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लीक दस्तावेजों से मुश्किल में अब्बास

२४ जनवरी २०११

लीक दस्तावेजों के मुताबिक फलीस्तीनी वार्ताकारोँ ने इस्राएल को अत्यधिक रियायतें देते हुए कह दिया कि वह पूर्वी येरुशलम के बड़े हिस्से को अपने पास रख सकता है. इस खुलासे से फलीस्तीनी राष्ट्रपति की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.

महमूद अब्बासतस्वीर: AP

टीवी चैनल अल जजीरा को मध्यपूर्व शांति वार्ता से जुड़े लगभग डेढ़ हजार गोपनीय दस्तावेज हासिल हुए हैं. इनके मुताबिक फलीस्तीनी वार्ताकारों ने इस्राएल को गुपचुप तरीके से कहा दिया कि वे पूर्वी येरुशलम से बड़े हिस्से को अपने पास रख सकता है. इन दस्तावेजों में दर्ज जानकारी और फलीस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास का सार्वजनिक रुख एक दूसरे से टकराते हैं.

इन दस्तावेजों के मुताबिक फलीस्तीनी वार्ताकारों की जरूरत से ज्यादा दरियादिली के बदले इस्राएल ने कोई रियायत देने का वादा नहीं किया. दस्तावेजों में ऐसी बहुत सी बाते हैं जो 1967 के युद्ध में इस्राएल द्वारा कब्जाई जमीन पर अपना अलग देश बनने का सपना देखने वाले फलीस्तियों को झकझोर देंगी.

तस्वीर: Berthold Werner

ऐतिहासिक रियायत की पेशकश

2008 में फलीस्तीनी, अमेरिकी और इस्राएली अधिकारियों की बातचीत से जुड़े दस्तावेज के मुताबिक वरिष्ठ फलीस्तीनी वार्ताकार ने इस्राएल से कहा कि वह एक को छोड़ कर येरुशलम की सभी बडी बस्तियों को अपने पास रख सकता है ताकि दशकों से खिंचे चले आ रहे इस विवाद को खत्म किया जा सके.

अल जजीरा ने रविवार को कहा कि उसके पास और भी दस्तावेज हैं जिन्हें वह जल्द ही प्रकाशित करेगा. इन दस्तावेजों से पता चलता है कि फलीस्तीनी पक्ष फलीस्तीनी शरणार्थियों की वापसी के अधिकार जैसे अत्यधिक संवेदनशील मुद्दों पर भी बड़ी छूट देने को तैयार हैं.

तस्वीर: AP

फलीस्तीन के मुख्य वार्ताकार साएब एरेकात ने इन दस्तावेजों को खारिज किया. उन्होंने अल जजीरा के कार्यक्रम में इन्हें "झूठ का पुलिंदा" कहा. जब उनसे लंदन के एक अरबी अखबार के संपादक ने पूछा कि उन्हें और फलीस्तीनी नेतृत्व को किसने यह अधिकार दिया है कि वे पवित्र इस्लामिक स्थलों को छोड़ें दें, तो एरेकात बचाव की मुद्रा में थे.

एक दस्तावेज में एरेकात को एक इस्राएली अधिकारी से यह कहते हुए बताया गया है, "यह कोई दबी छुपी बात नहीं है कि हम आपको येरुशालायिम का सबसे बड़ा हिस्सा दे रहे हैं, जो अब से पहले कभी नहीं हुआ है." यह बात भी गौर करने वाली है कि एरेकात ने इस पेशकश में येरुशलम के लिए हिब्रू भाषा के शब्द का इस्तेमाल किया.

तस्वीर: DW

2008 में फलीस्तीन के अहम वार्ताकार अहमद कुरी के हवाले कहा गया है कि इस्राएल येरुशलम में हार होमा को छोड़ कर सभी बस्तियों को अपने पास रख सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि इस्राएल ओल्ड सिटी ऑफ येरुशलम के कुछ हिस्सों पर भी नियंत्रण बनाए रख सकता है. दस्तावेज में अहमद कुरी के मुताबिक, "इतिहास में यह पहला मौका है जब हम इस तरह की पेशकश कर रहे हैं."

येरुशलम तो हमारा है

गाजा पट्टी पर शासन करने वाले और राष्ट्रपति महमूद अब्बास के विरोधी हमास गुट ने कहा है कि इन दस्तावेजों से पता चलता है कि फलीस्तीनी प्राधिकरण फलीस्तीनी राष्ट्र के लिए क्या कर रहा है. एक फलीस्तीनी विश्लेषक जकारिया अल कैक का कहना है, "इससे फलीस्तीनी नेतृत्व की असलियत सामने आ गई है. वे लोगों का भरोसा जीतने में कामयाब नहीं होंगे." हालांकि एक अन्य विश्लेषक हानी अल मशरी का कहना है कि दस्तावेज लीक होने का ज्यादा असर नहीं होगा. वह कहते हैं, "इसका कोई ज्यादा असर नहीं होगा. यह कोई नई बात नहीं है."

पिछले हफ्ते ही अब्बास ने कहा कि येरुशलम को लेकर कोई बात नहीं होगी. उन्होंने कहा, "हमारे नजरिए से येरुशलम पर कोई बात नहीं होगी. वह तो हमारा है." हालांकि उन्होंने साफ किया कि पश्चिमी येरुशलम इस्राएल का है जो इस यहूदी देश की राजधानी बन सकता है.

इस्राएल ने 1967 के युद्ध में पूर्वी येरुशलम पर कब्जा कर लिया और उसके आसपास पश्चिमी तट के हिस्से को अपने क्षेत्रफल में मिला लिया. हालांकि इस कदम को कभी अंतरराष्ट्रीय मान्यता नहीं मिली. दोनों ही पक्ष येरुशलम को अपनी राजधानी बनाना चाहते हैं.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः एस गौड़

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