यूक्रेन के लिए रूस के साथ समझौता जरूरी
११ जनवरी २०१५यूक्रेन इस हफ्ते ऑर्थोडॉक्स क्रिसमस मना रहा था. लेकिन छुट्टी में आराम के लिए राजनीतिज्ञों के पास वक्त नहीं है. सरकार प्रमुख आर्सेनी यात्सेन्युक के अलावा वित्त और वाणिज्य मंत्री बर्लिन के दौरे पर थे. जर्मनी और यूक्रेन अपने संबंधों को बढ़ा रहे हैं. और इसमें यूक्रेन के भविष्य का भी सवाल है. यूक्रेन के ज्यादातर लोग देश का भविष्य यूरोपीय संघ में देखते हैं.
लेकिन यूक्रेन की मौजूदा हालत यह संभावना नहीं देती कि यह उम्मीद और उसके साथ लोगों की बेहतर जिंदगी की चाहत जल्द पूरी होगी. यह देश अभी युद्ध में है. देश के दक्षिण में क्रीमिया को रूस ने हथिया लिया है और देश का पूर्वी हिस्सा जहां महत्वपूर्ण कारखाने हैं, ध्वस्त पड़े हैं. युद्ध मुश्किल आर्थिक स्थिति को और खराब बना रहा है. देश का दिवालिया होना संभव लगता है. सिर्फ बाहर की भारी मदद से ही यूक्रेन आने वाले महीनों में संभल सकता है.
धुंधली उम्मीदें
इसीलिए प्रधानमंत्री यात्सेन्युक ने जर्मनी में समर्थन की अपील की. यूक्रेन को रूस समर्थक अलगाववादियों के खिलाफ संघर्ष में मदद चाहिए. उन्होंने पूर्वी यूक्रेन को युद्ध में धकेल दिया है और उन्हें रूस से पैसे, हथियार और लड़ाकों की मदद मिल रही है. तय संघर्षविराम लागू नहीं हो रहा है. पहले की ही तरह लोग मर रहे हैं और उनमें आम नागरिक भी हैं. राजनीतिक समाधान होता नहीं दिखता.
उम्मीदें अंतरराष्ट्रीय संपर्क दल के दायरे में एक नई यूरोपीय मध्यस्थता पर टिकी हैं. इसका मकसद सैनिक तनाव के भड़कने को रोकना है. लेकिन यह संकट बैठक हो पाएगी या नहीं, इसमें शक है. जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल को संशय है. फिर भी उन्होंने यात्सेन्युक के साथ बातचीत में इस पहल के लिए समर्थन मांगा. साथ ही उन्होंने इसमें कोई संदेह नहीं रहने दिया कि रूस को यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता का पालन करना होगा.
हथियारों के बदले सुधार
यूक्रेन ने यह युद्ध शुरू नहीं किया. फिर भी बर्लिन इस बात से चिंतित है कि कीव सरकार एक व्यापक शस्त्रीकरण कार्यक्रम चला रही है. देश के चोटी के राजनीतिज्ञ कह रहे हैं कि उनका देश सैनिक तौर पर जीत सकता है. मुठ्ठियां भले ही बंधी हों लेकिन यूक्रेन को साफ होना चाहिए कि जब तक रूस अलगाववादियों की मदद कर रहा है, युद्ध में जीत संभव नहीं है. यूक्रेन में शांति तभी संभव है जब पुनर्निर्माण की प्रक्रिया में तेजी आए. पूरब में पुनर्निर्माण के लिए जर्मनी यूक्रेन को 50 करोड़ यूरो के कर्ज की गारंटी देगा.
यूरोपीय संघ के दायरे में यूक्रेन की मदद के लिए अरबों का कर्ज देने की तैयारी चल रही है. लेकिन इसके लिए जरूरी शर्तें यूक्रेन को खुद तैयार करनी होगी. उसे घोषित सुधारों को लागू करना होगा. उसमें भ्रष्टाचार और अधिकारियों की मनमानी के खिलाफ संघर्ष भी शामिल है. इस पर भी बर्लिन में चर्चा हुई. नए निवेशक तभी आएंगे जब अनुकूल माहौल बनेगा. और युद्ध को भी खत्म करना होगा, लेकिन वह रूस के साथ समझौते के बिना संभव नहीं है. यात्सेन्युक की सरकार को नई नीतियों को लागू करना होगा. इसका सबूत उन्हें अभी देना है.