जब महक के माता पिता को पता चला कि वह किसी मुसलमान लड़के से प्यार करती हैं तो उन्होंने बेटी को कमरे में बंद कर दिया. फोन और बैंक कार्ड छीन लिए और घर में निगरानी के लिए कैमरे लगवा दिए.
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उत्तर प्रदेश में रहने वाली 26 साल की महक (बदला हुआ नाम) ने जैसे तैसे इस मामले की रिपोर्ट पुलिस में लिखवाई. लेकिन वह उस वक्त हैरान रह गईं, जब पुलिस ने भी उनके माता पिता का पक्ष लिया और महक से यह रिश्ता खत्म कर देने को कहा. उत्तर प्रदेश में हाल में बने एक कानून के तहत जबरन धर्म परिवर्तन अपराध है और इसमें अंतरधार्मिक शादी के जरिए होने वाला धर्म परिवर्तन भी शामिल है.
आलोचकों का कहना है कि इस कानून से महिलाओं को नियंत्रित किया जाएगा ताकि वे अपनी पसंद से शादी ना कर पाएं. एक सरकारी कर्मचारी महक ने फोन पर थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को बताया, "मुझे पता था कि जो मैं कर रही हूं, वह वैध नहीं है. यह मेरी पसंद थी. मैं पढ़ी लिखी हूं, मेरे पास दिमाग है.. क्या मैं आग में कूद जाऊंगी." आखिरकार उन्होंने अपने प्रेमी के साथ उत्तर प्रदेश छोड़ दिया. दोनों जल्द शादी करने वाले हैं.
आजकल मिलकर अपने भविष्य की योजनाएं बनाने की बजाय ये दोनों छिपते फिर रहे हैं. उन्हें डर है कि महक के माता पिता या फिर कट्टरपंथी हिंदू गुट उन्हें नुकसान पहुंचा सकते हैं. महक का कहना है, "मेरी शादी होने वाली है लेकिन मेरे अंदर इस समय खुशी के भाव नहीं बल्कि अपनी जिंदगी को लेकर डर है."
नवंबर में नया कानून पारित होने के बाद से उत्तर प्रदेश में कई पुरुषों और महिलाओं को गिरफ्तार किया गया है. इस कानून के तहत किसी का जबरन धर्म परिवर्तन कराने पर या फिर शादी के जरिए इसका प्रलोभन देना कानूनन अपराध है जिसके लिए कैद की सजा हो सकती है.
यह कानून अंतरधार्मिक शादियों के खिलाफ कट्टरपंथी हिंदू गुटों के विरोध के बाद बनाया गया है जिसे वे "लव जिहाद" कहते हैं. उनका कहना है कि मुसलमान पुरुष एक साजिश के तहत हिंदू महिलाओं को मुसलमान बना रहे हैं.
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"लव जिहाद" पर राज्यों में सख्त से सख्त कानून बनाने की होड़!
अंतरधार्मिक शादियों के खिलाफ बीजेपी शासित राज्य सख्त से सख्त कानून बना रही हैं. उनका कहना है कि लड़की पर जबरन दबाव डालकर शादी कर ली जाती है और फिर उसका धर्म परिवर्तन करा दिया जाता है.
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"लव जिहाद" क्या वाकई होता है?
4 फरवरी 2020 को केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी ने लोकसभा को बताया कि "लव जिहाद" शब्द मौजूदा कानूनों के तहत परिभाषित नहीं है. साथ ही उन्होंने संसद को बताया कि इससे जुड़ा कोई भी मामला केंद्रीय एजेंसियों के संज्ञान में नहीं आया. रेड्डी ने कहा था कि संविधान का अनुच्छेद 25 किसी भी धर्म को स्वीकारने, उसका पालन करने और उसका प्रचार-प्रसार करने की आजादी देता है.
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बीजेपी के एजेंडे पर "लव जिहाद"!
भले ही केंद्र सरकार कहे कि "लव जिहाद" कानून में परिभाषित नहीं है लेकिन बीजेपी के नेताओं, मंत्रियों और सरकारों ने अंतरधार्मिक प्रेम और शादियों के खिलाफ पिछले कुछ समय में कड़ा रुख अपनाया है. नेता बयान दे रहे हैं और उन पर समाज में नफरत का माहौल बनाने के आरोप लग रहे हैं. वहीं बीजेपी शासित राज्य सरकारें जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ सख्त कानून बना रही हैं.
