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सताए मूलनिवासियों को मुआवजा देगा कनाडा

५ जनवरी २०२२

कनाडा की बाल कल्याण व्यवस्था के सताए मूलनिवासियों को कनाडा सरकार 2,339 अरब रुपये का मुआवजा देने जा रही है. इस व्यवस्था में मूलनिवासियों के बच्चों को परिवार से अलग करके आवासीय स्कूलों में दाखिल किया जाता रहा है.

BdTD Kanada | National Day for Truth and Reconciliation
तस्वीर: Carlos Osorio/REUTERS

कनाडा ने अपनी भेदभावपूर्ण बाल कल्याण व्यवस्था में सताए गए मूलनिवासियों को मुआवजा देने की घोषणा की है. इस समझौते के तहत कनाडा सरकार 31.5 बिलियन डॉलर यानी करीब 2,339 अरब रुपये का भुगतान करेगी. इसमें से आधी राशि का इस्तेमाल बाल कल्याण व्यवस्था के तहत परिवार से अलग किए गए बच्चों को मुआवजा देने के लिए होगा. बाकी बची आधी राशि अगले पांच सालों में बाल और परिवार संबंधी व्यवस्थाओं को सुधारने में लगाई जाएगी. सरकार और मूलनिवासी संगठनों के बीच हुए इस समझौते को कनाडा के इतिहास का सबसे बड़ा समझौता बताया जा रहा है.

भेदभाव को माना

इस मामले की शुरूआत कनाडा के एक मूलनिवासी संगठन- फर्स्ट नेशंस चाइल्ड एंड फैमिली केयरिंग सोसाइटी- की ओर से दायर याचिका से हुई थी. यह संगठन कनाडाई मूलनिवासियों के अधिकारों के लिए काम करता है. फर्स्ट नेशंस ने साल 2007 में इसे एक मानवाधिकार मामले की तरह उठाया था. जिसके बाद कनाडा की मानवाधिकार अदालत ने कई बार पाया कि बाल कल्याण व्यवस्था मूलनिवासियों से भेदभाव करती है.

कनाडा के प्रधानमंत्री बच्चों की कब्रगाह पर.तस्वीर: Nicholas Rausch/AFP/Getty Images

कनाडा सरकार ने भी माना था कि उनकी व्यवस्था भेदभाव करती है. हालांकि सरकार लगातार मुआवजे और सुधारों के लिए पैसा जारी करने के अदालती आदेशों के खिलाफ अपील करती रही है. अब कनाडा के न्याय मंत्री डेविड लामेटी ने कहा है कि एक बार इन समझौतों की रूपरेखा तय हो जाए तो सरकार अदालतों में दायर अपीलें वापस ले लेगी. इस समझौते के बाद किसे, कैसे और कब मुआवजा दिया जाएगा, इसका फैसला होना बाकी है. इस प्रक्रिया में भी देश के मूलनिवासियों का सबसे बड़ा संगठन असेंबली ऑफ फर्स्ट नेशंस शामिल रहेगा.

कनाडा के मूलनिवासी विभाग के मंत्री पैटी हेडू कहा कि कोई भी मुआवजा लोगों के प्रताड़ना के अनुभवों की बराबरी नहीं कर सकता. ये समझौते सैद्धांतिक तौर पर फंडिंग और सुविधाओं में हुए भेदभाव का दर्द झेलने वालों को स्वीकार करते हैं. हालांकि, फर्स्ट नेशंस की टीम फिलहाल इस घोषणा से बहुत संतुष्ट नहीं है. रॉयटर्स से बातचीत में संस्था की कार्यकारी निदेशक सिंडी ब्लैकस्टॉक ने कहा कि "मैं इसे कागज पर लिखे शब्दों की तरह ही देखती हूं. मेरे लिए असली जीत तब होगी जब मैं समाज में जाऊंगी और बच्चे मुझे कहेंगे कि उनकी जिंदगी कल से बेहतर हुई है." ब्लैकस्टॉक का मानना है कि व्यवस्था में जरूरी सुधारों के लिए अप्रैल 2022 से पैसा जारी हो जाना चाहिए लेकिन शायद ही उससे समस्या जड़ से हल हो पाए.

कनाडा के कुख्यात रिहाइशी स्कूल

2016 की जनगणना के मुताबिक, कनाडा में 14 साल से कम उम्र के बच्चों की कुल आबादी में मूलनिवासी बच्चे मात्र 7.7 प्रतिशत हैं. इसके बावजूद, बाल कल्याण के लिए बने देखभाल केंद्रों में आधे से ज्यादा बच्चे मूलनिवासी ही हैं. ये केंद्र, अब बंद हो चुके कुख्यात रिहाइशी स्कूलों का कुछ सुधरा हुआ रूप हैं. 1880 के दशक में शुरू हुए रिहाइशी स्कूल, मूलनिवासियों की नई पीढ़ी को जबरदस्ती कनाडा के गोरे समाज के साथ मिलाने की योजना का हिस्सा थे.

तस्वीर: Carlso Osorio/REUTERS

आंकड़े बताते हैं कि तीस वर्षों में कम से कम डेढ़ लाख मूलनिवासी बच्चों को परिवार से जुदा करके देखभाल केंद्रों में लाया गया है. इन केंद्रों में बच्चों को लाने के पीछे सरकार पारिवारिक गरीबी, घर, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी को आधार बताती रही है. लंबे समय से मूलनिवासी बच्चों को परिवारों से अलग करके कनाडा के गैर-मूलनिवासियों के साथ रखा जाता है या फिर सरकारी देखभाल केंद्रों में दाखिल किया जाता रहा है. ऐसे में ये बच्चे अपनी संस्कृति और असली परिवार से दूर हो जाते हैं.

साल 2015 में ट्रूथ एंड रीकॉन्सिलेशन कमीशन ने एक रिपोर्ट में दावा किया था कि इन रिहाइशी स्कूलों में रखे गए कई हजार बच्चों की मौत कुपोषण, बीमारी और अनदेखी के चलते हुई है. कई बच्चों के साथ शारीरिक और यौन शोषण हुआ है. कमीशन ने रिपोर्ट में इसे सांस्कृतिक नरसंहार करार दिया था. साल 2021 में कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत समेत देश के कुछ हिस्सों में रिहाइशी स्कूलों के आसपास अचिह्नित कब्रें मिली थीं. ये कब्रें बाल कल्याण व्यवस्था का शिकार बने बच्चों की थीं. इस मामले पर पूरे देश में प्रतिक्रियाएं होने लगी थीं. प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो मूलनिवासी संगठनों के साथ ऐसी ही एक कब्रगाह पर गए भी थे.

आरएस/एनआर (रॉयटर्स, एएफपी)

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