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लांस का कबूलनामाः भाग दो

१९ जनवरी २०१३

दुनिया के महानतम साइक्लिस्ट की पदवी खोकर एक बेईमान खिलाड़ी के तौर पर उभरने वाली लांस आर्मस्ट्रांग आजीवन प्रतिबंध को मौत की सजा मानते हैं. आर्मस्ट्रांग ने कबूल कर लिया है कि उनके सभी खिताब डोपिंग की देन थे.

तस्वीर: Reuters

ओप्रा विनफ्री के साथ सनसनीखेज इंटरव्यू देने वाले लांस आर्मस्ट्रांग की बातचीत का दूसरा हिस्सा दूसरे दिन प्रसारित किया गया. इस वीडियो में वह हताश और निराश नजर आ रहे हैं. उनकी गहरी नीली आंखें किसी बिन्दु पर टि्क नहीं पा रही हैं और वह भावुक होकर उन घटनाओं का जिक्र कर रहे हैं, जो उनकी जिन्दगी में हमेशा के लिए अहम मोड़ साबित होंगी.

आर्मस्ट्रांग ने बताया कि किस तरह उन्होंने अपने बच्चों को अपनी बेईमानी के बारे में बताया और किस तरह उनकी मां इस खुलासे के बाद सन्न रह गईं. उनका कहना है कि सबसे बड़ा झटका उन्हें लिवस्ट्रांग से किनारे कर दिए जाने से लगा. कैंसर से जूझने वाली संस्था लिवस्ट्रांग आर्मस्ट्रांग की ही देन है और वह इसे अपनी छठी औलाद मानते हैं. उनका कहना है, "मेरा सबसे बड़ा अपराध उन लोगों को धोखा देना रहा, जो आंख मूंद कर मुझ पर भरोसा करते थे. मैंने उनसे भी झूठ बोला." आलोचकों का कहना है कि इंटरव्यू का पहले हिस्से की स्क्रिप्ट भले ही पहले से तैयार की गई लगती है लेकिन दूसरे हिस्से में उनका असली रूप दिख रहा है.

ओप्रा विनफ्री के साथ टॉक शो में लांस आर्मस्ट्रांगतस्वीर: dapd

मौत की सजा

दुनिया की सबसे मुश्किल रेस टुअर डे फ्रांस लगातार सात बार जीतने वाले आर्मस्ट्रांग को लंबी सजा मिल सकती है. फिर भी उनका मानना है कि अमेरिकी एंटी डोपिंग एजेंसी ने उन्हें बहुत ज्यादा सजा दी है, जिसने उन पर ताजिंदगी पाबंदी लगाने का फैसला किया है. आर्मस्ट्रांग के मुताबिक जो बेईमान खिलाड़ी खुद ही बाद में डोपिंग की बात कबूल कर चुके हैं, उन्हें कम सजा दी गई है.

उन्होंने कहा, "मैं यह नहीं कह रहा हूं कि वह गलत है, मैं कह रहा हूं कि यह अलग है. मुजे सजा जरूर मिलनी चाहिए लेकिन मैं इस बात को लेकर पक्का नहीं हूं कि क्या मुझ पर जिन्दगी भर के लिए पाबंदी लगानी चाहिए." टेक्सास के 41 साल के साइकिल स्टार ने कहा कि पेशेवर साइक्लिंग में लौटने का उनका कोई इरादा नहीं है लेकिन वे कुछ दूसरे टूर्नामेंट में हिस्सा लेना चाहते हैं. उन्होंने 1999 से 2005 तक लगातार सात बार टुअर डे फ्रांस खिताब जीता. हर बार उनकी जीत पर सवाल उठे. इसके बाद संन्यास ले लिया और 2009 में दोबारा मुकाबले में लौटे. तब वह तीसरे नंबर पर रहे. हालांकि बीते साल उनसे सभी टूअर डे फ्रांस के खिताब छिन लिए गए.

आर्मस्ट्रांग ने बचपन से ही साइकिल पर हाथ आजमाया. यह तस्वीर 17 साल की उम्र की.तस्वीर: Getty Images

जज्बाती आर्मस्ट्रांग

पाबंदी की बात पर भावुक होते हुए आर्मस्ट्रांग ने कहा, "इस सजा के साथ मैं हमेशा के लिए सो गया हूं. जब मैं 50 साल का होऊंगा तो मेरा मन करेगा कि मैं शिकागो मैराथन में हिस्सा लूं. लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सकता हूं."

अपने करियर के दौरान उन्होंने हमेशा डोपिंग के आरोप से इनकार किया. इसके बाद ओप्रो विनफ्री के शो में उन्होंने एक एक कर सारे इलजाम कबूल लिए. हालांकि उनका अब भी कहना है कि जब उन्होंने 2009 में साइक्लिंग में वापसी की, तो डोपिंग नहीं की. इंटरव्यू का पहला हिस्सा जहां उनके गुनाहों पर केंद्रित था, वहीं दूसरे हिस्से में उनकी जिंदगी में आने वाले बदलाव को लेकर बातचीत हुई.

कैंसर से निपटने के बाद लांस आर्मस्ट्रांग साइकिल ट्रैक पर लौटेतस्वीर: picture-alliance/dpa

शर्मिंदा हूं

आर्मस्ट्रांग ने माना कि उन्होंने जो कुछ किया, उसे लेकर वह बेहद शर्मिंदा हैं. जब उन्होंने बताया कि किस तरह उन्होंने अपने बेटे को यह बात बताई, तो उनके आंखों में आंसू भर आए, "मैंने देखा कि मेरा बेटा ल्यूक मेरा बचाव कर रहा है और कह रहा है कि यह सच नहीं है. इसके बाद मुझे लगा कि उसे सही बात बतानी चाहिए. उसने कभी मुझसे पलट कर सवाल नहीं किया. वह मुझ पर भरोसा करता है."

कैंसर से उबरने के बाद आर्मस्ट्रांग ने जब साइकिल जगत में वापसी की, तो वह खेल की जीजीविषा और कैंसर से संघर्ष के मिसाल बन गए. उन्होंने लिवस्ट्रांग नाम की संस्था बनाई, जिसे कई लोगों ने समर्थन दिया. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ने उन्हें "गर्व करने वाली" शख्सियत बताया और भारतीय क्रिकेटर युवराज सिंह ने भी उन्हें प्रेरणा स्त्रोत बताया. आर्मस्ट्रांग की लिखी किताब जबरदस्त हिट रही. अब यह सब इतिहास की बात हो गई है.

उन्होंने बताया कि किस तरह अमेरिकी पाबंदी की वजह से वह वित्तीय रूप से कमजोर हो गए. आर्मस्ट्रांग के स्पांसरों के हाथ खींच लेने से उन्हें साढ़े सात करोड़ डॉलर का नुकसान हुआ है, "सब कुछ खत्म हो गया. कुछ भी लौटने वाला नहीं है. मैं भविष्य में कमाने वाले सारे पैसे गंवा चुका हूं."

एजेए/ओएसजे (रॉयटर्स, एएफपी)

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