कैसा रहा दो पाकिस्तानी महिलाओं के भारतीय नागरिक बनने का सफर
२८ जून २०१९
बरेली की दो महिलाओं को भारत की नागरिकता पाने के लिए तीन दशक तक कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी, लेकिन आखिरकार उन्होंने नागरिकता हासिल कर ही ली.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/epa/H. Tyagi
विज्ञापन
पाकिस्तान के कराची शहर की रहने वाली शहला और मुख्तार राना की शादी यूपी के बरेली शहर में हुई. पहले तो उनका कराची आना-जाना लगा रहा लेकिन फिर उन्होंने बरेली में ही रहने की ठान ली, भारतीय नागरिकता पाने का आवेदन किया, कानूनी खानापूर्ति में तीन दशक लग गए, लेकिन अब ये दोनों महिलाएं भारत की नागरिक बन चुकी हैं.
बरेली के एडीएम सिटी महेंद्र कुमार सिंह ने इसी महीने जब दोनों महिलाओं को नागरिकता प्रमाण पत्र दिया तो शहला और मुख्तार राना की आंखों से आंसू छलक पड़े. मुख्तार राना के लिए तो ये पल इसलिए भी बेहद भावुक करने वाला था क्योंकि तीन साल पहले उनके पति की मौत हो गई थी और वो अपनी पत्नी को भारतीय नागरिक के तौर पर नहीं देख पाए.
भारत कैसे पहुंची एक पाकिस्तानी लड़की
पाकिस्तान के कराची शहर के बट्टा गांव के रहने वाले मोहम्मद मुख्तार अहमद की बेटी मुख्तार राना की शादी साल 1987 में बरेली के कांकर टोला निवासी सैयद कमर अली से हुई थी. मुख्तार अहमद भारत विभाजन के समय पाकिस्तान चले गए थे और वहां उनका बड़ा कारोबार था. मुख्तार राना ने शादी के बाद से ही भारतीय नागरिकता हासिल करने की कोशिश शुरू कर दी. इस दौरान उनके बच्चे हुए, बच्चे बड़े भी हो गए लेकिन नागरिकता पाने की उनकी कोशिश जारी रही.
वो कहती हैं, "निकाह के बाद मैं पाकिस्तान से बरेली आ गई. बरेली इतना अच्छा लगा कि फिर कभी कराची जाने का मन नहीं हुआ क्योंकि यहां भी उसी अपनेपन का अहसास होता था जो कि कराची में था. बस दिक्कत यही थी कि मैं यहां की नागरिक नहीं थी, इसलिए साल 2000 में नागरिकता के लिए मैंने आवेदन किया.”
मुख्तार राना बताती हैं कि उनका बेटा सऊदी अरब में है जबकि बेटी नोएडा स्थित एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में काम कर रही है. नागरिकता पाने की उन्हें जितनी खुशी है, उससे ज्यादा मलाल इस बात का है कि इसे देखने के लिए उनके पति जिंदा नहीं हैं.
तो किसी ने किया 32 साल इंतजार
बरेली की मुख्तार की ही तरह शहला भी भारतीय नागरिकता पाने के लिए बत्तीस साल से संघर्ष कर रही हैं. शहला भी कराची की रहने वाली हैं और बरेली के छिपी टोला में रहने वाले रईस मियां से उनकी शादी हुई है. रईस मियां ने पाकिस्तान जाकर शहला से निकाह किया था. भारत लौटने के बाद उन्होंने अपनी पत्नी को भारत की नागरिकता दिलाने के लिए दौड़भाग शुरू कर दी.
सबसे अधिक मुस्लिम आबादी वाला देश बनेगा भारत
साल 2050 तक भारत दुनिया में सबसे ज्यादा मुसलमान आबादी वाली देश होगा. अमेरिकी थिंक-टैंक पिऊ (PEW) के एक शोध के मुताबिक भारत में साल 2050 तक मुसलमानों की कुल जनसंख्या बढ़कर 31.1 करोड़ तक हो जायेगी.
तस्वीर: Getty Images/AFP/C. Khana
होगी दुनिया में सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी
वर्तमान में सबसे अधिक मुस्लिम आबादी इंडोनेशिया में है. लेकिन पिऊ शोध के मुताबिक 2050 तक भारत इस मामले में सबसे ऊपर होगा और दुनिया के 11 फीसदी मुसलमान भारत में होंगे जबकि उनकी आबादी 31.1 करोड़ हो सकती है. वहीं 2050 तक भारत में हिंदुओं की आबादी बढ़ कर 1.3 अरब होने का अनुमान है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/C. Khana
जनसंख्या बढ़ने के कारण
शोध ने भारत में बढ़ती आबादी के लिये युवाओं की माध्यमिक आयु और उच्च जन्म दर को मुख्य वजह बताया गया है. मुस्लिमों के लिए माध्यमिक आयु 22 वर्ष है जो हिंदुओं के लिए 26 साल और ईसाइयों के लिए 28 वर्ष है.
