जर्मनी के महत्वपूर्ण शहरों में लाइपजिग भी एक है. यह शहर अपनी प्राकृतिक खूससूरती के अलावा जर्मन एकीकरण के लिए भी अहम माना जाता है. यहां के लोगों ने शहर के धरोहरों को बचा कर रखा है.
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हमेशा यात्रा करता शहर - लाइपजिग . जर्मन एकीकरण के बाद शहर के ऐतिहासिक सिटी सेंटर को मरम्मत से निखारा गया. लेकिन 1989 के पतझड़ में यहां का माहौल कुछ और ही था. निकोलाई चर्च मनडे मार्च के नाम से मशहूर प्रदर्शनों का अड्डा था. ये प्रदर्शन कम्युनिस्ट शासन के अंत के साथ ही खत्म हुए. चर्च की अहम भूमिका की चर्चा कारीन शॉएब्ले अपने गाइडेड टूर में भी करती हैं, वो शांत प्रदर्शनों के लिए चुनी गई जगहों पर सैलानियों को ले जाती हैं. उनका कहना है, "अस्सी के दशक में सोमवार की प्रार्थना में ज्यादा से ज्यादा लोग चर्च आने लगे, वे लोग - समाज जिस तरह का आकार ले रहा था, उसका विरोध कर रहे थे. तब जर्मनी के इस हिस्से को ईस्ट जर्मनी कहते थे."
मन डे मार्च इन्हीं प्रार्थना सभाओं का नतीजा था. कारिन शॉएब्ले भी उसका हिस्सा थीं. इतिहास ये पन्ने शीत युद्ध के दौरान जर्मनी में उपजे हालात को दर्शाते हैं. इससे पता चलता है कि पूर्वी जर्मनी में कैसे एक ही सत्ताधारी पार्टी वाली कम्युनिस्ट सरकार आई. पूर्वी जर्मनी में जिंदगी कैसी थी, इसकी जानकारी एक म्यूजियम भी देता है. 1989 में कम्युनिस्ट शासन का खात्मा शुरू हुआ. पार्टी के शीर्ष अधिकारी एक तरफ पूर्वी जर्मनी का 40वां जन्मदिन मना रहे थे. दूसरी तरफ उनके नीचे पूरा तंत्र डांवाडोल हो रहा था.
फोरम ऑफ कंटेम्प्रेरी हिस्ट्री के प्रमुख प्रोफेसर रायनर एकेर्ट कहते हैं, "कोई अंदाजा नहीं लगा सकता था कि वो 70 हजार होंगे या कुछ लोग कहते हैं एक लाख के आस पास थे. पुलिस और खुफिया पुलिस करीब 30 से 40 हजार लोगों को संभाल पाती लेकिन 70-80 हजार लोगों को नहीं."
लाइपजिग में स्टाजी का मुख्यालय रुंडे एके नाम की इमारत थी. दिसंबर 1989 में लाइपत्सिषवासियों ने इसे अपने नियंत्रण में ले लिया. लोग खुफिया विभाग को दस्तावेज नष्ट करने से रोकना चाहते थे लेकिन जब वे पहुंचे तब तक कई फाइलें बर्बाद हो चुकी थीं. आज यहां स्टाजियों के बारे में एक म्यूजियम है. यहां आम लोगों की जासूसी करने वाले उपकरण हैं. म्यूजियम के जरिए पता चलता है कि पूर्वी जर्मनी की खुफिया पुलिस कैसे काम करती थी.
म्यूजियम के प्रमुख टोबियास होलित्सर बताते हैं, "आपको ऐसा लगता था जैसे आप या तो पोस्ट ऑफिस में हैं या स्टाजियों के दफ्तर में. तब मुझे अंदाजा हुआ कि स्टाजी कितना गंभीर मामला है और मुझे लगा कि यह खत्म होना ही चाहिए."
अगर कोई सैलानी जर्मनी के आधुनिक इतिहास से रूबरू होना चाहते हैं तो ये शहर बाहें खोलकर स्वागत करता है.
सोशल डेमोक्रेसी के 150 साल
डेढ़ सौ साल पहले 23 मई 1863 को लाइपजिष शहर में जर्मनी की सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी की स्थापना हुई. उस समय एक श्रमिक संगठन के रूप में. प्रतिबंध, दमन, निर्वासन, सफलता और विफलताएं एसपीडी के इतिहास से जुड़ी रही हैं.
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यादों के तहखाने से
खेल खेल में सोशल डेमोक्रैसी का इतिहास जानें. एसपीडी जर्मन श्रमिक आंदोलन की पहली पार्टी थी. सौ साल बाद विली ब्रांट संघीय जर्मनी के पहले एसपीडी चांसलर बने. पार्टी ने कुल तीन चांसलर दिए.
