"लिंग की पहचान बताने वाला विज्ञापन 36 घंटे में हटाओ"
१६ नवम्बर २०१६
गूगल, याहू और माइक्रोसॉफ्ट को लिंग परीक्षण से जुड़ा विज्ञापन 36 घंटे के भीतर हटाना होगा. भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने निगरानी के लिए नोडल एजेंसी बनाने का आदेश भी दिया.
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गर्भावस्था के दौरान लिंग परीक्षण करना भारत में अपराध है. लेकिन इंटरनेट में लिंग परीक्षण से जुड़े विज्ञापन दिखाई पड़ रहे हैं. गूगल, याहू और माइक्रोसॉफ्ट जैसी दिग्गज कंपनियां इंटरनेट पर ज्यादातर विज्ञापन देती हैं. इसी को संज्ञान में लेते हुए बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने इन तीनों कंपनियों को 36 घंटे के अंतर लिंग परीक्षण वाले विज्ञापन हटाने का आदेश दिया. कोर्ट ने ऐसे विज्ञापनों पर नजर रखने के लिए केंद्र को नोडल एजेंसी बनाने का निर्देश भी दिया.
जस्टिस दीपक मिश्रा और अमिताभ रॉय की बेंच ने कहा, "हम भारतीय संघ को निर्देश देते हैं कि वह एक नोडल एजेंसी बनाए जो टीवी, रेडियो और अखबारों में विज्ञापन दे, कि अगर कोई भी ऐसी चीज दिखे जो जन्म से पहले लड़की या लड़के की पहचान बताती हो, तो नोडल एजेंसी को उसका पता चलना चाहिए."
(ये हैं महिलाओं के लिये सबसे खतरनाक भारतीय शहर)
औरतों के लिए खतरनाक भारतीय शहर
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के 2015 के आंकड़े दिखाते हैं कि किस शहर में महिलाओं के खिलाफ सबसे ज्यादा अपराध हुए. ये छह शहर सबसे ज्यादा खतरनाक साबित हुए.
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नंबर 6: दुर्ग-भिलाई, छत्तीसगढ़
दुर्ग और भिलाई दोनों नगरों को मिलाकर आंकड़े खतरनाक रहे. 10 लाख लोगों के इन शहरों में क्राइम रेट 16.4 रहा और रेप की दर रही 7.9.
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नंबर 5: नागपुर, महाराष्ट्र
राज्य की दूसरी राजधानी नागपुर में 2015 में रेप के 166 मामले दर्ज हुए और हिंसा 392. यानी रेप की दर रही 6.6 और हिंसक अपराधों की दर रही 15.7.
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नंबर 4: भोपाल, मध्य प्रदेश
राजधानी भोपाल में भी महिलाएं ज्यादा सुरक्षित नहीं हैं. 2015 में यहां 133 रेप हुए और हिंसा के 322 मामले दर्ज हुए. यानी रेप की दर 7.1 रही. हिंसक अपराधों की दर 17.1 रही.
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नंबर 3: ग्वालियर, मध्य प्रदेश
महिलाओं के खिलाफ रेप की दर यहां रही 10.4. हिंसक अपराधों की दर 17.1 रही. 2014 में भी यहां हालात कुछ अच्छे नहीं थे.
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नंबर 2: दिल्ली
भारत की राजधानी दिल्ली को कई बार लोग रेप कैपिटल भी बोलते हैं. आंकड़े भी खतरनाक हैं. यहां 1893 रेप केस हुए और हिंसा के 4563 मामले हुए. यहां रेप की दर रही 11.6 और हिंसा की 28.
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नंबर 1: जोधपुर
राजस्थान के किलों का शहर महिलाओं के लिए खतरनाक साबित हुआ है. यहां रेप के 152 मामले सामने आए और हिंसा के 440 मामले दर्ज हुए जिनमें यौन हिंसा भी शामिल है. यानी रेप की दर रही 13.4 और हिंसा की 38.7.
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कोर्ट के मुताबिक, "एक बार नोडल एजेंसी के नोटिस में आने के बाद, उसे सर्च इंजनों को सूचित करना होगा और सूचना मिलने के 36 घंटे के भीतर उन्हें वह (विज्ञापन) हटाना होगा और नोडल एजेंसी को जानकारी देनी होगी."
17 फरवरी को मामले की अगली सुनवाई होगी. तब तक "अंतरिम व्यवस्था" के अधार पर काम किया जाएगा. लिंगानुपात पर चिंता व्यक्त करते हुए सर्वोच्च अदालत ने यह भी कहा, "कोई लड़का है या लड़की, भारत में इस तरह की जानकारी जरूरी नहीं है. लिंगानुपात गिर रहा है और हमें इसकी चिंता है."
भारत में भ्रूण के लिंग की पहचान करना 1994 के प्री-कन्सेप्शन एंड प्री-नेटल सेक्स डिटरमिनेशन एक्ट के तहत गैरकानूनी है. गूगल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड का पक्ष रख रहे वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि कंपनी पहले के दिये गए आदेश का पालन कर रही है और अभी भी इस तरह के विज्ञापनों को ब्लॉक करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं. अन्य सर्च इंजनों की ओर से वकालत कर रहे वकीलों ने भी ऐसे कदम उठाने का जिक्र किया.
