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लीबिया पर नाटो का जख्म जल्द नहीं भरेगाः जैकब जूमा

१२ दिसम्बर २०११

लीबिया के नाटो अभियान ने उसे ऐसा जख्म दिया है जिसे भरने में लंबा समय लगेगा. दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति जैकब जूमा ने यह बात कही है. इस इस बीच लीबिया के नेताओं ने संयुक्त राष्ट्र से जब्त पैसों को छोड़ने की मांग की है.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

जैकब जूमा अफ्रीकी यूनियन के उस उच्चस्तरीय पैनल का हिस्सा हैं जिसने लीबिया में युद्धविराम कराने की नाकाम कोशिश की थी. जूमा ने लीबिया के मामले में कुछ पश्चिमी देशों की नीतियों की आलोचना की है. एक दिन के दौरे पर नाईजीरिया आए जूमा ने कहा, "जिस तरह से लीबिया के साथ कुछ देशों ने व्यवहार किया है उससे गहरा जख्म लगा है और इसे भरने में काफी वक्त लगेगा. विकसित देशों का अपना एजेंडा है और उन्होंने लीबिया के उचित लोकतांत्रिक विरोध का अपहरण कर उसे सत्ता परिवर्तन कराने के एजेंडे में बदल दिया."

तस्वीर: picture alliance / dpa

दक्षिण अफ्रीका ने भी संयुक्त राष्ट्र में लीबिया पर नो फ्लाई जोन लागू करने के प्रस्ताव के समर्थन में वोट दिया था. बाद में जूमा ने नाटो पर आरोप लगाया कि वो अपने प्रस्ताव से आगे निकल कर हवाई हमले कर रहा है जिनका मकसद नागरिकों की रक्षा और अफ्रीकी यूनियन की शांति समझौते की कोशिशों को रोकना है. जूमा ने कहा लीबीया पर, "नागरिकों की रक्षा करने के नाम पर बम बरसाए जाते रहे और फिर उसके नेता की हत्या कर दी गई. न तो उन्हें गिरफ्तार किया गया और न ही कोर्ट में ले जाया गया या फिर मुकदमा चला, अगर उन्होंने कोई जुर्म किया हो तो. यह केवल अफ्रीका में ही हो सकता है, दुनिया में और कहीं नहीं. इसलिए हम सभी अफ्रीकावासियों से एकजुट रहने की अपील करते हैं."

तस्वीर: picture alliance/landov

जूमा का कहना है कि अफ्रीकी यूनियन के अगले महीने होने जा रहे सम्मेलन में, "लीबिया के सवाल पर गंभीरता से चर्चा होगी और हमें इस देश को सामान्य स्थिति तक लाने में मदद करनी है."

इस बीच लीबिया के नए नेतृत्व ने संयुक्त राष्ट्र से पत्र लिख कर कहा है कि देश में गृह युद्ध को खत्म हुए तीन महीने बीत चुके हैं लेकिन जब्त किया गया पैसा अभी भी मुक्त नहीं किया गया है. लीबिया के केंद्रीय बैंक के प्रमुख ने यह जानकारी दी है. फरवरी में जब कर्नल गद्दाफी के खिलाफ देश में विद्रोह शुरू हुए तभी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने लीबिया की संपत्तियों को सील कर दिया. एक अनुमान के मुताबिक यह रकम करीब 150 अरब अमेरिकी डॉलर है. इस रकाम का ज्यादातर हिस्सा अभी भी लीबिया के नए नेताओं की पहुंच से दूर है.

तस्वीर: DW

पैसा हाथ में आने की देरी से लीबिया के भीतर निराशा बढ़ रही है. यहां अतरिम सरकार का कहना है कि उसे नकद पैसों की तुरंत जरूरत है जिससे कि सरकारी कर्मचारियों को वेतन दिया जा सके और सरकारी संस्थाओं के पुनर्निर्माण का काम शुरू हो. केंद्रीय बैंक के गवर्नर सादिक ओमर अलकाबेर समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि संयुक्त राष्ट्र को भेजे इस पत्र में सदस्य देशों को यह भरोसा दिया गया है कि लीबिया का नया नेतृत्व एक है और उस पर नकद पैसों के सही इस्तेमाल के लिए भरोसा किया जा सकता है. इस पत्र पर गवर्नर के साथ ही नेशनल ट्रांजिशनल काउंसिल के चेयरमैन अब्देल जलील, अंतरिम प्रधानमंत्री अब्दुर्रहीम एल कीब और वित्त मंत्री हस जिंगलाम ने दस्तखत किए हैं.

लीबिया की संपत्ति को सील करना गद्दाफी प्रशासन पर उन प्रतिबंधों का हिस्सा था जो नागरिकों पर हमले रोकने के उद्देश्य से संयुक्त राष्ट्र ने लगाए. कर्नल गद्दाफी की 42 साल पुरानी सत्ता अगस्त में त्रिपोली से उनकी फौजों के भागने के बाद खत्म हो गई और लीबिया में अंतिम लड़ाई भी अक्टूबर में गद्दाफी की मौत के साथ खत्म हतो गई. दुनिया के ताकतवर देशों में से ज्यादातर ने नेशनल ट्रांजिशनल काउंसिल यानी एनटीसी को जायज प्रतिनिधी मान लिया है.

हालांकि इसके बाद भी नवंबर के आखिर तक जब्त किए गए 150 अरब अमेरिकी डॉलर में से केवल 18 अरब अमेरिकी डॉलर की रकम ही एनटीसी को मुहैया कराई गई. राजनयिकों का कहना है कि उन्हें इस बात की भी चिंता है कि लीबियाई सरकार की बजाय गद्दाफी या उनका परिवार इस संपत्ति का कानूनी हकदार भी हो सकता है. इसके साथ ही बिना चुनाव के एनटीसी की वैधता पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं. लीबिया अपने खर्चे के लिए पर्याप्त रकम तेल बेच कर हासिल कर सकता है लेकिन फिलहाल अशांति की वजह से यह रुका हुआ है और इसे दोबारा बहाल करने में वक्त लगा रहा है.

रिपोर्टः एएफपी,रॉयटर्स/एन रंजन

संपादनः मानसी गोपालाकृष्णन

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