'लोकतंत्र नहीं अल क़ायदा का सफ़ाया है लक्ष्य'
१६ नवम्बर २००९अमेरिका के एक टीवी चैनल से बातचीत में हिलेरी क्लिंटन ने कहा," उनका लक्ष्य अल क़ायदा को हराना है. जब से राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अफ़गानिस्तान में और अमेरिकी सैनिकों को भेजने के की बात कही थी तब से ही यह अमेरिका का एक स्पष्ट लक्ष्य रहा है." पूर्व बुश प्रशासन की नीति के से हटकर ओबामा प्रशासन अपनी प्राथमिकता स्पष्ट करता दिखाई दे रहा है.
राष्ट्रपति ओबामा को एक बार फिर से अफ़गानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों की संख्या बढ़ाने के मुद्दे पर फ़ैसला लेना है और इस अहम फ़ैसले से कुछ दिन पहले हिलेरी क्लिंटन ने हामिद करज़ई पर दबाव बढ़ाना भी शुरू कर दिया है.
अफ़गान सरकार में कथित रूप से व्याप्त भ्रष्टाचार पर क्लिंटन ने निशाना साधा और कहा कि अफ़गानिस्तान में जो पैसा मदद के लिए भेजा जा रहा है उसका इस्तेमाल अपने फ़ायदे के लिए करने वाले लोगों के ख़िलाफ़ कार्रवाई होनी चाहिए. ऐसा करने वाले लोगों की पहचान होनी चाहिए और उनके ख़िलाफ़ बेहिचक कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए.
अमेरिका चाहता है कि हामिद करज़ई एक अपराध ट्राइब्यूनल बनाए और एक भ्रष्टाचार विरोधी आयोग की स्थापना करें. अमेरिका ने चेता दिया है कि भविष्य में मदद के लिए ज़रूरी है कि अफ़गानिस्तान में विकास में तेज़ी आए. अफ़गानिस्तान में अमेरिका के राजदूत कार्ल आइकेनबेरी ने भी एक टेलीग्राम में राष्ट्रपति ओबामा से अनुरोध किया था अफ़गानिस्तान में सैनिकों की संख्या बढ़ाने से पहले हामिद करज़ई सरकार को भ्रष्टाचार के मोर्चे पर लड़ाई में प्रगति दिखानी होगी.
अफ़गानिस्तान के एटॉर्नी जनरल कह चुके हैं कि भ्रष्ट मंत्रियों के ख़िलाफ़ सुनवाई के लिए एक कोर्ट का गठन किया जाएगा साथ ही करज़ई भी पश्चिमी देशों से आग्रह कर रहे हैं कि भ्रष्टाचार पर लगाम कसने के लिए उन्हें भी अफ़गान सरकार का साथ देना चाहिए.
बुश प्रशासन की नीति से अलग करते हुए क्लिंटन ने साफ़ तौर पर कहा कि ओबामा प्रशासन की नीति दुनिया के अशांत क्षेत्रों में लोकतंत्र की स्थापना करना नहीं है. क्लिंटन के मुताबिक़ वो दिन बीत गए जब नेता टीवी पर आकर कहते थे कि वे लोकतंत्र की स्थापना में मदद करेंगे और मुश्किलों में घिरे देश की ख़ुशहाली के लिए हर संभव प्रयास करेंगे. क्लिंटन ने कहा कि वो भी किया जा सकता है लेकिन फ़िलहाल उनकी प्राथमिकता अमेरिकी की सुरक्षा सुनिश्चित करना है.
अफ़गानिस्तान में अमेरिकी जनरल स्टेनली मैकक्रिस्टल चाहते हैं कि वहां 40 हज़ार से ज़्यादा अमेरिकी सैनिकों को भेजा जाए और अगर ऐसा नहीं होता तो अफ़गानिस्तान में अमेरिकी मिशन विफल हो सकता है. अफ़गानिस्तान में अमेरिकी सैनिक लगातार मारे जा रहे हैं जिसके चलते ओबामा पर जनता का दबाव पड़ रहा है. इसी वजह से वह इस मुद्दे पर फ़ैसला करने में समय ले रहे हैं. माना जा रहा है कि एशियाई देशों के दौरे से लौटने के बाद इस संबंध में घोषणा हो सकती है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: ए जमाल