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लीबिया के नए शासन पर गंभीर आरोप

१३ सितम्बर २०११

गद्दाफी जा चुके हैं. लेकिन लीबिया अभी शांत नहीं है. वहां युद्ध अपराधों के आरोप हैं. विद्रोहियों की हत्याएं हैं. गद्दाफी समर्थकों का विद्रोह है. और अल कायदा की खुद को स्थापित करने की कोशिश भी है.

तस्वीर: DW

लीबिया में गद्दाफी का चार दशक पुराना शासन खत्म हो गया है. वहां के लोग जीत का जश्न मना रहे हैं. लेकिन यह जीत इतनी साफ सुथरी और खुशनुमा नहीं है. मानवाधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल ने गद्दाफी के खिलाफ लड़ने वाले विद्रोहियों पर युद्ध अपराध के आरोप लगाए हैं.

एमनेस्टी इंटरनेशनल ने विद्रोहियों के संगठन नेशनल ट्रांजिशनल काउंसिल से अपील की है कि देश में चल रहीं अंधाधुंध गिरफ्तारियां और मासूमों पर किए जा रहे हमले फौरन बंद होने चाहिए. संस्था की ओर से जारी की गई एक रिपोर्ट में गद्दाफी के शासन में मानवाधिकारों के हनन के दिल दहला देने वाले उदाहरण दिए गए हैं. लेकिन इसी रिपोर्ट में कहा गया है कि नए शासन ने भी कई क्रूर काम किए हैं.

मुस्तफा अब्दल जलील की धैर्य की अपीलतस्वीर: dapd

एमनेस्टी के आरोप

एमनेस्टी ने कहा है कि फरवरी में पूर्वी लीबिया पर विद्रोहियों का कब्जा होने के बाद से ऐसे दर्जनों लोगों की हत्या की जा चुकी है जिन पर गद्दाफी के समर्थक या सुरक्षा एजेंट होने का संदेह था. रिपोर्ट कहती है, "विद्रोही लड़ाकों और उनके समर्थकों ने सुरक्षा बलों के पूर्व सदस्यों, पकड़े गए सैनिकों और गद्दाफी के संभावित समर्थकों को पकड़ा, उन्हें अवैध तरीके से हिरासत में रखा, उन्हें यातनाएं दीं और कत्ल कर दिया. ऐसे विदेशियों को भी बेरहमी से कत्ल कर दिया गया जिन पर गद्दाफी की फौज की तरफ से लडने का संदेह था."

एमनेस्टी ने कहा है कि लीबिया में क्रांति के शुरुआती दिनों में तो विद्रोहियों ने बड़ी तादाद में पकड़े गए सैनिकों की हत्या की. रिपोर्ट में लिखा है, "कुछ की हत्या तो पीट पीट कर की गई. कम से कम तीन को फांसी पर लटका दिया गया. और आत्मसमर्पण करने वाले या पकड़े गए दर्जनों सैनिकों को गोली मार दी गई." इस रिपोर्ट का शीर्षक दिया गया है, द बैटल ऑफ लीबियाः किलिंग्स, डिसअपियरेंस एंड टॉर्चर. यानी लीबिया की जंगः हत्या, यातना और लापता लोग.

अमानवीय घटनाओं की कमी नहींतस्वीर: DW

अपराधियों को पकड़ें

रिपोर्ट कहती है कि नया शासन संभालने वाले संगठन एनटीसी के सामने गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन और संभावित युद्ध अपराधों के लिए जिम्मेदार विद्रोही लड़ाकों को काबू करने का मुश्किल काम है लेकिन शासन ने उनकी जिम्मेदारी तय करने में ज्यादा इच्छा नहीं दिखाई है.

