ने श्रीलंका का दौरा एक शानदार बल्लेबाजी टीम और औसत से कम गेंदबाजी दल के साथ शुरू किया था. लेकिन सीरीज खत्म होते होते बात यहां पहुंच गई कि गेंदबाजों ने तो अच्छा प्रदर्शन कर दिया और बल्लेबाज नाकाम हो गए. अगर सहवाग के करामाती बल्ले को छोड़ दिया जाए, तो पूरी टीम इंडिया का कोई भी बल्लेबाज नहीं चल पाया. भारत ने दो मैच जीते हैं और दोनों में ही वीरू ने जम कर धुलाई की है.
भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी इस बात को मान चुके हैं कि इस विकेट पर बल्लेबाजी मुश्किल है और इस काम में सहवाग को छोड़ कर कोई कामयाब नहीं हो पाया है. ऐसे में दोनों ही टीमों के लिए सबसे बड़ी चुनौती कम से कम दो बल्लेबाजों की अच्छी बैटिंग होगी. टॉस जीतने वाली टीम अगर 250 रन के आस पास भी बना लेती है, तो उसकी स्थिति मजबूत हो सकती है.
भारत और श्रीलंका के मैच के दौरान सूरज रांदीव का नो बॉल कांड भी याद आएगा और इस वजह से ग्राउंड पर थोड़ा तनाव हो सकता है. वैसे दोनों ही टीमें काफी तजुर्बेकार हैं और इस तरह के मुद्दे को हावी नहीं होने देना चाहेंगी.
जहां तक भारतीय टीम के प्रदर्शन का सवाल है, उसने न्यूजीलैंड के हाथों बेहद खराब हार के साथ सीरीज की शुरुआत की लेकिन अगले मैच में मेजबान श्रीलंका को बुरी तरह पराजित कर दिया. इसके बाद भारत अगला मैच बुरी तरह हार गया और पूरी टीम सिर्फ 103 रन पर आउट हो गई. लेकिन आखिरी मैच में भारत ने न्यूजीलैंड को बुरी तरह से हरा कर फाइनल में जगह बनाई है.
दूसरी तरफ श्रीलंका की बल्लेबाजी जमी जमाई लाइन पर चल रही है. कप्तान कुमार संगकारा, तिलकरत्ने दिलशान और महेला जयवर्धने जैसे बल्लेबाज किसी भी आक्रमण को झेलने की ताकत रखते हैं.
रिपोर्टः पीटीआई/ए जमाल
संपादनः आभा एम