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यूपी में कितना सख्त है कानून?
यूपी में धर्मांतरण रोधी कानून को लागू हुए एक महीना पूरा हो चुका है. 27 नवंबर 2020 को राज्यपाल ने "विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020" को मंजूरी दी थी जिसके बाद यह कानून बन गया. इस कानून में कड़े प्रावधान बनाए गए हैं. धर्म परिवर्तन के साथ अंतरधार्मिक शादी करने वाले को साबित करना होगा कि उसने इस कानून को नहीं तोड़ा है, लड़की का धर्म बदलकर की गई शादी को शादी नहीं माना जाएगा.
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यूपी में एक महीने में क्या हुआ?
यूपी में धर्मांतरण रोधी कानून को लागू होने के एक महीने के भीतर पुलिस ने प्रदेश में इसके तहत 14 मामले दर्ज किए. पुलिस ने 51 लोगों को गिरफ्तार किया जिनमें 49 लोग जेल में बंद किए गए. इन मामलों में 13 मामले कथित तौर पर हिंदू महिलाओं से जुड़े हैं और आरोप लगाया कि उन पर इस्लाम कबूल करने का दबाव बनाया गया. सिर्फ दो ही मामले में महिला खुद शिकायतकर्ता है.
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हाईकोर्ट का सहारा
यूपी में लागू कानून के आलोचकों का कहना है कि यह व्यक्तिगत आजादी, निजता और मानवीय गरिमा जैसे मौलिक अधिकारों का हनन है. इस कानून को चुनौती देने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है. इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अंतरधार्मिक विवाह वाले युवक युवती को साथ रहने की इजाजत दी थी. हाईकोर्ट ने कहा था, "महिला अपने पति के साथ रहना चाहती है और वह किसी भी तीसरे पक्ष के दखल के बिना रहने को आजाद है."
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मध्य प्रदेश में भी "लव जिहाद"?
मध्य प्रदेश की कैबिनेट ने मंगलवार 29 दिसंबर 2020 को "धर्म स्वातंत्र्य अध्यादेश 2020" को मंजूरी दी है. प्रदेश में जो कानून बनने जा रहा है उसके मुताबिक जबरदस्ती धर्म परिवर्तन कर शादी करने वालों को अधिकतम 10 साल की सजा और एक लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान किया जाएगा.
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किस राज्य का कानून ज्यादा सख्त?
अध्यादेश के मुताबिक मध्य प्रदेश में प्रलोभन, धमकी, शादी या किसी अन्य कपट पूर्ण तरीके द्वारा धर्म परिवर्तन कराने वाले या फिर उसकी कोशिश या साजिश करने वाले को पांच साल के कारावास के दंड और 25,000 रुपये से कम जुर्माना नहीं होगा. वहीं यूपी ने इसके लिए 15,000 के जुर्माने का प्रावधान रखा है लेकिन वहां भी सजा का प्रावधान अधिकतम पांच साल तक है.
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हिमाचल प्रदेश
प्रदेश में 2007 से ही जबरन या फिर छल-कपट से धर्म परिवर्तन के खिलाफ कानून लागू है. कुछ दिनों पहले धर्मांतरण विरोधी कानून लागू किया गया था. इसके तहत किसी भी शख्स को धर्म परिवर्तन करने से पहले प्रशासन को इसकी सूचना देनी होगी. ऐसा ही कानून जब 2012 में कांग्रेस की सरकार लेकर आई थी तब हाईकोर्ट ने इसे असंवैधानिक और मौलिक अधिकारों के हनन वाला बताया था.
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महिलाओं की सुरक्षा
आबादी के लिहाज से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में अधिकारियों का कहना है कि नया कानून धोखेबाजी से होने वाले धर्म परिवर्तन को रोकेगा और इससे युवतियों की रक्षा होगी. उत्तराखंड और मध्य प्रदेश में भी कुछ इसी तरह के कानून पारित किए गए हैं जबकि तीन और राज्य हरियाणा, कर्नाटक और असम भी ऐसे कानून बनाने की तैयारी में हैं.
