लहरों के सहारे रोशनी का नया स्रोत बनेगी समुद्री ऊर्जा
१९ फ़रवरी २०२१![Pressebild Billia Croo | Wave Energy Test Site, Orkney](https://static.dw.com/image/56313672_800.webp)
वैसे तो स्कॉटलैंड के उत्तरी तट के पास स्थित ऑर्कने द्वीप समूह में केवल 22 हजार लोग ही रहते हैं, लेकिन इन दिनों ये जगह एक असीम अक्षय ऊर्जा के स्रोत को काम में लाने का वैश्विक केंद्र बन गया है. और वो ऊर्जा है महासागर लहरों से पैदा होने वाली ऊर्जा. ऑर्कने की तटीय रेखाएं जो सागरीय भंवरों और ज्वार-भाटा के तेज प्रवाह के लिए जानी जाती हैं, वो पिछले दो दशक से तेजी से आती तरंगों और ज्वारीय प्रवाह ऊर्जा के प्रोटोटाइप को टेस्ट करने के लिए टेस्ट साइट बना हुआ है. इन सारी चीजों को और अधिक विस्तार दिया जा रहा है और इसे ब्रिटेन के ग्रिड से नियंत्रित भी किया जा रहा है.
स्कॉटिश ओशन एनर्जी कंपनी, ऑर्बिटल मरीन पावर, ज्वार के प्रवाह से बिजली बनाने की टेक्नोलॉजी टेस्ट कर रही है. इसे भविष्य में बड़े-पैमाने पर इस्तेमाल किया जा सकेगा. इसमें एक बहुत बड़ा टर्बाइन भी शामिल है, जिसमें 1700 घरों को बिजली देने की क्षमता है. ऑर्कने के यूरोपीय मरीन एनर्जी सेंटर (ईएमईसी) में पहला "O2" टर्बाइन इसी साल 2021 में लगने जा रहा है, तो वहीं दूसरा टर्बाइन 2023 में लगेगा. ईएमईसी, विभिन्न व्यावसायिक ऊर्जा पट्टियों में से एक है, जो ब्रिटेन की बिजली जरूरतों के पांचवें हिस्से को पूरा करने में योगदान दे सकता है.
समुद्री ऊर्जा भविष्य है
समुद्री ऊर्जा जैसे अक्षय ऊर्जा स्रोत को बाजार में लाने के लिए बहुत अधिक अनुसंधान और विकास की जरूरत है. यही स्थिति सौर और पवन ऊर्जा के मामले में है. लेकिन साल 2008 के वैश्विक आर्थिक संकट की वजह से ज्वारीय और तरंग ऊर्जा ने अपनी महत्वपूर्ण गति खो दी है. वेल्स स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ स्वानसी में समुद्री ऊर्जा के प्रोफेसर इएन मास्टर्स कहते हैं, "ऐसा लगा मानो इस इंडस्ट्री का विकास पूरी तरह से रुक गया हो और इसमें आगे कुछ नहीं हो सकता. हम सभी लोग जो उसमें शामिल थे, हमें खुद को नए अंदाज में सामने लाना पड़ा."
तकनीकी कारणों से भी तरंग ऊर्जा को काम में लाना मुश्किल साबित हो रहा है. बीते 20 सालों में तरंग को उत्पन्न करने के लिए अनगिनत प्रोटोटाइप डिजाइन और टेस्ट किए गए, लेकिन इनमें से बहुत कम ही ऐसे हैं, जो काफी आशाजनक लगने के बावजूद व्यावसायिक स्तर पर पहुंच पाए हैं. अस्थिरता इसकी सबसे बड़ी समस्या है.
बेहतर तकनीक की जरूरत
यूके यूनिवर्सिटी ऑफ साउथहैम्प्टन में संवहनीय ऊर्जा के प्रोफेसर और इंटरनेशनल मरीन एनर्जी जर्नल के एडिटर-इन-चीफ अबूबक्र बहाज कहते हैं, "चूंकि तरंगें निरंतर प्रवाह में रहती हैं और कई दिशाओं और ऊंचाइयों में बहती हैं, इसलिए जरूरी है कि उपकरण भी उतना ही लचीला और टिकाऊ हो, जो दोनों काम कर सके, ऊर्जा को काम में भी ला सके और भारी व निरंतर गति को भी संभाल सके. बहुत ज्यादा ऊर्जा को ग्रहण करना भी बेहद मुश्किल है." बहाज कहते हैं कि वर्तमान समय में तरंग ऊर्जा को सिर्फ छोटे पैमाने पर तटीय इलाकों में रहने वाले लोगों तक बिजली पहुंचाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है.
वहीं दूसरी तरफ ज्वारीय प्रवाह ऊर्जा काफी अधिक विश्वसनीय है. बहाज कहते हैं, "ज्वारीय प्रवाह चूंकि चंद्रमा के खिंचाव और पृथ्वी के घूमने पर आधारित है, इसलिए ज्वार-भाटा के प्रवाह का आसानी से पूर्वानुमान लगाया जा सकता है. आप एक भी मिनट गंवाए बिना अगले 15 सालों के लिए ज्वार से आने वाली ऊर्जा का प्लान तैयार कर सकते हैं. पवन ऊर्जा और सौर ऊर्जा की अस्थिरता की वजह से कमजोर अक्षय ऊर्जा ग्रिड के अंदर ज्वारीय ऊर्जा एक विश्वसनीय बैकअप का काम कर सकती है. इस समय ये भूमिका जलवायु परिवर्तन पैदा करने वाले जीवाश्म ऊर्जा और प्राकृतिक गैस द्वारा निभाई जाती है.
