लद्दाख में फंसे 300 विदेशी, 150 लोगों की मौत
९ अगस्त २०१०अधिकारियों और स्थानीय निवासियों का कहना है कि बादल फटने के बाद हुई तेज़ बारिश से बाढ़ आ गई और इस वजह से आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है. घर बह गए, टेलीफोन के टॉवर्स उड़ गए और रास्तों पर 15 फीट ऊंचे कीचड़ और पत्थरों का ढेर है. आवाजाही, संचार के सभी माध्यम ठप हो गए हैं.
कम से कम 300 लोग अब भी लापता हैं और बाढ़ से 25000 लोग प्रभावित हुए हैं. सैन्य अधिकारियों ने कहा कि 7000 सैनिकों को रास्ते और पुलों की मरम्मत के लिए लगाया गया है. भारतीय वायु सेना की लेफ्टिनेंट प्रिया जोशी ने बताया, "हमें लेह के पास जंस्कर घाटी में 150 विदेशी नागरिकों का एक ग्रुप मिला. हम उन्हें हेलिकॉप्टर से लाने की कोशिश कर रहे हैं."
लामा युरु में करीब 90 पर्यटक फंसे हुए हैं. वहीं दान कारु में 73 विदेशी नागरिकों के फंसे हैं. हर साल हज़ारों पर्यटक बौद्ध मठों को देखने के लिए आते हैं और एडवेंटर स्पोर्ट्स (जोखिम भरे खेलों) को पसंद करने वाले लोग भी यहां आते हैं. लेह में मुख्य बौद्ध मठ 3,505 मीटर की उंचाई पर है.
ब्रिगेडियर संजय चावला ने जानकारी दी, "संचार नेटवर्क को फिर से खड़ा करने में काफी समय लगेगा." करीब 33 सैनिक बाढ़ के कारण बह गए उनकी तलाश जारी है. बाढ़ के कारण लेह के अस्पताल पर भी असर पड़ा है. इससे घायलों के इलाज में काफी मुश्किलें आ रही हैं.
रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम
संपादनः ए जमाल