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लगातार तनाव से टूटे जर्मन रेफरी रफाती

२६ नवम्बर २०११

पिछले हफ्ते बुंडसलीगा के मैच से ठीक पहले आत्महत्या की कोशिश करने वाले रेफरी को आखिर क्या तकलीफ थी कि उसने जान देने का फैसला कर लिया. 41 साल के बबाक रफाती का इलाज करने वाले डॉक्टरों के मुताबिक उन पर जबरदस्त दबाव था.

तस्वीर: picture alliance/ZB

बुंडेसलीगा में कोलोन और माइंज की टीमों के खिलाड़ी कमर कस कर मुकाबले में उतरने को तैयार थे कि अचानक खबर आई रेफरी बबाक रफाती अपने होटल के कमरे के बाथटब में घायल पड़े मिले हैं. रफाती ने नस काट कर जान देने की कोशिश की थी लेकिन समय रहते पता चल जाने के कारण उन्हें बचा लिया गया. जान बच गई लेकिन पूरे खेल जगत में सन्नाटा फैल गया.

तस्वीर: picture alliance/Sven Simon

हफ्ते भर के इलाज के बाद रफाती को अब अस्पताल से छुट्टी मिल गई है. उनके वकील स्वेन मेन्के ने बयान जारी कर कहा है कि रफाती का इलाज कर रहे डॉक्टरों ने पिछले कुछ महीनों में उनके भीतर तनाव के लक्षण देखे हैं. माना जाता है कि रफाती में तनाव का पहला लक्षण 18 महीने पहले नजर आया था और उसके बाद से यह लगातार बढ़ता गया. मेन्के ने कहा है, "रफाती की निजी राय में रेफरी के रूप में उन पर बेहतर प्रदर्शन का दबाव और उसके बाद मीडिया का दबाव, इन दोनों के साथ आने का नतीजा यह हुआ कि वो लगातार गलती करने के भय में जीने लगे. यह डर लगातार बढ़ता गया. एक स्तर पर पहुंचने के बाद यह रोजमर्रा की बात हो गई जिसका उनके पास कोई समाधान नहीं था और एक समय ऐसा भी आया जब उन्हें महसूस हुआ कि वो इसके साथ नहीं जी सकते."

तस्वीर: picture-alliance/dpa

मेन्के ने बताया, "रफाती ने इस बीमारी का सामना करने का फैसला किया. एक बार इलाज करा कर वह रेफरी के रूप में भी अपनी सामान्य जिंदगी जीना चाहते हैं." इस घटना ने जर्मन फुटबॉल को सन्न कर दिया है. लोगों के जेहन में दो साल पहले जर्मन गोलकीपर रॉबर्ट एन्के की खुदकुशी की बुरी याद अब भी ताजा है. 10 नवंबर 2009 को एन्के ने एक चलती ट्रेन के आगे कूद कर जान दे दी थी.

जर्मन फुटबॉल महासंघ के अध्यक्ष थिओ ज्वाजिगर का कहना है, "यह सही और अहम बात है कि रफाती ने इस बीमारी से लड़ने का फैसला किया और इस बारे में विशेषज्ञों से मदद मांगी है." फुटबॉल महासंघ की तरफ से कहा गया है कि रफाती को हर मुमकिन मदद दी जाएगी. इसके अलावा एन्के के नाम पर बने फाउंडेशन ने भी रफाती की मदद का वादा किया है. यह फाउंडेशन तनाव पर शोध और इलाज के लिए काम करता है.

रफाती जर्मन फुटबॉल महासंघ के साथ रेफरी के रूप में 1997 से ही जुड़े हुए हैं. 2005 से वो महासंघ के शीर्ष रेफरियों में शामिल हैं. अब तक बुंडसलीगा के 84 मैचों में रेफरी का दायित्व संभाल चुके रफाती 2008 से फीफा के भी रेफरी हैं. रफाती के आत्महत्या की कोशिश के बाद कोलोन और माइंज के बीच रद्द हुआ मैच अब 13 दिसंबर को खेला जाएगा.

रिपोर्टः एपी/एन रंजन

संपादनः ओ सिंह

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