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लीबिया अभियान में नाटो को जर्मनी की मदद

२८ जून २०११

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में लीबिया प्रस्ताव पर हुए मतदान में तटस्थ रहने वाला जर्मनी भविष्य में लीबियाई शासक मुअम्मर अल गद्दाफी की टुकड़ियों पर हमलों में नाटो की मदद करेगा.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

जर्मन रक्षा मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने इस सिलसिले में मीडिया रिपोर्टों की पुष्टि की है और कहा है कि नाटो मेंटेनेंस एंड सप्लाई एजेंसी (नाम्सा) ने मदद के लिए पूछताछ की है. प्रवक्ता ने कहा, "मदद में सक्रिय होने की सैद्धांतिक सहमति का संकेत दिया गया है."

श्पीगेल ऑनलाइन ने सरकारी हल्कों से खबर दी है कि नाम्सा की चिट्ठी पिछले सप्ताह के शुरू में ही आई और उसमें सैनिक सहबंध ने जर्मनी से तकनीक के अलावा बमों के पुर्जों और दूसरी सैन्य तकनीक देने का आग्रह किया है. रक्षा मंत्री थोमास दे मिजियेर ने इसके लिए तुरंत सहमति दे दी और इसके साथ इस बात की भी अनुमति दे दी कि जर्मन सेना नाटो को गद्दाफी की टुकड़ियों पर हमले के लिए बमों के पुर्जों के अलावा मिसाइलों की सप्लाई भी कर पाएगी.

श्पीगेल ऑनलाइन के अनुसार नाम्सा ने अब तक किसी खास हथियार या कलपुर्जों की मांग नहीं की है. लेकिन जर्मन सरकार यह मानकर चल रही है कि कुछ ही दिनों में इस तरह का आग्रह जर्मन सेना को मिलेगा. नाटो के अंदर सदस्य देश राष्ट्रीय संसदों से अनुमति लिए बिना या जर्मनी के मामले में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद को बताए बिना हथियारों की मदद दे सकते हैं. मीडिया रिपोर्टों का कहना है कि जर्मनी से की गई मांग इस बात का संकेत है कि लीबिया में नाटो के हथियार धीरे धीरे समाप्त हो रहे हैं.

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में लीबिया में उड़ान प्रतिबंधित क्षेत्र बनाने के प्रस्ताव पर मार्च हुए मतदान में जर्मनी ने अपना वोट रोक लिया था. जर्मन सरकार के इस फैसले पर प्रस्ताव लाने वाले ब्रिटेन और फ्रांस के अलावा अमेरिका को भी आश्चर्य हुआ था, जबकि जर्मन के सरकारी गठबंधन में भी इसकी आलोचना हुई थी.

रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा

संपादन: ए कुमार

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