नेपाल में तीन हफ्तों से लॉकडाउन लगा है, सड़कें खाली हैं और बंदर समझ नहीं पा रहे हैं कि खाना देने वाले इंसान अचानक कहां गायब हो गए हैं. यही हाल रहा तो काठमांडू के बंदर भूखे मर जाएंगे.
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नेपाल की राजधानी काठमांडू में पिछले सालों में आबादी के बढ़ने से जानवरों का प्राकृतिक आवास भले ही छिनता रहा हो लेकिन इस बढ़ती आबादी ने इन जानवरों के और खास कर बंदरों के खाने पीने का इंतजाम जरूर किया हुआ था. अक्सर मंदिरों के बाहर बैठे इन बंदरों को आते जाते लोग फल खिला जाते थे. लेकिन इन दिनों ना ही कहीं फल दिख रहे हैं और ना फलों को खिलाने वाले लोग. ऐसे में बंदरों ने मंदिरों पर हमला बोल दिया है. जहां से जो मिल जाए वह खाने के लिए जमा कर रहे हैं. आसपास के जंगलों में भी खाने का सामान खोज रहे हैं.
शोवा बजराचार्य पिछले तीन सालों से स्वयंभूनाथ मंदिर में बंदरों को खाना खिला रही हैं. समाचार एजेंसी डीपीए से बात करते हुए उन्होंने कहा, "बंदरों को खाना नहीं मिल पा रहा है क्योंकि अब एक आध लोग ही बाहर आते हैं." इस मुश्किल हालात में भी शोवा अपने भाई के साथ मिल कर हर रोज पांच किलो खाना बंदरों तक पहुंचा रही हैं. लेकिन इतने खाने में ज्यादा से ज्यादा 500 बंदरों का पेट भरा जा सकता है, जबकि काठमांडू में करीब 1,400 बंदर रहते हैं. ये ज्यादातर मंदिरों के इर्द गिर्द ही दिखते हैं. अकेले पशुपतिनाथ मंदिर के पास ही करीब 500 बंदर रहते हैं. यहां एक बंदर के पेड़ की छाल खाने वाली तस्वीर हाल में काफी देखी गई. लॉकडाउन के बाद से यहां ऐसी वारदातें भी देखी जा रही हैं जब बंदरों ने किसी राहगीर का बैग छीन लिया हो या दुकानों में घुस कर खाना चुराया हो.
कोरोना की जद में कौन कौन से जीव
हाल के शोध में पता चला है कि नेवला और बिल्ली प्रजाति के जीव कोरोना वायरस से संक्रमित हो सकते हैं. दोनों ही वायरस को आगे भी फैला सकते हैं.
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कौन कौन सी प्रजातियां मुश्किल में
चीन के हार्बिन वेटेरिनैरी रिसर्च इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों के शोध में इस बात की पुष्टि हुई कि बिल्ली प्रजाति के जीव कोविड-19 को आगे फैला सकते हैं. यह शोध पत्र 31 मार्च को साइंटिफिक जर्नल में प्रकाशित हुआ है.
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घबराने की जरूरत नहीं
लेकिन बिल्ली पालने वालों को डरने की जरूरत नहीं है. बिल्लियां बहुत तेजी से कोविड-19 के खिलाफ एंटीबॉडी बना लेती हैं और उनमें यह संक्रमण ज्यादा दिन तक नहीं टिकता है. लेकिन बुजुर्गों को इस वक्त बिल्लियों से दूर रहना चाहिए. स्वस्थ लोगों को भी बिल्ली को दुलारने के बाद हाथ अच्छे से धोने की सलाह दी गई है.
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सुरक्षित हैं कुत्ते
हांग कांग में एक कुत्ते के कोविड-19 से संक्रमित होने के बावजूद चिंता की बात नहीं है. वैज्ञानिकों के मुताबिक कोविड-19 कु्त्ते के शरीर में अपनी संख्या नहीं बढ़ा पाता है. इसीलिए कुत्ते के साथ खेलने में कोई परेशानी नहीं हैं.
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कौन किसे इंफेक्ट कर रहा है?