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दूसरी तरफ आलोचकों का कहना है कि ऐसे कानूनों का मकसद एक तरफ देश के अल्पसंख्यक मुसलमानों को निशाना बनाना है तो दूसरी तरफ महिलाओं से अपना धर्म और जीवनसाथी चुनने की आजादी छीनी जा रही है. लेखिका और संपादिका इंसिया वाहनवती ने पिछले दिनों द इंडियन एक्सप्रेस में लिखा, "वयस्क महिलाओं को बच्चा समझा जा रहा है, उन्हें माता पिता और समुदाय के नियंत्रण में रखा जा रहा है और उनसे अपनी जिंदगी के फैसले लेने का हक छीना जा रहा है."
जब इस बारे में उत्तर प्रदेश के महिला और बाल विभाग की राय लेने की कोशिश की गई तो उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया. इस बीच, दिल्ली और उत्तर प्रदेश में अंतरधार्मिक शादियों का समर्थन करने वाले समूहों ने बताया है कि उन्हें लगातार ऐसे लोगों की फोन कॉल आ रही हैं जो शादी में आ रही अड़चन को दूर करने के लिए मदद मांग रहे हैं.
इसी महीने "लव जिहाद के झूठ के खिलाफ" प्रदर्शन भी हुए. इस दौरान प्रदर्शनकरियों के हाथों में सावित्री बाई फुले और फातिमा शेख जैसी शख्सियतों के चित्र थे जो भारत के महिला आंदोलन की बड़ी पुरोधा मानी जाती हैं. अंतरधार्मिक जोड़ों की मदद करने वाली संस्था धनक की संयुक्त सचिव आकांक्षा शर्मा कहती हैं, "वे महिलाओं को बालिग नहीं समझ रहे हैं. महिलाओं को वोट देने का अधिकार है, वे अपनी सरकार चुन सकती हैं, लेकिन अपना जीवनसाथी नहीं चुन सकती हैं."
वो कौन थी? सीजन 1 एपिसोड 5: सावित्री बाई फुले
'लड़के की तरह'
भारत में 1954 में बने एक कानून के मुताबिक अंतरधार्मिक जोड़े शादी कर सकते हैं. इसके लिए धर्म परिवर्तन करके दोनों का धर्म एक जैसा होने की जरूरत नहीं है. लेकिन शादी से एक महीने पहले उन्हें नोटिस देना होता है. इस दौरान मैरिज रजिस्ट्रार यह देखता है कि उनकी शादी पर किसी को आपत्ति तो नहीं है. उत्तर प्रदेश समेत कुछ राज्यों में मैरिज रजिस्ट्रार शादी करने वाले लोगों की तरफ से दिए पहचान पत्रों में दर्ज पतों पर नोटिस भेजता है, जो आम तौर पर लड़की और लड़के के माता-पिता के पते होते हैं.
ऐसे मामलों में ज्यादातर लोगों को माता-पिता की तरफ से विरोध, सामाजिक अड़चने और कई मामलों में हिंसा का भी सामना करना पड़ता है. वकील कहते हैं कि बहुत से अंतरधार्मिक जोड़े दूसरे तरीकों से शादी करने को प्राथमिकता देते हैं. कार्यकर्ता और मुंबई में मजलिस लीगल सेंटर नाम की संस्था चलाने वाली फ्लाविया एगनेस कहती हैं, "वे एक दूसरे के धर्म को स्वीकर कर लेते हैं और जल्दी से हिंदू या मुस्लिम मैरिज एक्ट के तहत शादी को रजिस्टर करा लेते हैं."
लखनऊ में महिला अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था की कार्यकारी निदेशक रेनु मिश्रा कहती हैं कि इस तरह शादी करने वाले दोनों लोगों के माता-पिता तक कोई नोटिस नहीं पहुंचता. लेकिन नए धर्मांतरण विरोधी कानून के बाद अब ऐसा करना आसान नहीं रहा. शादी करने वाले जोड़े को अब धर्मांतरण से दो महीने पहले डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को इसकी जानकारी देनी होगी. मिश्रा कहती है कि यह 1.3 अरब आबादी वाले देश में महिला अधिकारों के लिए बड़ा धक्का है, खासकर तब जब उन महिलाओं की संख्या बढ़ रही है जो पढ़ाई कर रही हैं, करियर बना रही हैं, शहरों में जाकर काम कर रही हैं और अकेली रह रही हैं.
