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"लड़ाई से नहीं, भूख से मारो"

ओएसजे/आईबी (एपी)२० फ़रवरी २०१६

विद्रोहियों के कई इलाकों को नियंत्रण में लेने के बाद सीरियाई सेना अब सबसे बड़े लक्ष्य की ओर बढ़ रही है. लेकिन इस अभियान में 3,00,000 लोगों की जान भी दांव पर है.

तस्वीर: picture-alliance/dpa/I. Pitalev

अलेप्पो के बाहरी इलाके अब भी सीरियाई विद्रोहियों के नियंत्रण में हैं. रूसी हवाई हमलों का सपोर्ट पाने वाली सीरियाई सेना ने हाल के समय में इन इलाकों में छुपे विद्रोहियों की सप्लाई चेन काट दी है. हर तरह की सप्लाई चेन काटने की इस प्रक्रिया को सैन्य शब्दावली में सीज कहा जाता है. येरुशलम, लेनिनग्राद और सारायेवो में भी इसका इस्तेमाल हो चुका है. सीज युद्ध अपराध की श्रेणी में नहीं है. लेकिन सीरिया के मदाया शहर से आई भुखमरी की तस्वीरों के बीच अब सीज को भी युद्ध अपराध की श्रेणी में लाने की मांग हो रही है.

रूस के हवाई हमले जारीतस्वीर: picture-alliance/dpa/Russian Defence Ministry's Press and Information Department/TASSpicture-alliance/dpa/Russian Defence Ministry's Press and Information Department/TASS

समर्पण करो या भूखे मरो

अमेरिका का कहना है कि सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद युद्ध के नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने असद पर "समर्पण करो या भूखे मरो" की नीति अपनाने का आरोप लगाया है. नीदरलैंड्स के एक गैरलाभकारी संगठन पीएएक्स की रिपोर्टे के मुताबिक 10 लाख से ज्यादा बाशिंदों पर सीज का सीधा असर पड़ रहा है.

संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि सीज का असर 18 समुदायों के 50 लाख लोगों पर पड़ रहा है. इनमें मदाया के लोग भी शामिल हैं. इन लोगों को किसी भी तरह मानवीय सहायता नहीं पहुंच पा रही है. मदाया में भूख से अब तक कम के कम 44 लोगों की मौत हो चुकी है.

सीज का सहारा लेकर असद समर्थक विद्रोहियों के साथ आमने सामने की सीधी लड़ाई से बच रहे हैं. सरकार समर्थक गुट विद्रोहियों को आत्मसमर्पण करने पर मजबूर कर रहे हैं.

हाल के समय में रूस के हवाई हमलों की वजह से भी हालात ज्यादा बिगड़े हैं. हवाई हमलों के चलते लोगों को एक जगह पर घेरना आसान हुआ है. वॉशिंगटन के इंस्टीट्यूट फॉर नियर ईस्ट पॉलिसी के एंड्र्यू टैब्लर के मुताबिक विद्रोही भी इसका फायदा उठा रहे हैं. सेंटर फॉर स्ट्रैटजिक एंड इंटरनेशनल स्ट्डीज के आराम नेरगुईजियान के मुताबिक विद्रोही भी इलाकों को सीज कर रहे हैं.

जो बच गए वो बेघर शरणार्थी हो गएतस्वीर: Getty Images/AFP/A. Nimani

अलेप्पो में सीज क्यों

ऐतिहासिक शहर अलेप्पो 13वीं शताब्दी से ही कारोबार का केंद्र रहा है. मंगोल और बाहरी हमलावर पौराणिक मूल्यवान चीजों के लिए बार बार इस शहर पर हमला किया करते थे. शहर की अहमियत के चलते विद्रोहियों ने भी 2012 में अलेप्पो के बाहरी इलाकों को कब्जे में लिया. फरवरी 2016 में सेना ने शहर के उत्तरी इलाके को अपने नियंत्रण में लिया. इसके बाद विद्रोहियों को तुर्की की तरफ से मदद नहीं मिल पा रही है. इसे विपक्ष के लिए निर्णायक झटका बताया जा रहा है.

सीरिया और रूस ने अलेप्पो संघर्ष के जारी रहने के संकेत दिए हैं. पिछले हफ्ते संघर्ष विराम के एलान के बावजूद ऐसा होगा. सीरिया ने अलेप्पो के कुछ इलाकों में विमानों के जरिये पर्चे भी गिराए. इन पर साफ चेतावनी थी कि, "तुम्हारे चारों ओर फंदा कसता जा रहा है." विद्रोहियों के सामने आत्मसमर्पण का विकल्प भी रखा गया है.

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