इटली की राजधानी रोम में घूमने का आनंद ले रहा यह एक पालतू सुअर हैं. कोरोना वायरस के दौर में सूअर और कुत्ते को एक दूसरे से डरने की जरूरत नहीं है. पशु विज्ञानियों के मुताबिक सूअर के शरीर में भी कोरोना वायरस के लिए कोई कमजोर कोना नहीं है.
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मुसटेलेडाई प्रजाति मुश्किल में
नेवला, बिज्जू और गिलहरी जैसे मुसटेलेडाई प्रजाति के जीवों में भी कोविड-19 वायरस अपनी संख्या बढ़ाता है. इन जीवों के श्वसन तंत्र से छोटी छोटी बूंदों के जरिए यह वायरस फैलता है. बिल्लियों और नेवलों के गले से लिए गए नमूनों में इसका सबूत भी मिला. लेकिन दोनों ही प्रजातियों में इंफेक्शन फेफड़ों तक नहीं पहुंचा.
वुहान के बाजार में फिर से मुर्गियां बिकने लगी हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक मुर्गियों से इंसान को कोई खतरा नहीं है. वुहान के ही वाइल्ड एनिमल मीट मार्केट में दिसंबर 2019 में पहली बार कोविड-19 सामने आया. मुर्गी, बत्तख और अन्य पक्षी इस वायरस से सुरक्षित हैं.
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इंसान ही खतरा बना
कोविड-19 के मामले में तो अब इंसान ही जानवरों के लिए बड़ा खतरा बन गया है. न्यूयॉर्क के ब्रांक्स जू में एक बाघिन इंसान के चलते कोविड-19 से संक्रमित हुई. नेशनल जियोग्राफिक पत्रिका से बात करते हुए जू के मुख्य चिकित्सक ने इसे इंसान से जंगली जानवर में इंफेक्शन का पहला मामला बताया.
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चमगादड़ों पर गलत आरोप?
अभी तक यही कहा जाता है कि कोविड-19 वायरस चमगादड़ों में होता है. लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि वायरस की चमगादड़ से इंसान तक की यात्रा के बीच में और भी कुछ जीव शामिल हुए हैं. हो सकता है कि ये बिल्लियां हों या नेवले या बिज्जू.
नेपाल में 24 मार्च से लॉकडाउन लगा है. अभी तक वहां कोरोना संक्रमण के नौ मामले सामने आए हैं. लॉकडाउन के बीच बिना अनुमति के घर से बाहर निकलने पर एक महीने जेल जी सजा हो सकती है. अधिकार समूहों का कहना है कि लॉकडाउन का असर देश भर में हर किसी पर हो रहा है लेकिन आवारा जानवरों के लिए यह बेहद बुरा साबित हो रहा है. एनीमल नेपाल की राधा गुरुंग का कहना है, "नेपाल को हजारों आवारा जानवरों जैसे कुत्ते, बिल्ली, गाय और इंसानों पर निर्भर करने वाले जंगली बंदरों और पक्षियों की सुरक्षा की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. इनके लिए खाने का स्रोत रेस्तरां या राहगीर ही थे जो कि अब हैं ही नहीं." उन्होंने बताया कि आवारा जानवरों के अलावा घोड़ों, गधों और खच्चरों पर भी इसका असर हुआ है क्योंकि आम तौर पर दिहाड़ी मजदूर इस तरह के जानवरों का इस्तेमाल करते हैं.
इसके विपरीत वन्य जीव विज्ञानी मुकेश चालीसे का कहना है कि यह एक अच्छा मौका है बंदरों को सिखाने का कि उन्हें प्राकृतिक रूप से अपना खाना कैसे तलाशना है. मुकेश जंगली जानवरों के जीवन में इंसानी हस्तक्षेप के खिलाफ हैं. वे कहते हैं, "हमारे पास एक जंगल में 450 बंदर हैं जबकि वहां जगह सिर्फ 50 की है. इसलिए क्योंकि यहां इन्हें आसानी से जंक फूड मिल जाता है. इससे उनकी सेहत, उर्वरता और जीवन प्रत्याशा पर भी असर पड़ता है. जब गैरजरूरी इंसानी हस्तक्षेप नहीं होगा तो बंदर खाने और जीने के लिए कुदरत की ओर लौटना सीख सकेंगे."
