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लीबिया पर हमले में नाटो के हाथ पैर ठंडे

१४ अप्रैल २०११

बर्लिन में नाटो विदेश मंत्रियों की बैठक में ब्रिटेन और फ्रांस की ओर से लीबिया पर हवाई हमले में बाकी देशों की शिरकत बढ़ाने की मांग पर कोई खास उत्साह नहीं दिखाया जा रहा है.

तस्वीर: dapd

बैठक में अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने कहा कि लीबियाई नेता मुअम्मर अल गद्दाफी के खिलाफ नाटो की एकता और दृढ़निश्चयता बनाए रखना बेहद जरूरी है. लेकिन उन्होंने इस सिलसिले में कोई संकेत नहीं दिया कि अमेरिका फिर से हवाई हमले में भाग ले सकता है. इस वक्त मुख्यतः ब्रिटेन, फ्रांस और डेनमार्क की ओर से ये हवाई हमले किये जा रहे हैं. फ्रांस के रक्षा मंत्री जेरार लॉन्गे ने बैठक से पहले कहा था कि टैंकों और तोपखानों पर हवाई हमले में अमेरिका की भागीदारी के बिना विद्रोहियों पर गद्दाफी की सेना के हमलों को रोका नहीं जा सकेगा.

तस्वीर: AP

सैन्य सूत्रों के अनुसार हवाई हमलों के लिए प्रतिदिन लगभग 10 युद्धक विमानों की कमी महसूस की जा रही है. इसके अलावा सैन्य ठिकानों को ध्वस्त करने के लिए नीची उड़ान भरने वाले ए-10 युद्धक विमानों की जरूरत है, जो नाटो के यूरोपीय सदस्यों के पास नहीं है. टैंकों और तोपखानों की मदद से लीबिया के संघर्ष में गद्दाफी का वर्चस्व बना हुआ है.

लेकिन खासकर स्पेन और इटली की ओर से इस सिलसिले में कोई उत्साह नहीं दिखाया जा रहा है. स्पेन के त्रिनिदाद खिमेनेज ने कहा है कि उनका देश शुरू में ही तय कर चुका था कि वह संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध को लागू करने के लिए अपने जहाजों और हवाई जहाजों को मुहैया कराएगा. उन्होंने कहा कि यही स्पेन का योगदान है और बना रहेगा.

इटली का कहना है कि वह लीबियाई विद्रोहियों की मदद के लिये तैयार है. लेकिन लीबिया में अपने औपनिवेशिक अतीत के चलते वह संयम बरतना चाहता है. फासीवाद के दौर में लीबिया पर ढाये गये जुल्मों के लिए इटली लीबिया से माफी मांग चुका है.

तस्वीर: dapd

अमेरिकी सूत्रों का कहना है कि बर्लिन की इस बैठक में मुख्य विषय यह तय करना है कि लीबिया में नाटो का सैन्य लक्ष्य क्या है. अब तक प्राप्त संकेतों से नहीं लग रहा है कि अमेरिका ऐसे लक्ष्यों को हासिल करने के लिए बहुत अधिक सक्रिय होना चाहता है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/उभ

संपादन: वी कुमार

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