भारत में लिंगानुपात बुरी तरह गड़बड़ाया हुआ है. 1990 के दशक में बड़े पैमाने पर हुई कन्या भ्रूण हत्या के चलते देश में 1,000 पुरुषों के मुकाबले मात्र 940 महिलाएं हैं.
(क्या हैं भारत में महिलाओं के कानूनी अधिकार)
भारत में महिलाओं के कानूनी अधिकार
भारत में महिलाओं के लिए ऐसे कई कानून हैं जो उन्हें सामाजिक सुरक्षा और सम्मान से जीने के लिए सुविधा देते हैं. देखें ऐसे कुछ महत्वपूर्ण कानूनी अधिकार...
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पिता की संपत्ति का अधिकार
भारत का कानून किसी महिला को अपने पिता की पुश्तैनी संपति में पूरा अधिकार देता है. अगर पिता ने खुद जमा की संपति की कोई वसीयत नहीं की है, तब उनकी मृत्यु के बाद संपत्ति में लड़की को भी उसके भाईयों और मां जितना ही हिस्सा मिलेगा. यहां तक कि शादी के बाद भी यह अधिकार बरकरार रहेगा.
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पति की संपत्ति से जुड़े हक
शादी के बाद पति की संपत्ति में तो महिला का मालिकाना हक नहीं होता लेकिन वैवाहिक विवादों की स्थिति में पति की हैसियत के हिसाब से महिला को गुजारा भत्ता मिलना चाहिए. पति की मौत के बाद या तो उसकी वसीयत के मुताबिक या फिर वसीयत ना होने की स्थिति में भी पत्नी को संपत्ति में हिस्सा मिलता है. शर्त यह है कि पति केवल अपनी खुद की अर्जित की हुई संपत्ति की ही वसीयत कर सकता है, पुश्तैनी जायदाद की नहीं.
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पति-पत्नी में ना बने तो
अगर पति-पत्नी साथ ना रहना चाहें तो पत्नी सीआरपीसी की धारा 125 के तहत अपने और बच्चों के लिए गुजारा भत्ता मांग सकती है. घरेलू हिंसा कानून के तहत भी गुजारा भत्ता की मांग की जा सकती है. अगर नौबत तलाक तक पहुंच जाए तब हिंदू मैरिज ऐक्ट की धारा 24 के तहत मुआवजा राशि तय होती है, जो कि पति के वेतन और उसकी अर्जित संपत्ति के आधार पर तय की जाती है.
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अपनी संपत्ति से जुड़े निर्णय
कोई भी महिला अपने हिस्से में आई पैतृक संपत्ति और खुद अर्जित की गई संपत्ति का जो चाहे कर सकती है. अगर महिला उसे बेचना चाहे या उसे किसी और के नाम करना चाहे तो इसमें कोई और दखल नहीं दे सकता. महिला चाहे तो उस संपत्ति से अपने बच्चो को बेदखल भी कर सकती है.
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घरेलू हिंसा से सुरक्षा
महिलाओं को अपने पिता या फिर पति के घर सुरक्षित रखने के लिए घरेलू हिंसा कानून है. आम तौर पर केवल पति के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले इस कानून के दायरे में महिला का कोई भी घरेलू संबंधी आ सकता है. घरेलू हिंसा का मतलब है महिला के साथ किसी भी तरह की हिंसा या प्रताड़ना.
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क्या है घरेलू हिंसा
केवल मारपीट ही नहीं फिर मानसिक या आर्थिक प्रताड़ना भी घरेलू हिंसा के बराबर है. ताने मारना, गाली-गलौज करना या फिर किसी और तरह से महिला को भावनात्मक ठेस पहुंचाना अपराध है. किसी महिला को घर से निकाला जाना, उसका वेतन छीन लेना या फिर नौकरी से संबंधित दस्तावेज अपने कब्जे में ले लेना भी प्रताड़ना है, जिसके खिलाफ घरेलू हिंसा का मामला बनता है. लिव इन संबंधों में भी यह लागू होता है.
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पुलिस से जुड़े अधिकार
एक महिला की तलाशी केवल महिला पुलिसकर्मी ही ले सकती है. महिला को सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले पुलिस हिरासत में नहीं ले सकती. बिना वारंट के गिरफ्तार की जा रही महिला को तुरंत गिरफ्तारी का कारण बताना जरूरी होता है और उसे जमानत संबंधी उसके अधिकारों के बारे में भी जानकारी दी जानी चाहिए. साथ ही गिरफ्तार महिला के निकट संबंधी को तुरंत सूचित करना पुलिस की ही जिम्मेदारी है.
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मुफ्त कानूनी मदद लेने का हक
अगर कोई महिला किसी केस में आरोपी है तो महिलाओं के लिए कानूनी मदद निःशुल्क है. वह अदालत से सरकारी खर्चे पर वकील करने का अनुरोध कर सकती है. यह केवल गरीब ही नहीं बल्कि किसी भी आर्थिक स्थिति की महिला के लिए है. पुलिस महिला की गिरफ्तारी के बाद कानूनी सहायता समिति से संपर्क करती है, जो कि महिला को मुफ्त कानूनी सलाह देने की व्यवस्था करती है.