नीदरलैंड्स का एक शख्स चाहता था कि उसकी उम्र घट जाए. उम्र घटाने की इसी जद्दोजहद में वह अदालत तक चला गया लेकिन अदालत ने उसकी याचिका खारिज करते हुए कहा कि आप लिंग और नाम तो बदल सकते हैं लेकिन उम्र घटाना भूल जाइए.
विज्ञापन
क्या आपको कभी लगा है आपका मन और ऊर्जा आपकी उम्र से मेल नहीं खाता? क्या आपने कभी महसूस किया है कि आपकी उम्र जरूर बढ़ रही है लेकिन इसके बावजूद आप जवान बने हुए हैं. ऐसे ख्याल आना लाजिमी है, लेकिन सवाल है कि इसके लिए क्या किया जाए.
अपने ऐसे ही सवालों का जवाब खोजते हुए नीदरलैंड्स में बतौर मोटिवेशनल स्पीकर नाम कमा चुके एमिले राटलबांड अदालत पहुंच गए. राटलबांड उस वक्त चर्चा में आएं जब उन्होंने कोर्ट में दायर अपनी याचिका में कहा कि कानूनी तौर पर उनकी उम्र 69 साल है लेकिन वह बिलकुल भी ऐसा महसूस नहीं करते हैं. उन्होंने यह भी कहा उम्र में बदलाव करना नाम, लिंग में बदलाव करने जैसा ही है जिसे नीदरलैंड्स और दुनिया के कई देशों में मान्यता मिली हुई है.
राटलबांड की इन दलीलों पर अदालत राजी नहीं हुई. अदालत ने कहा कि अगर वह अपनी उम्र से कम का महसूस करते हैं तो वह ऐसा कर सकते हैं. लेकिन जिंदगी के 20 वर्षों को कम करने का मतलब है उनकी जन्म तिथि, शादी, पार्टनरशिप और अन्य चीजों के रिकॉर्ड को झुठलाना, जिसके तमाम कानूनी और सामाजिक प्रभाव पड़ सकते हैं.
कोर्ट ने लिंग जैसी दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि डच कानूनों में एक उम्र के बाद कई अधिकार दिए जाते हैं, मसलन वोट का अधिकार और स्कूल जाने का अधिकार. ऐसे में अगर राटलबांड के आवदेन पर गौर किया जाए तो वे सारे कानून बेमतलब हो जाएंगे.
याचिकाकर्ता को कोर्ट से मिले जवाब पर कोई खास निराशा नहीं हुई है और अब वह आगे अपील करने का मन बना रहे हैं. उन्होंने कहा, "यह अच्छा है. कोर्ट से याचिका खारिज होना आपको सारी बातों के बारे में बताता है, जिसे आप आगे अपील में जाने से पहले सोच सकते हैं." उन्होंने कहा कि वह पहले ऐसे इंसान हैं जो अपनी उम्र को बदलना चाहते हैं.
अदालत ने कहा कि वह लोगों की लंबे समय तक फिट और स्वस्थ रखने की बात का स्वागत करती है लेकिन इसे किसी व्यक्ति की जन्मतिथि में संशोधन किए जाने के लिए तर्क नहीं माना जा सकता. राटलबांड का कहना था कि उनका मामला नाम, लिंग बदलने जैसा ही है, "नाम और लिंग जैसे मामलों के साथ इसकी तुलना की जा सकती है क्योंकि यह पहचान का मामला है, भावनाओं से जुड़ा है." कोर्ट राटलबांड के किसी भी तर्क पर संतुष्ट नहीं हुई और जजों ने कहा कि उम्र के आधार पर भेदभाव को चुनौती देने के लिए कई और विकल्प हैं, उसके लिए किसी व्यक्ति की उम्र में संशोधन किया जाना जरूरी नहीं है.
अजब गजब केस जो हार गए लोग
मामला कितना भी अजीब क्यों न हो, अदालत को उस पर गंभीरता से विचार करके फैसला देना है. जर्मन जजों के सामने ऐसे कई मामले आ चुके हैं.
