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लक्ष्मण ने खींची अंतिम रेखा

१९ अगस्त २०१२

असीमित ओवरों का भारतीय क्रिकेट बीते दो दशकों में जिस चौकड़ी के दम से कुलांचे भरता रहा उसका आखिरी पाया भी नमस्ते क्रिकेट बोल गया है. भारतीय क्रिकेट के वेरी वेरी स्पेशल लक्ष्मण ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को कहा अलविदा.

तस्वीर: Getty Images/AFP

टेस्ट क्रिकेट की रीढ़ रही इस चौकड़ी के एक तरफ सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ हैं तो दूसरी तरफ अनिल कुंबले और वीवीएस लक्ष्मण. सलामी बल्लेबाज नींव रखते तो मध्यक्रम के मसीहा उस पर बुलंदी की इमारत चिनते. ओपनर लड़खड़ा गए तो भी कई बार इमारत इतनी बुलंद बनी कि बाद में किसी को याद ही नहीं रहा कि नींव रखने वाले अपनी जिम्मेदारी में नाकाम रहे थे. इडेन गार्डेन के मैदान पर लक्ष्मण की उस ऐतिहासिक पारी को भूलना आसान नहीं जब उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 281 रन ठोंक कर मैच का पासा पलट दिया था.

भारत ऑस्ट्रेलिया की क्रिकेट जंग वीवीएस लक्ष्मण के भारतीय क्रिकेट टीम में होने और न होने का फर्क जानती है. सचिन तेंदुलकर के बाद वो अकेले ऐसे भारतीय बल्लेबाज हैं जिन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 2000 से ज्यादा रन बनाए हैं. जितनी कामयाबी उन्हें भारत की जमीन पर नसीब हुई है उतनी ही विदेशी जमीन पर भी. वीवीएस लक्ष्मण ने भारत की झोली में कुछ बेहद शानदार जीतें डाली है. वैसे 134 टेस्ट मैचों में 45.97 के औसत से कुल 8,781 रन उनकी कामयाबी की दास्तां खुद ही बयान कर देते हैं. इसमें 17 शतक और 56 अर्धशतक शामिल हैं.

तस्वीर: Getty Images/AFP

सचिन, द्रविड़ और गांगुली जैसे दिग्गजों के दौर में क्रिकेट खेलने का यह असर भी हुआ कि उनकी कामयाबियों पर कम बात होती है. इस लक्ष्मण रेखा के पार कुछ बेहद लंबी लाइनें हैं जिनकी चमक कई बार लोगों को उन तक पहुंचने से पहले ही रोक देती हैं पर इससे उनका असर कम नहीं होता.

क्रिकेट पिच पर जितनी शान से उनका बल्ला गरजता है, ड्रेसिंग रूम में और मैदान के बाहर उनकी आवाज उतनी ही कम सुनाई देती है. आईपॉड में केवल भजनों को जगह देने वाले वीवीएस लक्ष्मण ज्यादातर बार मैदान पर उतरने से ठीक पहले नहाने के लिए जाते हैं. उनकी इस आदत की वजह से एक दो बार तो बल्लेबाजी का क्रम बदलना पड़ा. टीम इंडिया के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली कहते हैं, "एक बार तो ऐसा भी हुआ कि शुरू के दो विकेट जल्दी गिर गए और हम उसे ढूंढते रह गए. आनन फानन में फिर मुझे बल्लेबाजी के लिए जाना पड़ा क्योंकि खेल रुक गया था. बाद में पता चला वह नहा रहा था. मैं गारंटी दे सकता हूं कि वह 134 मैचों में से 125 बार मैदान में उतरने से ऐन पहले नहाने गया." वैसे गांगुली के पास लक्ष्मण के बारे में बताने के लिए न तो कहानियों की कमी है न क्रिकेट पिच पर उनकी कामयाबियों की.

तस्वीर: Getty Images/AFP

पहले तीसरे नंबर पर और बाद में पांचवें या छठे नंबर पर बल्लेबाजी के लिए आने वाले वीवीएस लक्ष्मण ने बैटिंग ऑर्डर की परवाह किए बगैर अपनी भूमिका निभाई. तीसरे नंबर पर रह कर उन्होंने 1611 रन बनाए तो पांचवें पर 2877 और छठे नंबर पर 2760. 37 साल के लक्ष्मण ने सीमित ओवरों के 86 मैचों में 30.76 के औसत से 2338 रन बनाए हैं. दुर्भाग्य से वह 16 साल के लंबे क्रिकेट करियर के बावजूद कभी भी भारत की वर्ल्ड कप टीम का हिस्सा नहीं रहे. एक ही गेंद को ऑफ और ऑन दोनों तरफ खेलने के महारथी वीवीएस लक्ष्मण ऑफ साइड की तरफ ज्यादा सहजता से गेंदों को सीमा पार पहुंचाते हैं.

लक्ष्मण की गैरमौजूदगी टीम इंडिया को खलेगी इसमें कोई संदेह नहीं. खुद सचिन तेंदुलकर ने लिखा है, "हैदराबाद के मैदान पर उतरते वक्त वो मुझे याद आएंगे और मुझे नहीं लगता कि टीम में उनके न होने से पैदा हुआ खालीपन कभी भी भरा जा सकेगा." लक्ष्मण को न्यूजीलैंड के साथ होने वाले दो टेस्ट मैचों के लिए टीम में शामिल किया गया था लेकिन उन्होंने उसके पहले ही अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया.

तस्वीर: Getty Images/AFP

संन्यास के फैसले को "अंतरात्मा की आवाज" बताते भावुक लक्ष्मण ने कहा, "मैं अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से अपने संन्यास का एलान तत्काल प्रभाव से करना चाहता हूं. मेरे ख्याल में आगे बढ़ने का वक्त आ गया है." लक्ष्मण के एलान से पूरे क्रिकेट जगत में हैरानी है और लोगों को यह आशंका भी सता रही है कि कहीं वो किसी बात से दुखी तो नहीं लेकिन अब तक ऐसी कोई बात सामने नहीं आई है. यहां तक कि उनकी बीवी शैलजा ने भी इस फैसले पर हैरानी जताई है. आंसू भरी आंखों के साथ शैलजा ने कहा, "मैं खुद बहुत हैरान हूं, मुझे तो उम्मीद थी कि वो आगामी ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के साथ टेस्ट सीरीज में पिछली हार को बराबर करने के लिए खेलेगा."

लक्ष्मण ने कहा कि वह नए खिलाड़ियों को मौका देना चाहते हैं. उन्होंने क्रिकेट में नई प्रतिभाओं को संवारने के काम में अपनी दिलचस्पी दिखाई है और आगे वो यही करना चाहते हैं. क्रिकेट के मैदान पर मध्यक्रम की कामयाबियों की वह ऐसी लक्ष्मण रेखा हैं जिसके पार जाने का साहस कम ही खिलाड़ियों में दिखता है.

रिपोर्टः एन रंजन/ पीटीआई

संपादनः महेश झा

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