एमनेस्टी के मुताबिक जब इन मामलों को अधिकारियों के सामने रखा गया तो उन्होंने इनकी निंदा की. लेकिन वे इनकी गंभीरता को कम करके पेश कर रहे हैं. कुछ ने तो इन्हें यह कहकर खारिज करने की कोशिश की कि गद्दाफी के जघन्य अपराधों की प्रतिक्रिया में ऐसा होना स्वाभाविक है. हालांकि एमनेस्टी भी मानती है कि नए शासन पर जिन अपराधों के आरोप लग रहे हैं, वे गद्दाफी के शासन के दौरान हुए अपराधों के मुकाबले काफी कम हैं.

पहला भाषण और गद्दाफी का जवाब

लीबिया के अंतरिम नेता ने सोमवार को त्रिपोली में अपना पहला भाषण दिया. उन्होंने गद्दाफी शासन के समर्थकों को चेतावनी दी कि वे बदला लेने की कोशिश न करें. सोमवार को ही गद्दाफी समर्थक लड़ाकों ने एक तेल रिफाइनरी पर हमला कर 15 सुरक्षाकर्मियों की हत्या कर दी. इस हमले के बावजूद एनटीसी के अध्यक्ष मुस्तफा अब्देल जलील ने करीब 10 हजार लोगों की भीड़ के सामने दिए अपने भाषण में लोगों से संयम बरतने को कहा.

जलील ने कहा, "हम कानून का शासन चाहते हैं. एक ऐसी जगह जहां तरक्की हो और कानून का मुख्य आधार शरिया हो. इसके लिए हमें बहुत सी शर्तों का पालन करना होगा." उन्होंने कहा कि अतिवादी रवैये को सहन नहीं किया जाएगा.

जीत के जश्न के बीवजूद संघर्ष जारीतस्वीर: dapd

एक सीरियाई टेलीविजन ने सोमवार को बताया कि उसे गद्दाफी का एक संदेश मिला है जिसमें पूर्व शासक ने अपने समर्थकों से लड़ाई जारी रखने को कहा है. टीवी ने कहा कि सुरक्षा कारणों से इस संदेश को नहीं दिखाया जा सकता. इस संदेश के मुताबिक गद्दाफी अभी भी लीबिया में ही हैं. अपने संदेश में उन्होंने कहा, "हम एक बार फिर लीबिया को साम्राज्यवाद के हाथों नहीं हार सकते. हमारे पास लड़ने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है."

अब भी सत्ता पूरी तरह अंतरिम परिषद के हाथ में आई नहीं है. वह पूरे देश में कई जगहों को अपने कब्जे में लेने की कोशिश कर रही है. अब भी कुछ कस्बे हैं जो गद्दाफी के समर्थक हैं और लड़ रहे हैं.

अल कायदा का नया विडियो

उधर आतंकवादी संगठन अल कायदा ने एक संदेश जारी कर अरब जगत में हो रही क्रांतियों का समर्थन किया है. 11 सितंबर 2001 की दसवीं बरसी पर जारी किए इस संदेश में आतंकी संगठन के नए नेता अयमान अल जवाहिरी ने कहा है कि अल कायदा ने अरब क्रांतियों का साथ दिया.

नया विडियो करीब एक घंटे का है. आतंकी संगठनों के संदेशों पर नजर रखने वाली संस्था साइट के मुताबिक इस विडियो में जवाहिरी ने उम्मीद जताई है कि ट्यूनीशिया, मिस्र और लीबिया में नेताओं की सत्ता पलटने वाले लोग सच्चे इस्लाम का राज स्थापित करेंगे.

कई वेबसाइटों पर सोमवार को जारी किए गए इस विडियो को द डॉन ऑफ इमिनेंट विक्टरी यानी जीत की सुबह नाम दिया गया है. इस विडियो में ओसामा बिन लादेन का भी एक संदेश है जो उसने मरने से कुछ वक्त पहले रिकॉर्ड किया था. इस संदेश में उसने अमेरिकियों को बड़े उद्यमों का गुलाम बनने से बचने के लिए कहा है.

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः आभा एम

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