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दिमाग की वायरिंग

१० दिसम्बर २०१३

कहा जाता है कि लड़कियां बहुत भावुक होती हैं, छोटी छोटी बातों पर रो पड़ती हैं. जबकि लड़के कड़े और मजबूत दिल के होते हैं. जी हां, यह सच है कि लड़कियां लड़कों सी नहीं होतीं, लेकिन यह दिल का नहीं, दिमाग का मामला है.

तस्वीर: Fotolia/Werner Heiber

लड़कों और लड़कियों के दिमाग में नसों की बनावट अलग होती है. ताजा रिसर्च का दावा है कि इसीलिए चीजों को समझने का तरीका भी अलग होता है. इंसानी दिमाग दो हिस्सों में बंटा होता है. दिमाग का दायां हिस्सा शरीर के बायें हिस्से को संभालता है और दायें हिस्से को बायां. यानी सीधे हाथ से लिखने वालों के दिमाग का बायां हिस्सा ज्यादा सक्रिय है. इसके अलावा हर हिस्से में अलग अलग काम का बंटवारा भी होता है. इन हिस्सों के अंदर नसों की बनावट कुछ ऐसी होती है कि दिमाग अलग अलग अहसास समझ सके.

दिमाग की उलझन

अमेरिका की प्रतिष्ठित पत्रिका प्रोसेडिंग्स ऑफ नेशनल एकैडमी ऑफ साइंसेज (पीएनएएस) की रिसर्च बताती है कि महिलाओं और पुरुषों के दिमाग में सबसे बड़ा अंतर यह है कि महिलाओं में दोनों हिस्से एक दूसरे से बेहतर रूप से जुड़े होते हैं. एक हिस्सा आसानी से दूसरे हिस्से तक सूचना पहुंचाता है, जबकि पुरुषों में ऐसा नहीं होता. लेकिन उनके लिए भी यह कोई मायूसी की खबर नहीं, क्योंकि अच्छी बात यह है कि पुरुषों के दिमाग के एक ही हिस्से के अंदर सूचना का प्रवाह महिलाओं की तुलना में बेहतर होता है.

यानी बाएं हाथ को भले खबर न लगे कि दाहिना हाथ क्या कर रहा है, लेकिन दोनों हाथ अपना काम बखूबी करते हैं. जबकि महिलाओं में दोनों को एक दूसरे की अच्छी तरह खबर होती है, पर अपने अपने काम की उतनी नहीं.

अब आपको शादी की सालगिरह याद रखने और भूल जाने के चक्कर पर झगड़ने की जरूरत नहीं.तस्वीर: jorgophotography - Fotolia.com

महिलाओं की याददाश्त

पीएनएएस अमेरिकी राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी की पत्रिका है. इसकी रिसर्च में दावा किया गया है कि दिमाग में नसों की बनावट के ब्योरे से समझा जा सकता है कि क्यों पुरुष ड्राइविंग में और रास्ते याद रखने में बेहतर होते हैं, जबकि महिलाओं की याददाश्त ज्यादा अच्छी होती है और वे रिश्ते भी बेहतर रूप से निभाती हैं.

रिसर्च यूनिवर्सिटी ऑफ पेनिसिल्वेनिया में मधुरा इंगलहलिकर के नेतृत्व में हुई. इंसानी दिमाग को समझने के लिए उन्होंने डिफ्यूजन टेंशन इमेजिंग तकनीक का इस्तेमाल किया. इससे वह तंत्रिका तंत्र को बेहतर रूप से देख सकीं. टीम ने 949 लोगों के दिमाग पर तकनीक का उपयोग किया. इनमें आठ से 22 साल के 428 पुरुष और 521 महिलाएं थीं.

पुरुषों की ड्राइविंग

टीम ने नतीजा निकाला कि पुरुषों का दिमाग सोच और क्रिया को बेहतर रूप से संयोजित कर सकता है. मिसाल के तौर पर अगर वे गेंद को हवा में देखें तो जल्द ही हिसाब लगा सकते हैं कि उसे कैसे लपका जा सकता है, या फिर सड़क पर अगर सामने से अचानक ही कोई गाड़ी आ जाए तो कब और कैसे ब्रेक लगाना है. वहीं महिलाओं का दिमाग चीजों का बेहतर विश्लेषण कर पाता है और अनुभवों के आधार पर उसे सहज ज्ञान से जोड़ता है.

पहले की रिसर्च में देखा गया है कि महिलाएं चेहरे और नाम याद रखने में ज्यादा सक्षम होती हैं. यानी अब आपको शादी की सालगिरह याद रखने और भूल जाने के चक्कर पर झगड़ने की जरूरत नहीं, क्योंकि ये सब बस दिमाग का खेल है.

रिपोर्ट: ईशा भाटिया (डीपीए)

संपादन: ए जमाल

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