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लादेन की मौत, ओबामा को राजनीतिक वरदान

२ मई २०११

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा पहले ही अगला चुनाव लड़ने का एलान कर चुके हैं. ऐसे में अल कायदा नेता ओसामा बिन लादेन की मौत से उन्हें जबरदस्त राजनीतिक ताकत मिलेगी. क्या फिर जीत के लिए यही काफी है.

पिछले अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश को सालों तक चकमा देते रहे अल कायदा मास्टरमाइंड ओसामा बिन लादेन को अमेरिकी फौज ने सोमवार को पाकिस्तान में मार गिराया. इससे राष्ट्रपति ओबामा को बहुत राजनीतिक फायदा हो सकता है. वह नेतृत्व और राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर अपनी विश्वसनीयता पर आलोचकों के सोचने का तरीका भी बदल सकते हैं.

जैसे ही लादेन के मरने की खबर फैली तो व्हाइट हाउस के सामने लोगों की भीड़ जुटनी शुरू हो गई. लोग हाथों में अमेरिकी झंडा लिए "अमेरिका, अमेरिका" के नारे लगा रहे थे. इन नारों की गूंज व्हाइट हाउस के अंदर तक सुनाई दे रही थी और बेशक राष्ट्रपति ओबामा की टीम की छाती चौड़ी हो रही होगी. खासकर ओबामा प्रशासन को पिछले दो सालों में घरेलू और अंतरराष्ट्रीय मोर्चों पर मुश्किल हालात का सामना करना पड़ा जिसके चलते ओबामा की क्षमता पर सवाल भी उठे. लेकिन अब जश्न का वक्त है.

क्या राह होगी आसान

लादेन की मौत के खबर के बाद विश्व मंच पर ओबामा के असर में जबरदस्त इजाफा होगा. लेकिन मौजूदा राजनीति के पल पल बदलते मूड और लगातार जारी मुश्किल आर्थिक हालात को देखते हुए यह नहीं कहा जा सकता कि सिर्फ अल कायदा पर मिली जीत ओबामा को फिर से व्हाइट हाउस पहुंचाने के लिए काफी है. अमेरिकी चुनाव आम तौर पर आर्थिक मुद्दों पर लड़े जाते हैं और अमेरिकी सरकार की आर्थिक रिकवरी का असल असर दिखना अभी बाकी है. सीबीएस और न्यूयॉर्क टाइम्स के पिछले महीने हुए सर्वे में सिर्फ 46 फीसदी लोग ही ओबामा के प्रदर्शन से संतुष्ट बताए गए. आर्थिक स्थिति अब भी मतदाताओं की चिंता बनी हुई है.

नवंबर 2012 में चुनावों से पहले भले जो हो, लेकिन ओबामा को इतिहास में ऐसे राष्ट्रपति के तौर पर याद किया जाएगा जिसने ओसामा बिल लादेन को मार गिराया. पाकिस्तान में लादेन की मौत के लिए चलाए गए अभियान का ब्यौरा अब भी बहुत ज्यादा साफ नहीं है, लेकिन अमेरिकी सेना का कहना है कि इसमें विशेष बलों ने हिस्सा लिया. इसके लिए महीनों से खुफिया अभियान चल रहा था. अगर यह अभियान नाकाम होता, तो पहले से ही आलोचनाओं से घिरे ओबामा को और मुश्किलों का सामना करना पड़ता. इससे पहले पूर्व राष्ट्रपति जिमी कार्टर की राजनीतिक विश्वसनीयता को उस वक्त बेहद झटका लगा, जब ईरान से बंधकों को बचाने के लिए हेलीकॉप्टरों का अभियान नाकाम रहा.

रिपब्लिकनों का सलाम

डेमोक्रैटिक सांसद गैरी अकरमन ने सीएनएन को बताया कि यह "मिशन पूरा हुआ" वाला लम्हा है जिसके बारे में राष्ट्रपति बुश सिर्फ ख्वाब ही देखते रहे. वह कहते हैं, "यह पिछले 100 सालों की सबसे बड़ी घटनाओं में से एक है. मुझे लगता है कि इससे राष्ट्रपति ऐसी स्थिति में आ गए हैं जो उन्हें ऐसे बेधड़क अभियानों का कमांडर इन चीफ बनाती है जिसके नतीजे अविश्वसनीय होते हैं."

सुरक्षा मुद्दों पर अक्सर राष्ट्रपति ओबामा की आलोचना करने वाले रिपब्लकिन सासंद पीटर किंग ने भी ओबामा की तारीफ की है. उन्होंने कहा, "बहुत सी चीजें गलत हुई होंगी, लेकिन फिर भी राष्ट्रपति में आगे बढ़ने का दम है. यह शानदार तरीके से पूरा किया गया अभियान है. मैं अमेरिकी इतिहास में इस सबसे महान उपलब्धि के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति को सलाम करता हूं."

लादेन की मौत से 2012 के चुनाव में रिपब्लिकनों के हाथ से एक बड़ा हथियार चला गया. वरना वे ओबामा को कमजोर राष्ट्रपति बताकर चुनाव में फायदा उठाने की कोशिश करते. अब 2012 के चुनाव में विपक्षी रिपबल्किन पार्टी यह नहीं कह सकती कि आतंकवाद के मुद्दे पर ओबामा का रुख नरम है और एक लाचार कमांडर इन चीफ हैं.

वापसी पर नजर

विश्लेषकों की इस पर भी नजर होगी कि लादेन की मौत का अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी की योजना पर क्या असर होता है. अफगान युद्ध बेहद अलोकप्रिय है. लोग सवाल कर सकते हैं कि अब क्यों अमेरिकी सेना लंबे समय तक अफगानिस्तान में रहना चाहती है क्योंकि जिसे जनता असली दुश्मन मानती थी, वह तो मारा गया.

रिपोर्टः एएफपी/ए कुमार

संपादनः ओ सिंह

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