नीले समुद्र से पूरी होगी ऊर्जा की जरूरत
2020 की एक रिपोर्ट की मानें तो अटक-अटक कर हुई शुरुआत के बावजूद वैश्विक तरंग और ज्वारीय ऊर्जा के उत्पादन में 2009 से 2019 के बीच 10 गुना बढ़ोतरी हुई. 2030 के अपने समुद्रीय ऊर्जा विजन के तहत मरीन एनर्जी इंड्रस्ट्री ग्रुप ओसिएन एनर्जी इस विकास को काम में लाने की कोशिश कर रहा है. अगले दशक में समुद्री ऊर्जा की कीमत को प्रतिस्पर्धा के तहत 90 यूरो प्रति मेगावाट प्रति घंटा तक नीचे लाने की कोशिश है. वही कीमत पवन ऊर्जा की है. आखिरी लक्ष्य उत्पादन को 100 गीगावाट घंटे तक बढ़ाना है जिसके बारे में ये कहा जा रहा है कि यह यूरोप की मौजूदा बिजली जरूरत को देखते हुए 10 प्रतिशत जरूरत को पूरा कर देगा.
यह महत्वाकांक्षी लक्ष्य यूरोप के समुद्री बेसिन की विशाल क्षमता पर आधारित है और इसमें ब्रिटेन की, जिसके पास यूरोप की ज्वारीय ऊर्जा का लगभग 50% और अपनी तरंग ऊर्जा का 35% हिस्सा है, इस लक्ष्य को प्राप्त करने में अहम भूमिका होगी. ब्रिटेन की सरकार का इस बारे में कहना है कि 20 प्रतिशत ऊर्जा समुद्रों से ली जा सकती है. लेकिन ये लक्ष्य अब भी बहुत दूर है, क्योंकि साल 2019 में यूरोप की बिजली क्षमता में ज्वारीय प्रवाह ऊर्जा केवल 1.5 मेगावाट और तरंग ऊर्जा केवल 0.5 मेगावाट ऊर्जा में ही योगदान दे पाया. इसके विपरीत, उसी साल 2019 में पूरे यूरोप में लगभग 3.6 गीगावाट की ऑफशोर पवन ऊर्जा क्षनमता बनाई गई.
इस तरह की समुद्री ऊर्जा का विकास सब्सिडी, फीड-इन टैरिफ और गिरती कीमत पर निर्भर करता है, जिसने पिछले दो दशकों में सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा को बड़े पैमाने पर विस्तार दिया है. वैसे जल्द ही समुद्री उर्जा एक वास्तविकता और हकीकत बन सकती है.
समुद्री अक्षय ऊर्जा में आएगा उछाल
ब्रिटिश सरकार इस बारे में आगे आयी है और उसने साल के आखिर में नीतियों में सुधार की बात कही है, ताकि तरंग और ज्वारीय ऊर्जा की गणना पवन ऊर्जा से अलग की जाए, कीमत प्रतिस्पर्धा में रहे, इसके लिए लो कार्बन समुद्रीय ऊर्जा के प्रॉजेक्ट्स को आर्थिक सहायता दी गई थी. इसे निवेशकों के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत के तौर पर देखा जा रहा है. ऑर्कने स्थित यूरोपियन मरीन एनर्जी सेंटर के कमर्शियल डायरेक्टर मैथ्यू फिन कहते हैं, "एक बार जब बाजार का संकेत मिल जाता है उसके बाद हम एक सेक्टर के तौर पर शुरुआती ब्लॉक के रूप में सामने आ सकते हैं."
ईएमईसी ज्वारीय और तरंग ऊर्जा से जुड़े उपकरणों के नमूनों पर समुद्र में बीते 2 दशकों से टेस्ट कर रहा है. फिन कहते हैं, "उम्मीद है कि सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा जैसी फर्स्ट जेनरेशन तकनीक जिन्होंने सफलतापूर्वक समस्या का सामना किया है और वे अब पूरी तरह से स्वीकार्य योजनाएं हैं और इनमें काफी पैसा भी लगाया जा रहा है. ऐसा ही समुद्री ऊर्जा के साथ भी होगा." लेकिन निवेश भी इस वादे पर निर्भर करेगा कि यह प्रौद्योगिकी कितनी आगे बढ़ सकती है.
हरित अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाना
इस सेक्टर से जुड़ी औद्योगिक और हाई-टेक नौकरियों का वादा समुद्री ऊर्जा के भविष्य को और अधिक मजबूती देगा. किसी जमाने में जीवाश्म ईंधन उद्योगों पर निर्भर रहने वाले बंदरगाह शहरों और कस्बों को फिर से पुनर्जीवित करने की क्षमता समुद्री ऊर्जा में है. ब्रिटेन में उस समय जो जहाज-निर्माण का काम हुआ करता था, आज उसकी परछाई भर बाकी है, जबकि तेल और गैस से चल रहे इस परिवर्तन काल ने समुद्र किनारे बसे शहरों में बढ़ती बेरोजगारी में योगदान दिया है.
समुद्री ऊर्जा से जुड़े प्रॉजेक्ट इस खालीपन को भरने के लिए तैयार हैं और इसी क्रम में ऑर्कने द्वीप समूह में कॉर्नवॉल से लेकर आइल ऑफ वाइट और वेल्श तट तक कई महत्वपूर्ण औद्योगिक समूहों का निर्माण हुआ है. इएन मास्टर्स कहते हैं, इस तेजी से विकसित हो रहे ऊर्जा क्षेत्र ने मौजूदा औद्योगिक मूलभूत सुविधाओं का इस्तेमाल "ऐसी नौकरियों के निर्माण के लिए किया है जो अब मौजूद नहीं हैं या फिर जिन्हें हमें बदलने की आवश्यकता है."
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