दुनिया भर में कोरोना वायरस ने इंसानी गतिविधियों पर ब्रेक लगाकर कुदरत को बड़ा आराम पहुंचाया है. देखिए प्रकृति और उसके दूसरे बाशिंदे कैसे इस शांति का आनंद ले रहे हैं.
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साफ होती गंगा
भारत में लॉकडाउन के चलते जैसे व्यावसायिक और आम गतिविधियां बंद हुईं, वैसे ही गंगा नदी के पानी की क्वालिटी सुधरने लगी. आईआईटी बनारस में कैमिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर डॉ. पीके मिश्रा के मुताबिक गंगा में 40-50 फीसदी सुधार आया है.
तस्वीर: DW/R. Sharma
बेखौफ घूमते पशु पक्षी
भारत समेत कुछ और देशों से वन्य जीवों के शहर के बीचोंबीच टहलने की तस्वीरें आ रही हैं. उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में हाथी घूमता दिखाई पड़ा. राज्य के शहरी इलाकों में बाघ और हिरणों के आवाजाही भी रिकॉर्ड हो रही है. यहां ब्रसेल्स में बतखों का एक झुंड शहर में दीख रहा है.
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हिमालय का साफ दीदार
भारत और नेपाल के कई शहरों में हवा की क्वालिटी में बहुत जबरदस्त सुधार आया है. दिल्ली और काठमांडू जैसे महानगर लंबे वक्त बाद इतनी साफ हवा देख रहे हैं. भारत के जालंधर शहर की तरह नेपाल की राजधानी काठमांडू से भी अब हिमालय साफ दिखने लगा है.
तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/N. Maharjan
शांति और साफ पानी
करोड़ों सैलानियों की मेजबानी की थकान इटली के मशहूर शहर वेनिस पर दिखाई पड़ती थी. शहर की सुंदरता के साथ साथ गंदा पानी और क्रूज शिपों का प्रदूषण वेनिस की पहचान से बन गए थे. लेकिन अब वेनिस आराम कर रहा है. लॉकडाउन की वजह से वेनिस के पानी में पहली बार मछलियां साफ दिख रही हैं.
तस्वीर: Reuters/M. Silvestri
बेखौफ बकरियां
ब्रिटेन के एक तटीय कस्बे लियांडुंडो में कभी कभार कश्मीरी बकरियां गुजरती हुई दिख जाती हैं. लेकिन जिस आजादी के साथ ये बकरियां इन दिनों चहलक़दमी करती हैं, वैसा पहले नहीं देखा गया. निडर होकर बकरियां जो चाहे वो चरते हुए आगे बढ़ती हैं.
तस्वीर: Getty Images/C. Furlong
झगड़ा करते भूखे बंदर
थाईलैंड के लोपबुरी में इन दिनों बंदरों की अशांति हावी है. स्थानीय मीडिया के मुताबिक पर्यटकों की कमी के चलते बंदरों को पर्याप्त खाना नहीं मिल पा रहा है. बंदरों के कई झुंड भोजन के लिए आपस में खूब झगड़ रहे हैं.
तस्वीर: Reuters/Soe Zeya Tun
CO2 उत्सर्जन में बड़ी गिरावट
विकसित औद्योगिक देश जर्मनी में भी इन दिनों गजब की शांति है. सड़कों पर बहुत कम कारें, आसमान में इक्का दुक्का हवाई जहाज और फैक्ट्रियों में भी बहुत ही कम काम. एक अनुमान के मुताबिक अगर उत्सर्जन का स्तर इतना ही रहा तो जर्मनी 2020 के लिए तय जलवायु परिवर्तन संबंधी लक्ष्य हासिल कर लेगा.
तस्वीर: Reuters/Soe Zeya Tun
कुछ ही दिनों की शांति
कई देशों में आर्थिक गतिविधियां भले ही थमी हों, लेकिन चीन में फिर से कारखाने सक्रिय होने लगे हैं. देश के कई इलाकों में लोग काम पर लौट रहे हैं. यह तस्वीर पूर्वी चीन के आनहुई शहर में स्थित एक बैटरी फैक्ट्री की है. लॉकडाउन के दौरान चीन में भी हवा की क्वालिटी काफी बेहतर हुई.