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प्रतिबंधों से बाहर
सदस्यों की पहली बैठकें चोरी छिपे हुईं. शुरुआती बैठक में संस्थापक सदस्य आउगुस्ट बेबेल और विल्हेल्म लीबक्नेष्ट भी मौजूद हैं. 1863 में बने जर्मन श्रमिक संघ में दस साल बाद 21,000 सदस्य हो गए.
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रोक के बावजूद सफल
उद्योग बढ़े तो लोगों को रोजगार मिला. लेकिन कारखानों में बदहाली थी. मजदूर संघ लोकप्रिय होने लगे. 1878 में कानून बनाकर इसे रोकने की कोशिश हुई. फिर भी 1890 तक एसपीडी जनांदोलन बन गया.
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स्कूल में पार्टी नेता
एसपीडी के पार्टी स्कूल में 1906 से रोजा लक्जेमबुर्ग और बेबेल जैसे प्रमुख पार्टी सदस्य पढ़ने लगे. बेबेल के पिता ने कहा था, ज्ञान ताकत है, ताकत ज्ञान है. 1912 तक एसपीडी जर्मनी की सबसे बड़ी पार्टी बन गई.
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अशांत वाइमार गणतंत्र
बर्लिन में 9 नवम्बर 1918 को राइषटाग भवन के छज्जे से गणतंत्र की घोषणा करते एसपीडी नेता फिलिप शाइडेमन. एक साल बाद पार्टी नेता फ्रीडरिष एबर्ट राइष चांसलर बने. महिलाओं को मताधिकार मिला.
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नाजी शासन का विरोध
एसपीडी सांसद ओटो वेल्स ने 1933 में संसद को कमजोर करने की हिटलर की कोशिश का विरोध किया. कुछ ही महीनों बाद मजदूर संगठनों को भंग कर दिया गया, एसपीडी पर प्रतिबंध लगा दिया गया.
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दमन और निर्वासन
नाजियों की निगरानी में दीवार साफ करते एसपीडी नेता. नाजी शासन के दौरान बहुत से पार्टी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया, उन्हें यातना दी गई या मार डाला गया. पार्टी के बहुत से नेता निर्वासन में चले गए.
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पार्टी का पुनर्गठन
बमबारी में ध्वस्त फ्रैंकफर्ट में 1946 में भाषण देते पश्चिमी कब्जे वाले जर्मनी में एसपीडी के नए अध्यक्ष कुर्ट शूमाखर. सोवियत पूर्वी जर्मनी में एसपीडी और कम्युनिस्ट पार्टी का जबरन विलय कर दिया गया.
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जनाधार वाली पार्टी
एसपीडी ने 1959 में गोडेसबर्ग कार्यक्रम पास किया. पार्टी ने सामाजिक बाजार अर्थव्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा को गले लगाया. इसकी वजह से 1966 में सीडीयू के साथ गठबंधन संभव हुआ, विली ब्रांट उप चांसलर बने.
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नई शुरुआत
तीन साल बाद 1969 में विली ब्रांट संघीय जर्मनी के पहले एसपीडी चांसलर बने. वॉरसॉ में घुटने टेककर विली ब्रांट ने देश की नई पूर्वी नीति की नींव रखी. उन्होंने अधिक लोकतंत्र की हिम्मत दिखाने का नारा दिया.
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वामपंथी रुझान
1968 के छात्र आंदोलन के बाद बहुत से लोग पार्टी में शामिल हुए. वे पार्टी में नई बयार लाए, लेकिन वैचारिक संघर्ष भी. 1974 में हाइडेमारी विचोरेक सौएल पार्टी के युवा संगठन की पहली महिला अध्यक्ष बनी.
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श्मिट और जर्मन शरद
वामपंथी उग्रवादी संगठन रेड आर्मी फ्रैक्शन द्वारा मारे गए जर्मन नियोक्ता संघ के अध्यक्ष हंस मार्टिन श्लायर की पत्नी को शोक संवेदना. एसपीडी चांसलर हेल्मुट श्मिट की सरकार के लिए यह कठिन घड़ी थी.
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विपक्ष में कठिन दिन
लिबरल पार्टी के साथ 1982 में गठबंधन टूटने के बाद एसपीडी लम्बे समय तक विपक्ष में रहा. 1994 में रूडोल्फ शार्पिंग सत्ता वापस जीतने में नाकाम रहे. ऑस्कर लाफोन्टेन (बीच में) पार्टी नए अध्यक्ष बने.
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सुधार की उहापोह
सितंबर 1998 में एसपीडी ग्रीन पार्टी के साथ फिर से सत्ता में आई. चांसलर गेरहार्ड श्रोएडर ने रोजगार बाजार में व्यापक लेकिन विवादास्पद सुधार किए. इसका विरोध करने वाले बहुत से लोगों ने पार्टी छोड़ दी.
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नया नेतृत्व
अब अपनी साफगोई के लिए मशहूर पेअर श्टाइनब्रुक चांसलर पद के लिए अंगेला मैर्केल को चुनौती दे रहे हैं.