तस्वीर: picture-alliance/joker
कॉपी करने के चक्कर में
एक साहब दफ्तर में फोटो कॉपी मशीन के पास खड़े थे. सोचा कॉपी करते करते अल्कोहल-फ्री बियर गटक ली जाए. लेकिन बियर की बोतल खुली तो झाग निकली और हड़बड़ा गए. कई दांत तुड़ा बैठे. इंश्योरेंस से पैसे मांगे. ड्रेसडेन की कोर्ट ने कहा, नहीं. खाना-पीना तो इंश्योरेंस के तहत नहीं आता. और फोटोकॉपी करने से आप थकते भी नहीं हैं कि पानी की प्यास लगी. लिहाजा, कुछ नहीं मिलेगा.
तस्वीर: Techniker Krankenkasse
फिसल गए
एक महिला ने घर में ही दफ्तर बना रखा था. वह पानी लेने के लिए उठीं तो फिसल गईं. मामला जर्मनी की नेशनल सोशल कोर्ट तक पहुंचा. कोर्ट ने कहा कि ऑफिस में खाने पीने के लिए जाते वक्त कुछ होने पर मुआवजा मिलना चाहिए. लेकिन ऑफिस तो घर में ही था. इसलिए महिला को खुद ही जिम्मेदार ठहराया गया.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/B. Pedersen
आइस क्रीम से हार्ट अटैक
एक साहब काम से घर लौट रहे थे, आइस क्रीम खाते हुए. ट्राम में घुसने लगे तो जल्दबाजी में एक पूरा बड़ा सा हिस्सा निगल गए. यह हिस्सा यूं का यूं चला गया नली में. और जो दर्द उठा. बाद में पता चला कि यह हार्ट अटैक था. मुआवजा नहीं दिया. कोर्ट पहुंचे. कोर्ट ने कहा, यह हादसा काम से नहीं जुड़ा था. आइस क्रीम मजे के लिए खाई जाती है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/C. Seidel
सेक्स में गड़बड़
एक सरकारी अफसर बिजनेस ट्रिप पर थीं. उस दौरान होटल में सेक्स करते हुए एक गड़बड़ हो गई. दीवार पर लगा बल्ब उखड़ा और उनके ऊपर आ गिरा. चोट भी लगी. महिला ने मुआवजा मांगा तो कोर्ट ने साफ इनकार कर दिया. कोर्ट ने कहा कि अफसर को उस वक्त सेक्स नहीं करना चाहिए था क्योंकि वह काम पर थीं.
तस्वीर: Colourbox
कूदने से पहले सोचें
एक ऑफिस में ट्रेनिंग चल रही थी. ब्रेक हुआ तो कॉलीग्स मस्ती करने लगे. एक 27 साल के युवक पर लोग पिचकारी से पानी फेंकने लगे. वह खिड़की से कूद गया. धड़ाम से गिरा. चोट लगी. लेकिन मुआवजा नहीं मिला. कोर्ट ने कहा, कूदना ही नहीं चाहिए था.
तस्वीर: picture alliance/dpa
काम पर सो गए
बार में काम करते हुए एक बंदी सो गई और नींद में कुर्सी से गिर गई. चोट लग गई. मुआवजा नहीं मिला. कोर्ट ने कहा कि वह काम की वजह से नहीं गिरी है इसलिए उसे मुआवजा नहीं मिल सकता.
तस्वीर: Imago/blickwinkel
सोच समझ के लड़ो
एक साहब काम से इबित्सा गए थे. बीच पर क्लाइंट्स के साथ थोड़ी ज्यादा ही पी ली. बाउंसर्स से झगड़ा हो गया. दो-चार पड़ भी गए. अब उन्होंने कहा कि मैं तो काम से वहां गया था, मुआवजा दो. कोर्ट ने झाड़ा. कहा कि काम से गए थे तो दारू क्यों पी.
तस्वीर: picture alliance/PIXSELL/F. Brala
गाय सोच-समझकर बचाएं
एक गाय अपनी ही जंजीर में फंस गई. उसका दम घुटने लगा. गाय के मालिक का भाई उसे बचाने आया तो उस पर एक और गाय ने पांव रख दिया. उसकी टांग टूट गई. कोर्ट ने मुआवजा खारिज कर दिया. कहा कि तुम उस वक्त किसी का काम नहीं कर रहे थे, इसलिए कुछ नहीं मिलेगा.