तस्वीर: picture-alliance/ANP/R. Vos
औसत बच्चे
भारत में मुसलमान महिलाओं के औसतन 3.2 बच्चे हैं वहीं हिंदू महिलाओं में यह औसत 2.5 बच्चों का है. ईसाइयों में प्रति महिला 2.3 बच्चों का औसत है.
तस्वीर: AP
आबादी में हिस्सेदारी
भारत की मुस्लिम आबादी में तेजी से वृद्धि हुई है. साल 2010 में कुल जनसंख्या में 14.4 फीसदी हिस्सेदारी मुसलमानों की थी जो साल 2050 तक बढ़कर 18.4 फीसदी तक पहुंच जायेगी. लेकिन इसके बाद भी हर चार में तीन व्यक्ति हिंदू ही होंगे.
तस्वीर: Sajjad Hussain/AFP/Getty Images
घटेंगे ईसाई
रिपोर्ट के मुताबिक साल 2050 तक भारत में ईसाइयों की जनसंख्या घट सकती है. फिलहाल भारत में ईसाई आबादी 2.5 फीसदी है जो साल 2050 तक घटकर 2.3 फीसदी तक हो सकती है.
तस्वीर: P. Bronstein/Getty Images
हिंदू की संख्या
2050 तक भारत की कुल हिंदू आबादी तुलनात्मक रूप से भारत, पाकिस्तान, इंडोनेशिया, नाइजीरिया और बांग्लादेश की कुल मुस्लिम आबादी से भी अधिक रहेगी.
तस्वीर: Getty Images/AFP/STR
तेजी से वृद्धि
पिऊ रिसर्च सेंटर ने साफ किया है कि मुसलमान दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाला धार्मिक समूह है. शोध के मुताबिक मुस्लिम आबादी, पूरी दुनिया की कुल आबादी की तुलना में अधिक तेजी से वृद्धि करेगी.
तस्वीर: AP
7 तस्वीरें1 | 7
गृह मंत्रालय की मंजूरी के बाद अब इन दोनों महिलाओं को भारतीय नागरिकता मिल गई है. इसका मतलब ये हुआ कि अब इन दोनों को भारत में रहने के लिए लंबी अवधि का वीजा बार-बार नहीं लेना पड़ेगा. इसके अलावा अब उनके वोटर कार्ड और राशन कार्ड भी बन सकेंगे और सरकारी योजनाओं का लाभ भी मिल सकेगा.
दरअसल, किसी विदेशी नागरिक के भारतीय नागरिकता देने की लंबी प्रक्रिया होती है. बरेली के एडीएम सिटी महेंद्र कुमार सिंह बताते हैं, "इसके लिए आवेदक को दोनों देशों के बीच तमाम तरह की सूचनाएं और कानूनी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है. गृह मंत्रालय से अनुमति मिलने के बाद दोनों ही महिलाओं को भारतीय नागरिकता के प्रमाणपत्र दे दिए गए हैं.”
भारतीयों-पाकिस्तानियों के बीच शादियां
दरअसल, भारत में इस तरह के कई मामले अकसर सामने आते रहते हैं. ऐसा इसलिए कि ऐसे तमाम लोग हैं जिनके परिवार के कुछ लोग पाकिस्तान चले गए लेकिन कुछ भारत में ही हैं. इन लोगों के बीच न सिर्फ आना-जाना है बल्कि शादियां भी होती रहती हैं और तब नागरिकता का मामला सामने आता है.
दो साल पहले भी बरेली में ही लंबी जद्दोजहद के बाद चार महिलाओं को भारत की नागरिकता मिली थी. इन महिलाओं का भी मामला कुछ ऐसा ही था जैसा कि शहला और मुख्तार राना का था. यानी दोनों की शादी भारत में हुई और ये खुद पाकिस्तान की थीं.
वहीं इसी साल दो ऐसी लड़कियों को पहली बार भारत में वोट देने का मौका मिला जिनके पिता भारतीय हैं और मां पाकिस्तानी. पाकिस्तान में जन्मी इन दो बहनों ने पहली बार भारत में वोट दिया. वाराणसी की रहने वाली इन दोनों बहनों का जन्म कराची में हुआ था. 28 साल की निदा और 24 साल की उनकी बहन महरूख को इस साल 23 मार्च को काफी मशक्कत के बाद भारतीय नागरिकता मिली और नागरिकता मिलने के बाद पहली बार दोनों बहनों ने अपने वोट देने के अधिकार का इस्तेमाल किया.
दोनों बहनों के पिता वाराणसी के नसीम अख्तर और कराची की शाहिन बानो की शादी साल 1989 में हुई थी. बच्चियों का जन्म कराची में हुआ और बाद में बानो वाराणसी आ गईं. पति अख्तर ने शादी के बाद पत्नी की नागरिकता के लिए आवेदन किया और फिर 2007 में पहले पत्नी को नागरिकता दिलाने में सफल रहे. उसके बाद उनकी बेटियों ने नागरिकता हासिल की. नागरिकता हासिल होने से पहले दोनों बहनें लंबी अवधि के वीजा पर ही रह रही थीं और यहीं पढ़ाई कर रही थीं.
