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लंदन पैरालंपिक सफल खेलों की शानदार मिसाल

१० सितम्बर २०१२

चीन के खिलाड़ियों ने 95 स्वर्ण पदकों के साथ लंदन पैरालंपिक में 230 पदक अपने नाम किए. वहीं दूसरे सबसे ज्यादा मेडल ब्रिटेन(120) और रूस 102 पदक अपनी झोली में डाले. भारत को कुल एक मेडल.

तस्वीर: Getty Images

लंदन पैरालंपिक खेल अब तक के सबसे सफल पैरालंपिक खेलों में गिने जा सकते हैं. इसमें न केवल कई लाख दर्शक स्टेडियम आए बल्कि इसने विकलांगता के बारे में लोगों के विचार को भी बदलने में मदद की. खेलों के उद्घाटन समारोह में मुख्य आयोजक लॉर्ड को ने सफल खेलों की उम्मीद जताई थी. "हम इस मुद्दे पर बहुत साफ हैं कि हम सच में कुछ गलत मान्यताओं को खत्म करना चाहते हैं जो अभी भी विकलांगता के बारे में लोगों के मन मे हैं. मुझे लगता है कि जब लोग पैरालंपिक खेल देखेंगे तो वह खेल की गुणवत्ता देखकर हैरान होंगे."

हर तरह से सफल

लंदन पैरालंपिक के तीस लाख टिकट बिके जो कि बीजिंग से भी ज्यादा थे. पूर्वी लंदन के ओलंपिक स्टेडियम हर शाम कम से कम 80 हजार लोगों के साथ भरे रहे. पैरालंपिक के लिए विज्ञापन में ही टैग लाइन थी, "मीट द सुपर ह्यूमन्स" यानी महामानवों से मिलिए. और चाहे दौड़ हो, लंबी कूद या स्विमिंग, हर जगह जोश का जज्बा भरपूर था.

लंदन पैरालंपिक का समापन समारोहतस्वीर: Getty Images

हालांकि ब्रिटेन में विकलांगों के लिए सरकार की नीतियों की आलोचना सुनने में आई. चांसलर जॉर्ज ओसबोर्न जब पदक समारोह में शामिल होने आए तो उनकी हूटिंग की गई क्योंकि ब्रिटेन की सरकार ने शारीरिक चुनौती झेल रहे लोगों के लिए निधि कम की है.

टीवी शो

ब्रिटेन के चैनल फोर में इस दौरान एक टीवी शो आयोजित किया गया था जिसके प्रेजेन्टर खुद नकली पैर लगाते हैं. उन्होंने शारीरिक चुनौतियों के बारे में लोगों के पूर्वाग्रहों पर चर्चा की. इस कार्यक्रम में "इट इस ओके" नाम के हिस्से में दर्शक पैरालंपिक और विकलांगता के बारे में अपने सवाल रख सकते थे.

पैरालंपिक खेलों में जर्मनी को कुल 66 पदक मिले हैं. जिसमें एथलेटिक्स में सबसे ज्यादा 18, फिर रोड साइकल रेस और तैराकी प्रतियोगिताओं में 12-12 पदक हैं. वहीं चीन ने एथेलेटिक्स की अलग अलग प्रतियोगिताओं में 86 मेडल जीते. इसके अलावा उसने तैराकी में 58 और टेबल टेनिस में 21 पदकों के साथ बाजी मारी.

खेलों के फैन्सतस्वीर: picture-alliance/dpa

भारत के लिए इकलौता पदक और सरप्राइज गिरिशा नागराजगौड़ा ने दिया. उन्होंने ऊंची कूद में रजत पदक भारत के लिए कमाया.

रिपोर्टः आभा मोंढे/ऑली बैरेट

संपादनः मानसी गोपालकृष्णन

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