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लोकपाल समिति की बैठक आज

२० जून २०११

केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों और सिविल सोसाइटी के बीच बरकरार मतभेदों के बीच लोकपाल बिल के मसौदे के लिए बनाई गई समिति की आज बैठक होने जा रही है. कांग्रेस और अन्ना हजारे के संबंध काफी खट्टे हो चुके हैं.

तस्वीर: dapd

भ्रष्टाचार के खिलाफ लाए जाने वाले लोकपाल बिल के मसौदे को 30 जून तक पेश किया जाना है. मसौदे को लेकर अब तक लोकपाल बिल मसौदा समिति की आठ बैठकें भी हो चुकी हैं, लेकिन मतभेद बरकरार हैं. बहिष्कारों और आरोप प्रत्यारोपों के बीच कांग्रेस साफ कर चुकी हैं कि प्रधानमंत्री को लोकपाल बिल के दायरे से बाहर रखा जाएगा.

मसौदे के लिए बनाई गई समिति में शामिल सिविल सोसाइटी की मांग है कि विधेयक के दायरे में प्रधानमंत्री को भी लाया कांग्रेस प्रधानमंत्री और पूर्व प्रधानमंत्री को भी लोकपाल की सीमा से परे रखना चाहती है.

अन्ना बनाम सरकारतस्वीर: UNI

सिविल सोसाइटी की अगुवाई करने वाले गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे चाहते हैं कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लाए जाने वाले लोकपाल बिल के दायरे में पीएम और उच्च न्यायपालिका भी आए. बिल के लिए बनाई गई संयुक्त समिति की बैठकें सोमवार और मंगलवार को हैं.

इसके विरोध में केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल कहते हैं, "सरकार के भीतर ही, हम नहीं चाहते कि पीएम को लोकपाल बिल के दायरे में लाया जाए. लेकिन साथ ही हम यह भी चाहते हैं कि अगर वह (प्रधानमंत्री) पद की मर्यादा को हानि पहुंचाते हैं तो उन्हें अभियोग से दोषमुक्त न किया जाए."

लोकपाल बिल को लेकर छिड़े आंदोलन के बाद कांग्रेस अब अन्ना हजारे पर भी निशाना साध रही है. पार्टी लोकतंत्र का हवाला देकर सर्वदलीय बैठक बुलाने की भी तैयारी कर रही हैं. रविवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अन्ना हजारे के खत का रुखे ढंग से जवाब दिया.

पत्र में सोनिया ने लिखा, "नौ जून 2009 को लिखा आपका पत्र मुझे प्राप्त हुआ. दिल्ली से बाहर होने के चलते मैं आपके पत्र का उत्तर नहीं दे पाई. इस बीच, आपने उसे पत्र को सार्वजनिक कर दिया. मैं इस संबंध में जानकारी लूंगी. जहां तक उसमें उठाए गए दूसरे मुद्दों का सवाल है मैं अपना दृष्टिकोण अपने 19 अप्रैल 2011 के पत्र में पहले ही स्पष्ट कर चुकी हूं.’’ इसके बाद दोनों पक्षों में तल्खी और बढ़ गई है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह

संपादन: उभ

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