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लद्दाख में पीछे नहीं हट रहा है चीन

चारु कार्तिकेय
२३ जुलाई २०२०

भारत और चीन के बीच सैन्य वार्ताओं के कई दौर भी दोनों देशों के बीच तनाव को कम नहीं कर सके हैं. बताया जा रहा है कि लद्दाख में जहां जहां चीनी सेना भारतीय इलाके में घुस आई थी, उनमें से कई जगहों पर सिपाही अभी भी तैनात हैं.

Indien China Konflikt Indian Air Force
तस्वीर: Getty Images/AFP/T. Mustafa

इन मीडिया रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि डेपसांग, गोगरा और पर्वतीय 'फिंगर्स' वो तीन इलाके हैं जहां निश्चित रूप से कम से कम 40,000 चीनी सैनिक भारतीय सीमा के कई किलोमीटर अंदर तक मौजूद हैं. इतना ही नहीं, इन स्थानों पर सिर्फ चीनी सिपाही नहीं बल्कि एयर डिफेंस सिस्टम्स, आर्मर्ड पर्सनल कैर्रिएर्स, लॉन्ग-रेंज आर्टिलरी जैसे भारी अस्त्र-शस्त्र और सैन्य उपकरण भी मौजूद हैं.

दोनों सेनाओं के कमांडरों के बीच आखिरी बार बातचीत 14-15 जुलाई को हुई थी, जब दोनों पक्षों ने सेनाओं के पीछे हटने की प्रक्रिया के प्रति प्रतिबद्धता जताई थी और इस प्रक्रिया की पारस्परिक रूप से निगरानी करने पर सहमति व्यक्त की थी. 

केंद्र सरकार ने आधिकारिक रूप से चीनी सैनिकों के पीछे ना हटने की पुष्टि नहीं की है. बल्कि कुछ ही दिनों पहले सरकार ने एक बार फिर दोहराया था कि चीनी सेना भारत के इलाके में मौजूद नहीं है. लेकिन कई जानकार कह रहे हैं कि सीमा पर तनाव की तीव्रता में कमी नहीं आई है.

भारतीय सेना में सूत्रों के हवाले से मीडिया में खबरें आ रही हैं कि सेना ने काफी बड़ी संख्या में जिन सैनिकों को लद्दाख में सीमा पर तैनात किया है उनकी और भी लंबी तैनाती की तैयारी हो रही है. यहां तक कि सर्दियों में भी इलाके में भारी सैन्य उपस्थिति बनाए रखने कि तैयारी शुरू हो गई है.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के वायु सेना को दिए गए निर्देश को भी इसी रोशनी में देखा जा रहा है. सिंह ने बुधवार 22 जुलाई को हर युद्ध में वायुसेना की निर्णायक भूमिका की चर्चा करते हुए उसे मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा और पाकिस्तान के साथ नियंत्रण रेखा दोनों ही मोर्चों पर तैयार रहने को कहा.

तीन जुलाई को लद्दाख में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इंतजार करते भारतीय सेना के जवान. प्रधानमंत्री ने लद्दाख पहुंच कर स्थिति का जायजा लिया था और बिना चीन का नाम लिए कहा था कि विस्तारवाद का युग समाप्त हो गया.तस्वीर: Reuters/ANI

सिंह ने यह भी कहा कि पाकिस्तान के बालाकोट में वायुसेना ने जो पराक्रम दिखाया था, उससे एक ठोस संदेश गया था. जानकारों का यह भी कहना है कि स्थिति इस समय काफी पेचीदा हो गई है और इसका कोई आसान समाधान नहीं है. भारत को चीन के प्रति अपनी दीर्घकालिक नीति की समीक्षा तो करनी ही पड़ेगी, लेकिन साथ ही मौजूदा संकट कुशलता से खत्म करने पर भी विचार करना होगा.

नार्दर्न आर्मी के पूर्व कमांडर सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हूडा ने एक मीडिया साक्षात्कार में कहा है कि चीनी सेना यथास्थिति से खुश ही होगी क्योंकि वो उस इलाके में है जिसे भारत अपना समझता है. उन्होंने कहा कि सरकार को अब इस स्थिति को बदलने के बारे में गंभीरता से विचार करना होगा.

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