महक अपनी चार बहनों में सबसे छोटी हैं. वह कहती हैं कि उनकी परवरिश एक "लड़के की तरह" हुई है. घर वालों ने उन्हें पढ़ने और अपना करियर बनाने की आजादी दी. लेकिन अपना जीवनसाथी चुनने का अधिकार उन्हें नहीं दिया गया. यहां तक कि काफी हद तक उदार समझे जाने वाले भारतीय परिवारों में भी लड़कियों को अपनी मर्जी का जीवनसाथी चुनने का अधिकार नहीं दिया जाता. एगनेस कहती हैं, "पिता खुद को बेटी का रखवाला समझता है और उसे ही अपनी लड़की देना चाहता है जिसे वह ठीक समझता है. इसमें लड़की की सहमति कोई मायने नहीं रखती."
महक कहती हैं कि नया कानून जबरन धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए बनाया गया है लेकिन आखिर में इससे अंतरधार्मिक शादियों पर दबाव बढ़ेगा और महिलाओं की आजादी पर पाबंदियां लगाई जाएंगी जिसे बड़े संघर्ष से हासिल किया गया है. महक के प्रेमी के परिवार को भी उनकी शादी पर आपत्ति थी. लेकिन बेटे की जिद के आगे उन्हें झुकना पड़ा.
लव जिहाद जैसे जुमले भी भले ही सियासत में उछाले जाते हों, लेकिन अंतर धार्मिक शादियां धर्मों के बीच बढ़ रही दूरी को पाटने का एक अच्छा तरीका है. चलिए डालते नजर कुछ ऐसी ही जोड़ियों पर.
तस्वीर: dapd
शाहरुख खान-गौरी खान
बॉलीवुड के किंग कहे जाने वाले शाहरुख खान ने पंजाबी परिवार में जन्मी गौरी छिब्बर से 1991 में शादी की, जिसके बाद वह गौरी खान बन गईं. दोनों के तीन बच्चे हैं.
तस्वीर: AP
ऋतिक रोशन-सुजैन खान
अभिनेता ऋतिक रोशन और सुजैन खान ने 2000 में शादी की. लेकिन 2014 में दोनों नो अलग होने का फैसला किया. सुजैन खान अभिनेता संजय खान की बेटी हैं. यहां उन्हें अभिनेत्री पूजा हेगड़े के साथ देखा जा सकता है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/P. Paranjpe
सलमान खान का परिवार
सलमान खान ने तो अब तक शादी नहीं की है. लेकिन उनके परिवार में कई शादियां ऐसी हैं जिनमें अलग अलग धर्म के लोग मिले. इसमें सलीम खान-सुशीला चरक, हेलेन, अलवीरा-अतुल अग्निहोत्री, अरबाज-मलाइका, सोहेल खान-सीमा सचदेव जैसी कई जोड़ियां शामिल हैं.
तस्वीर: Getty Images/AFP/STR
सैफ अली खान-अमृता सिंह-करीना कपूर
अभिनेता सैफ अली खान और अमृता सिंह की शादी लगभग 13 साल चली. 2004 में वे अलग हो गए. इसके बाद उन्होंने 2012 में करीना कपूर से शादी की.
तस्वीर: dapd
इमरान हाशमी-परवीन साहनी
बॉलीवुड में अपने किसिंग सीन के लिए मशहूर इमरान हाश्मी ने 2006 में परवीन साहनी से शादी की. यह तस्वीर "डर्टी पिक्चर" की प्रमोशन के वक्त है जिसमें वह अभिनेत्री विद्या बालन के साथ दिख रहे हैं.
तस्वीर: DW
मुमताज-मयूर माधवानी
गुजरे जमाने की सबसे हिट अभिनेत्रियों में से एक मुमताज का संबंध एक मुस्लिम परिवार से रहा है. 1974 में उन्होंने कारोबारी मयूर माधवानी से शादी कर अपना घर बसाया.
