लता मंगेशकर ने दुनिया को कहा अलविदा
६ फ़रवरी २०२२उन्हें कोरोना से संक्रमित होने के बाद 8 जनवरी को अस्पताल में भर्ती कराया गया था. कोरोना के लक्षण दिखने के बाद अस्पताल में भर्ती लता मंगेशकर को उनकी उम्र देखते हुए दो दिन बाद ही आईसीयू में भेज दिया गया. उनकी हालत में सुधार हो रहा था लेकिन पिछले दिनों फिर तबियत बिगड़ने लगी. आखिरकार रविवार सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर शोक जताया है. उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि इस शोक को व्यक्त करने के लिए उनके पास शब्द नहीं हैं. प्रधानमंत्री ने यह भी कहा है, "जो उपकार और प्यार लता दीदी ने हमें दिया है. उन्होंने हमारे देश में ऐसा खालीपन छोड़ दिया है जिसे कभी भरा नहीं जा सकेगा." सिनेमा जगत के साथ ही पूरा देश इस समय शोक में डूबा है.
13 साल की उम्र में शुरू हुआ करियर
28 सितंबर, 1929 को इंदौर में जन्मी लता मंगेशकर का करियर 13 साल की उम्र में ही शुरू हो गया. तब उनके संगीतकार पिता की असमय मौत हो गई थी और मां के साथ चार छोटे भाई बहनों की जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई. पिता से विरासत में मिला संगीत और उनकी सुरीली आवाज उनकी पहचान बनी. पांच साल बाद ही उन्होंने फिल्मों में गाना शुरू कर दिया. फिल्म महल के गीत 'आएगा आने वाला ने' उनकी आवाज को भारत के घर घर तक पहुंचाया.
हिंदी फिल्म जगत में प्लेबैक सिंगिंग को जो ऊंचाई उनकी आवाज ने दी है उसकी दूसरी कोई मिसाल नहीं. हालांकि उन्हें महज प्लेबैक सिंगर कहना उनके कद को छोटा करना होगा. उन्होंने एक हजार से ज्यादा फिल्मों के लिए गाने गाए हैं और बीते सात दशकों में शायद ही कोई बड़ा संगीतकार होगा जिसने उनके साथ काम करने की इच्छा ना रखी हो. 36 भाषाओं में गाए गए उनके 15000 से ज्यादा गाने देश और दुनिया के लिए वो खजाना है जिनकी खनक सदियों तक गूंजती रहेगी. इतना ही नहीं कम से कम 50 सालों में हिंदी सिनेमा जगत की ऐसी कोई बड़ी अभिनेत्री नहीं बनी जिसके लिए लता मंगेशकर ने गाना नहीं गाया हो. वैसे लता मंगेशकर ने करियर की शुरुआत में कुछ फिल्मों में अभिनय भी किया था.
'ऐ मेरे वतन के लोगों'
कवि प्रदीप का लिखा गाना 'ऐ मेरे वतन के लोगों' उन्होंने 1963 में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति एस राधाकृष्णन और प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु की मौजूदगी में गाया था. उनका गाना सुन कर जवाहरलाल नेहरू रो पड़े थे. लता के सुर में सजने के बाद ये गाना भारत में राष्ट्रभक्ति का तराना बन गया और हर साल स्वतंत्रता दिवस के मौके पर गाया जाता है.
उन्होंने लगातार 8 दशकों तक अपने गले की मिठास से सुनने वालों के मन की कड़वाहट दूर की है. हर किसी के पास उनको सुनने और पसंद करने के लिए उनके गीत और उनसे जुड़े किस्से हैं. ऊंचे से ऊंचा सुर भी उनके गले से निकल कर मीठा बन जाता था और उम्र ने तो जैसे उनकी आवाज पर असर ना करने की कसम ही खा रखी थी.
शास्त्रीय गायन, फिल्मों के लिए प्लेबैक सिंगिंग और देश विदेश में लाइव कंसर्ट के जरिए लता मंगेशकर ने अपनी आवाज पूरी दुनिया तक पहुंचा दी. उन्होंने शादी नहीं की और पूरा जीवन संगीत को समर्पित कर दिया.
रॉयल्टी में हिस्सेदारी
हिंदी सिनेमा जगत में उनका एक और बड़ा योगदान गायकों के लिए है. उन्होंने ही फिल्मों में गायकों को रॉयल्टी में हिस्सेदारी दिलाने की शुरूआत की थी. इसके लिए उन्होंने उस वक्त के फिल्म डायरेक्टरों और प्रोड्यूसरों से लंबी लड़ाई लड़ी. बहुत सारे लोग नाराज भी हुए लेकिन इस आवाज के जादू के आगे किसी की एक ना चली. इसके अलावा उनकी छोटी बहन आशा भोंसले प्लेबैक सिंगिंग की एक और बेहद मजबूत हस्ताक्षर हैं जो उनकी छत्रछाया में ही आगे बढ़ीं.
स्वर कोकिला, स्वर साम्राज्ञी, नाइटिंगल ऑफ इंडिया ऐसी ना जाने कितनी उपाधियां लता मंगेशकर के नाम से जुड़ कर धन्य हुईं. संगीत की दुनिया का यह अनमोल सितारा अब धरती पर चलते फिरते नजर नहीं आएगा लेकिन उसके गीतों की मीठी गूंज संसार के कानों में हमेशा सुनाई देती रहेगी.
एनआर/एमजे(एपी, एएफपी, रॉयटर्स)