भारत-पाकिस्तान के बीच रिश्तों में तनाव रहना कोई नई बात नहीं है. लेकिन बॉलीवुड में ऐसी तमाम हस्तियां हैं और थीं जिनका पाकिस्तान की सरजमीं से एक अलग ही रिश्ता है. एक नजर ऐसे सितारों पर जो पाकिस्तान से जुड़े हैं.
तस्वीर: Getty Images/AFP/Stringer
दिलीप कुमार
गुजरे जमाने के बेहतरीन अभिनेता दिलीप कुमार का जन्म भी लाहौर में हुआ था. लेकिन भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद वह भारत आ गए. उनका असली नाम भी यूसुफ खान था.
तस्वीर: Getty Images/AFP/STR
राजेश खन्ना
बॉलीवुड के पहले सुपरस्टार कहे जाने वाले राजेश खन्ना का जन्म पाकिस्तान के पंजाब में हुआ था. खन्ना को उनके असल माता-पिता के रिश्तेदारों ने गोद लिया था और उनका यह परिवार लाहौर से मुंबई आ बसा था.
तस्वीर: UNI
राज कपूर
अभिनेता राज कपूर और उनके पिता पृथ्वी राज कपूर दोनों का जन्म पाकिस्तान के पेशावर में हुआ था. उस वक्त पेशावर में इनकी कोठी कपूर विला भी हुआ करती थी. लेकिन यह परिवार 1930 के दशक में ही पेशावर से मुंबई आ गया.
अभिनेता सुनील दत्त का जन्म 1927 में पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में हुआ था. जब वह 18 साल के थे तब उनका परिवार एक मुस्लिम दोस्त की मदद से भारत आकर यमुना नगर में रहने लगा था. यमुना नगर आज हरियाणा में आता है.
तस्वीर: SEBASTIAN D'SOUZA/AFP/Getty Images
शशि कपूर
अभिनेता शशि कपूर का जन्म पाकिस्तान के पेशावर में हुआ था. जब उनका देहांत हुआ तो पेशावर में बने उनके घर के बाहर भी शोक सभा की गई थी.
तस्वीर: dapd
प्रेम चोपड़ा
बॉलीवुड में 350 से भी ज्यादा फिल्मों में काम करने वाले प्रेम चोपड़ा का जन्म लाहौर में हुआ था. लेकिन विभाजन के बाद उनका परिवार शिमला आ गया था.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo
देव आनंद
एक वकील परिवार में पैदा हुए देव आनंद का जन्म पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में हुआ था. लेकिन विभाजन के बाद परिवार भारत आ गया और साल 1949 में अपने भाई चेतन आनंद के साथ मिलकर देव आनंद ने नवकेतन फिल्म कंपनी बनाई
तस्वीर: AP
अमरीश पुरी
बॉलीवुड में बतौर खलनायक जगह बनाने वाले अमरीश पुरी भी पाकिस्तान में ही जन्मे थे. 1932 में पुरी का जन्म लाहौर में रहने वाले खत्री परिवार में हुआ था.
तस्वीर: AP
गुलजार
मशहूर गीतकार गुलजार का असली नाम संपूरन सिंह कालरा है. उनका जन्म पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में बसे शहर दीना में हुआ था. विभाजन के बाद जब उनका परिवार उस वक्त बंबई में बसा तो आर्थिक तंगहाली के चलते उन्हें अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी थी.
तस्वीर: DW/Jasvinder Sehga
अमिताभ बच्चन
सदी के महानायक कहे जाने वाले अमिताभ बच्चन की मां तेजी बच्चन का जन्म पाकिस्तान के लायलपुर में हुआ था. अब यह शहर फैसलाबाद के नाम से जाना जाता है.
तस्वीर: picture alliance/ZUMA Press/India Today
शाहरुख खान
अभिनेता शाहरुख खान के पिता मीर ताज मुहम्मद का तालुक्क पाकिस्तान के पेशावर से था. बकौल शाहरुख उनके दादा जान मुहम्मद अफगानिस्तान से तालुक्क रखने वाले पश्तून थे. 1948 में उनका परिवार पेशावर से दिल्ली आ गया था.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/M. Balk
गोविंदा
अभिनेता गोविंदा का परिवार भी विभाजन के बाद भारत का आ गया. गोविंदा के पिता अरुण कुमार आहूजा का जन्म पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में बसे शहर गुजरांवाला में हुआ था.
तस्वीर: Prabhakar Mani Tiwari
रितिक रोशन
अभिनेता रितिक रोशन के दादा पाकिस्तान के सियालकोट में रहा करते थे. सियालकोट पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में आता है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/M. Rasfan
विवेक ओबेरॉय
अभिनेता विवेक ओबेरॉय के पिता और अभिनेता सुरेश ओबेरॉय का जन्म पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत साल 1946 में हुआ था. विभाजन के बाद इनका परिवार हैदाराबाद में रहने लगे और मेडिकल चेन शुरू कर दी.