तस्वीर: I. Mukherjee/AFP/Getty Images
नरगिस दत्त-सुनील दत्त
नरगिस का नाम पहले फातिमा राशिद था. पर्दे पर तो उनकी जोड़ी राजकपूर के साथ हिट थी लेकिन असल जिंदगी में उन्होंने सुनील दत्त को अपना हमसफर बनाया.
हरफनमौला गायक और अभिनेता किशोर कुमार ने मशहूर अभिनेत्री मधुबाला से शादी की. मधुबाला का नाम पहले मुमताज जहान देहलवी था और उन्हें हिंदी सिनेमा की सबसे खूबसूरत अभिनेत्रियों में गिना जाता है. मुगले आजम में अनारकली के किरदार में उन्होंने बखूबी जान डाली.
साठ और सत्तर के दशक की ग्लैमरस अभिनेत्री शर्मिला टैगोर ने भी भारतीय क्रिकेट के कप्तान मंसूर अली खान पटौदी को अपने जीवन साथी के रूप में चुना. पटौदी ने 70 साल की उम्र में 2011 में दुनिया को अलविदा कह दिया.
अपनी मुस्कान और शानदार अभिनय के लिए मशहूर वहीदा रहमान ने 1974 में अभिनेता शशि रेखी से शादी की जो बतौर अभिनेता कमलजीत के नाम से जाने जाते थे. लंबी बीमारी के बाद 2000 में उनके पति का निधन हो गया.
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उस्ताद अमजद अली खान- शुभालक्ष्मी
सरोद के सुरों से जादू करने वाले उस्ताद अमजद अली खान ने 1976 में भारतनाट्यम नृत्यांगना शुभलक्ष्मी बरुआ से शादी की. उनके दो बेटे अमान और अयान भी सरोद बजाते हैं.
तस्वीर: AFP/Getty Images
जरीना वहाब-आदित्य पंचोली
1980 के दशक की एक जानी मानी अभिनेत्री जरीना वहाब ने फिल्म अभिनेता आदित्य पंचोली के साथ विवाह रचाया. उनके बेटे सूरज पंचोली ने हीरो के साथ बॉलीवुड में कदम रखा.
तस्वीर: by/Bollywoodhungama
फराह खान-शिरीष कुंदर
कोरियोग्राफर से निर्देशन में उतरीं फराह खान ने 2004 में शिरीष कुंदर से शादी की. अपने बयानों से कई विवादों में रहे कुंदर की मुलाकात फराह से उनकी फिल्म मैं हूं ना पर काम करने के दौरान हुई.
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सुनील शेट्टी-माना शेट्टी
अभिनेता सुनील शेट्टी की पत्नी माना शेट्टी मुस्लिम पिता और हिंदू मां की संतान हैं. शादी से पहले उनका नाम माना कादरी था. 1991 में दोनों एक दूसरे के हो गए.
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मनोज बाजपेयी-शबाना रजा
सत्या, शूल, कौन, वीर-जारा, अलीगढ़ और राजनीति जैसी फिल्मों में अपने जौहर दिखाने वाले अभिनेता मनोज बाजपेयी ने 2006 में शबाना रजा से शादी की, जिसके बाद उन्होंने अपना नाम नेहा रख लिया.
तस्वीर: Getty Images/AFP/STR
सचिन पायलट-सारा पायलट
कांग्रेस के युवा नेता सचिन पायलट की पत्नी का नाम सारा पायलट हैं. सारा कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला की बेटी हैं. दोनों के दो बेटे आरान और विहान हैं.
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उमर अब्दुल्ला-पायल नाथ
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह ने 1994 में पायल नाथ से शादी की. लेकिन 2011 में वे अलग हो गए.
तस्वीर: Getty Images/AFP/T. Mustafa
मुख्तार अब्बास नकवी-सीमा नकवी
मुख्तार अब्बास नकवी बीजेपी नेता और पार्टी का एक अहम मुस्लिम चेहरा हैं. उनकी पत्नी का नाम सीमा नकवी है, जिनका संबंध एक हिंदू परिवार से रहा है.
तस्वीर: DW
जहीर खान-सागरिका घटके
मशहूर क्रिकेटर जहीर खान ने अभिनेत्री सागरिका घटके के साथ शादी की है. सागरिका घटके चक दे, रश और जी भर के जी ले जैसी कई फिल्मों में काम कर चुकी हैं.