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लीबिया के शहर में भी प्रदर्शन

१६ फ़रवरी २०११

लीबियाई शहर बेनगाजी में सैंकड़ों लोगों की पुलिस और सरकार समर्थकों से झडपें हुई. तेल संसाधनों से मालामाल लीबिया में 40 साल से जारी मुआम्मर गद्दाफी के शासन में इन झडपों को मिस्र और ट्यूनिशिया की क्रांति से जोड़ा जा रहा है.

तस्वीर: picture alliance/Lonely Planet Images

लीबिया के सरकारी टीवी पर बुधवार सुबह देश भर में गद्दाफी के समर्थन में रैलियों की खबर दिखाई गईं. लेकिन राजधानी त्रिपोली से एक हजार किलोमीटर दूर पूर्व में बेनगाजी शहर से रात भर झड़पें होने की खबरें मिल रही हैं.

पत्थर और पेट्रोल बमों से लैस प्रदर्शनकारियों की पुलिस से झड़पें हुईं और उन्होंने कुछ वाहनों को भी आग लगा दी. प्रदर्शनकारी एक मानवाधिकार कार्यकर्ता की गिरफ्तारी का विरोध कर रहे थे.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

लीबिया के एक निजी अखबार कुरीना की वेबसाइट का कहना है कि इन झड़पों में 14 लोग घायल हुए हैं जिनमें दस पुलिसकर्मी हैं. खबर के मुताबिक घायलों में किसी भी हालत गंभीर नहीं है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बेनगाजी के एक निवासी ने बताया, "पिछली रात अच्छी नहीं थी.

लगभग पांच सौ से छह सौ लोग थे. वे सबरी जिले में रेव्योल्यूशनरी कमेटी (स्थानीय सरकार के मुख्यालय) गए. उन्होंने सेंट्रल रेव्योल्यूशनरी कमेटी भी जाने की कोशिश की. उन्होंने पथराव किया. अब शांति है."

बेनगाजी के लोग गद्दाफी के शासन पर विश्वास न करने के लिए जाने जाते हैं. उनके बहुत से आलोचक निर्वासन में रह रहे हैं जबकि इस शहर में बहुत से लोगों को प्रतिबंधित इस्लामी चरमपंथी गुट का सदस्य बनने के लिए जेल में डाला गया है. बेनगाजी से मिलने वाली खबरों में कहा गया है कि यह अशांति फेथी तारबेल नाम के एक मानवाधिकार कार्यकर्ता की गिरफ्तारी से भड़की है.

बताया जाता है कि तारबेल त्रिपोली की बदनाम अबु सलीम जेल में बंद लोगों के परिवारों के साथ काम कर रहे थे. इस जेल में ज्यादातर सरकार विरोधियों और इस्लामी उग्रवादियों को रखा गया है. इसी जेल में 1996 में हिंसा हुई जिसमें एक हजार कैदी मारे गए.

मंगलवार की रात सैंकड़ों लोगों ने स्थानीय सरकारी कार्यालय की तरफ मार्च किया और तारबेल की रिहाई की मांग की. बताया जाता है कि अधिकारी उनकी रिहाई के लिए सहमत हो गए लेकिन फिर भी प्रदर्शनकारियों ने शहर के शजारा चौक की तरफ रुख किया.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः एस गौड़

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