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लेकिन फिर भी नहीं थम रहे रेप

प्रभाकर२९ अप्रैल २०१६

भारत में बलात्कार के मामलों पर व्यापक बहस और सख्त कानूनों के बावजूद रेप के मामले कम नहीं हो रहे. सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए सेल फोन में पैनिक बटन लगाने का फैसला लिया है.

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तस्वीर: Reuters/Anindito Mukherjee

भारत में 2015 के दौरान रेप के 32 हजार से ज्यादा मामले दर्ज किए गए. यह आंकड़ा सरकारी है. इन आंकड़ों से साफ है कि दिसंबर 2012 में दिल्ली में हुए निर्भया कांड के बाद सरकार के तमाम दावों और कानूनों में संशोधन के बावजूद तस्वीर का रुख ज्यादा नहीं बदला है. अब रेप के बढ़ते मामलों पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने तमाम मोबाइल फोन निर्माताओं को अगले साल जनवरी से मोबाइल सेट में एक पैनिक बटन लगाने का निर्देश दिया है ताकि मुसीबत में फंसी महिलाएं मदद की गुहार लगा सकें.

सरकारी आंकड़ा

सरकार ने कहा है कि 2015 के दौरान पूरे देश में रेप के 32,077 मामले दर्ज किए गए. इनमें से लगभग 17 सौ मामले गैंगरेप के थे. केंद्रीय गृह राज्य मंत्री हरिभाई पारथीभाई चौधरी ने नेशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के हवाले राज्यसभा में ये जानकारी दी. यह आंकड़ा उन मामलों पर आधारित है जो पुलिस तक पहुंचे. लेकिन भारत में अब भी लोक-लाज, सामाजिक दबाव और अभियुक्तों की दबंगई के चलते आधे से ज्यादा मामले पुलिस तक नहीं पहुंच पाते.

अभियुक्तों के खिलाफ तेज कार्रवाईतस्वीर: Reuters

खासकर ग्रामीण इलाकों में बहुत कम मामलों में ही रिपोर्ट दर्ज कराई जाती है. ऐसे में असली स्थिति का अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है. यह हालत तब है कि जबकि दिसंबर, 2012 में दिल्ली में एक छात्रा के साथ चलती बस में गैंगरेप की घटना ने पूरी दुनिया में सुर्खियां बटोरी थीं. उसके बाद सरकार ने कानून में कई संशोधन किए. लेकिन बावजूद उसके ऐसे मामले लगातार बढ़ रहे हैं.

निर्भया कांड के बाद बढ़े सुरक्षा उपायों के बावजूद आखिर रेप के मामले घटने की बजाय बढ़ क्यों रहे हैं? गैर-सरकारी संगठनों का कहना है कि देश की जटिल न्याय प्रणाली की वजह से लंबे खिंचते मामले और ज्यादातर मामलों में सबूतों के अभाव में अभियुक्तों का बरी हो जाना इसकी प्रमुख वजह है. रेप के मामलों में अभियुक्तों को सजा मिलने का राष्ट्रीय औसत 28 फीसदी है लेकिन राजधानी दिल्ली में यह दर महज 17 फीसदी है. इससे अपराधियों के हौसले बुलंद रहते हैं. पूर्व एडिशनल सॉलीसिटर जनरल इंदिरा जयसिंग कहती हैं, "ऐसे मामलों की पुलिसिया जांच ठीक से नहीं होना पीड़ितों को न्याय नहीं मिल पाने की सबसे बड़ी वजह है. जांच के दौरान हुई खामियों के चलते अभियुक्त अक्सर अदालत से बेदाग छूट जाते हैं."

महिला पुलिसकर्मियों की भर्तीतस्वीर: Conway/AFP/Getty Images

पैनिक बटन

रेप के बढ़ते मामलों को ध्यान में रख कर केंद्र सरकार ने अब मोबाइल निर्माताओं को भारत में बिकने वाले मोबाइल फोनों में पैनिक बटन लगाने का निर्देश दिया है. यह नियम अगले साल जनवरी से लागू होगा. केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री रविशंकर प्रसाद बताते हैं, "कम कीमत वाले फोन में पांच या नौ का बटन और स्मार्टफोन में तीन बार पावर बटन दबाकर पैनिक बटन को सक्रिय किया जा सकता है. इससे पीड़िता के परिजनों, मित्र या पुलिस को संकेत मिल जाएगा." सुरक्षा को और अचूक बनाने के लिए 2018 से सभी मोबाइल सेट्स में जीपीएस होना भी अनिवार्य होगा ताकि जगह का पता लगाया जा सके.

छेड़छाड़ रोकने के लिए तकनीक का इस्तेमालतस्वीर: Murali Krishnan

इससे पहले भी स्मार्टफोन में मुसीबत के समय सहायता के लिए कुछ नए एप्स लगाए गए थे. लेकिन केंद्रीय महिला व बाल कल्याण मंत्री मेनका गांधी का कहना था कि एक पैनिक बटन से महिलाओं को काफी सहूलियत होगी. सरकार की दलील है कि मुसीबत की घड़ी में महिला के पास मदद की गुहार लगाने के लिए एक या दो सेकेंड से ज्यादा समय नहीं होता. ऐसे में पैनिक बटन ही बेहतर विकल्प है. मेनका कहती हैं, "मोबाइल में पैनिक बटन होने की स्थिति में देश में महिला सुरक्षा का परिदृश्य काफी बदल जाएगा. इससे जहां महिलाएं खुद को सुरक्षित महसूस करेंगी वहीं अपराधी भी किसी महिला पर हमला करने से पहले कई बार सोचेंगे." सरकार ने पूरे देश के लिए एक सेंट्रलाइज्ड इमरजेंसी काल सिस्टम शुरू करने का भी फैसला किया है. यह नया नेशनल इमरजेंसी नंबर (112) निकट भविष्य में काम करने लगेगा.

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