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लोकपाल बिल का पेश होना पक्का, पास होने में संशय

१८ दिसम्बर २०११

भारतीय संसद के शीतकालीन सत्र का आखिरी हफ्ता शुरू हो रहा है और सरकार के माथे पर लोकपाल बिल चिंता की लकीरें खींच रही है. प्रधानमंत्री ने पेश करने की तो पुष्टि कर दी है पर क्या इतनी जल्दी पास हो पाएगा बिल.

तस्वीर: AP

सत्ता के गलियारों में सरगर्मी तेज हो गई है. कैबिनेट बैठक कर आने वाले हफ्ते की रुपरेखा बनाने में जुटी है. उनकी पल पल की गतिविधि पर अन्ना हजारे और उनकी टीम की नजर है और उधर विपक्षी दल इन दोनों के बीच कहीं अपनी भूमिका तय करने की कोशिश में हैं. अन्ना हजारे ने तो पहले ही चेतावनी दे रखी है कि अगर इस सत्र में बिल पास नहीं हुआ तो वह 27 दिसंबर से आमरण अनशन पर बैठ जाएंगे. जानकारों का मानना है कि पिछले अनुभव ने सरकार को कुछ तो समझ दे ही दी है. सरकार न तो उन्हें हल्के में लेना चाहती है न सिर पर बैठाना चाहती है.

तस्वीर: AP

अपना दामन बचाने की जुगत में कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने पत्रकारों से कहा, "सरकार केवल संसद में बिल पेश कर सकती है. कोई सरकार इसके पास होने की गारंटी नहीं दे सकती. देखते हैं कि आने वाले हफ्ते में क्या होता है." सिंघवी से पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह साफ कर चुके हैं कि सरकार बिल को पास कराने की पूरी कोशिश करेगी. साथ ही उन्होंने यह भी कह दिया कि बिल को लेकर सरकार की प्राथमिकता में कोई संदेह नहीं होना चाहिए. हालांकि इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि संसद में बिल का क्या होगा इस पर कुछ नहीं कहा जा सकता.

सिंघवी लोकपाल पर बनाई गई संसद की स्थायी समिति के चेयरमैन भी हैं. सिंघवी ने सरकार और अन्ना की रस्साकसी के बीच हजारे की आलोचना करने से भी गुरेज नहीं किया. उन्होंने टीम अन्ना के बारे में कहा," उन लोगों को अपने भाषण और व्यवहार में ज्यादा समानता रखनी चाहिए. सभी नेताओं को बार बार गुंडा कहना और राजनीति पार्टियों या संसदीय समिति के सुझावों को बेकार कहने से मजबूत लोकपाल बिल नहीं बन जाएगा." कांग्रेस प्रवक्ता ने यह भी कहा, "लोकतंत्र और गांधीवाद दोनों अहिंसा को सिर्फ हरकतों में ही नहीं बल्कि बोली में भी अपनाने की बात करते हैं."

तस्वीर: AP

उधर प्रमुख विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने अपनी तरफ से यह साफ किया है कि टीम अन्ना को लोकपाल बिल के अलग अलग पहलुओं पर अपनी राय देने और आवाज उठाने का पूरा हक है लेकिन कानून पर अंतिम फैसला संसद ही करेगी. अहमदाबाद में पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा, "इसमें कोई दो राय नहीं है कि अंतिम बिल संसद ही तय करेगी कोई और नहीं. यह संसद को तय करना है कि लोकपाल बिल को क्या रूप दिया जाए." आडवाणी ने इस दौरान इस बात पर भी जोर दिया कि बीजेपी एक मजबूत और कारगर लोकपाल चाहती है और इसके लिए वह संसद में पूरी तरह से सहयोग करने को तैयार है. उन्होंने यह भी बताया कि बीजेपी ने सर्वदलीय बैठक में यह साफ कर दिया है कि वह लोकपाल को किस रूप में लागू करना चाहती है. आडवाणी ने कहा कि बीजेपी ने टीम अन्ना के साथ भी बात की है और उन्होंने बिल की कुछ कमियों की ओर उन्हें ध्यान दिलाया है. स्थानीय मीडिया में इस तरह की खबरें आ रही हैं कि सरकार ने टीम अन्ना की ज्यादातर बातें मान ली हैं हालांकि सीबीआई को अभी भी लोकपाल के दायरे से बाहर रखा गया है जिसे अन्ना हजारे उचित नहीं मान रहे.

रिपोर्टः पीटीआई, डीपीए/एन रंजन

संपादनः ओ सिंह

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