लोगों की लापरवाही से भारत में गहराई तक घुसता कोरोना
२७ मार्च २०२०![Indien Hyderabad Ausgangssperre wegen Coronavirus](https://static.dw.com/image/52877334_800.webp)
पूरे देश में तालाबंदी लागू होने से पहले कुछ राज्य सरकारों को मजबूर हो कर अपने अपने राज्यों में तालाबंदी करनी पड़ी थी. ऐसा इसलिए करना पड़ा था क्योंकि कई लोग प्रशासन और विशेषज्ञों के कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के सुझावों को नहीं मान रहे थे. वे पहले की तरह इधर उधर जा रहे थे, लोगों से मिल रहे थे और यह मान के चल रहे थे कि ऐसा करने से उन्हें संक्रमण नहीं लगेगा.
एक-एक व्यक्ति कितनों को संक्रमित कर सकता है यह धीरे-धीरे अब सामने आ रहा है. पंजाब में संक्रमण के कुल 33 मामले सामने आए हैं और अब बताया जा रहा है कि इनमें से कम से कम 23 मामले एक ही व्यक्ति से जुड़े हुए हैं. यह व्यक्ति एक गुरुद्वारे में कार्य करने वाला एक 70 वर्षीय ग्रंथी था जो छह मार्च को अपने दो सहयोगियों के साथ जर्मनी और इटली के दो सप्ताह के दौरे से लौट कर दिल्ली आया था.
दिल्ली से वह सीधा पंजाब चला गया और खुद को क्वारंटीन करने की हिदायत का पूरी तरह से उल्लंघन करते हुए अगले कुछ दिनों तक कई जगहों पर गया और कई लोगों से मिला. दिल्ली लौटने के कुछ दिनों बाद की गई जांच में जब उसे कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया तब तक वह अकेले लगभग 100 लोगों से मिल चुका था. उसके दोनों सहयोगी और भी कई लोगों से मिले थे और खुद उसके परिवार के सदस्य उससे संपर्क में आने के बाद और बीसियों लोगों से मिले थे. इस व्यक्ति का 18 मार्च को निधन हो गया लेकिन ये अपने पीछे ना जाने कितने संक्रमित लोगों की एक चेन छोड़ गया है. 14 मामले तो खुद उसके परिवार में ही हैं.
अब अधिकारी नवांशहर, मोहाली, अमृतसर, होशियारपुर और जालंधर में एक गांव से दूसरे गांव जा कर इन तीनों के संपर्क में आए एक एक व्यक्ति की तलाश कर रहे हैं. अभी तक कम से कम 15 गांव सील कर दिए गए हैं.
दिल्ली के 42 संक्रमण के मामलों में भी कम से कम एक ऐसा मामला सामने आया है जिस से संभव है कई लोगों तक संक्रमण का जोखिम फैला हो. हालांकि यह मामला लापरवाही का नहीं बल्कि अनजाने में हुई गलती का लग रहा है. दिल्ली सरकार के स्वास्थ्यकर्मी इस समय लगभग उन सभी 3000 लोगों पर निगरानी रख रहे हैं जो इन 42 संक्रमित व्यक्तियों से संपर्क में आए. इन 3000 लोगों में अधिकतर लोग सिर्फ एक संक्रमित व्यक्ति की संपर्क श्रृंखला का हिस्सा हैं.
ये संक्रमित व्यक्ति एक 38 वर्षीय महिला है जो पूर्वी दिल्ली के दिलशाद गार्डन इलाके की रहने वाली है और वो 10 मार्च को सऊदी अरब की यात्रा करके दिल्ली वापस लौटी थी. 18 मार्च को इसे संक्रमित पाया गया और जब स्वास्थ्यकर्मियों ने उन सब का पता लगाना शुरू किया जिन से वह संपर्क में आई थी तो आस पास के 470 घरों में रहने वाले 1200 लोगों का पता चला और इन सब को खुद को अपने घर में क्वारंटीन कर लेने के लिए कहा गया. इस महिला से संपर्क में आने के बाद इसकी मां, भाई, दो और रिश्तेदार और एक मित्र भी संक्रमित हो गए. लेकिन कहानी यहां रुकी नहीं.
यह महिला 12 मार्च को मौजपुर के मोहल्ला क्लिनिक भी गई थी और वहां उस से संपर्क में आने के बाद खुद क्लिनिक के 49-वर्षीय डॉक्टर को संक्रमण हो गया. लेकिन इसकी जानकारी 21 मार्च को मिली और तब तक डॉक्टर खुद ना जाने कितने लोगों से संपर्क में आ चुका था. अब उसकी पत्नी और बेटी को भी संक्रमित पाया गया है और 12 मार्च से 18 मार्च के बीच क्लिनिक पर आए हर व्यक्ति को खुद को क्वारंटीन करने को कह दिया गया है. अभी तक ऐसे 1,169 लोगों का पता चला है और इन्हें 14 दिनों तक खुद को क्वारंटीन करने को कहा गया है. डॉक्टर इस अवधि में पुरानी सीमापुरी में अपने निजी क्लिनिक में भी कुछ मरीजों से मिले थे. उनमें से भी 30-40 लोग क्वारंटीन में हैं.
ये दो मामले दर्शाते हैं कि मार्च की शुरुआत में जब कोविड-19 भारत में फैलना शुरू हुआ था उसी समय हवाई अड्डों पर ही और कड़ी निगरानी, परिक्षण और वहीं से क्वारंटीन में भेजने के इंतजाम करने की कितनी आवश्यकता थी. हवाई अड्डों से बड़े आराम से निकल कर बाद में संक्रमित पाए जाने वाले लोग और खुद को क्वारंटीन करने के निर्देशों की धज्जियां उड़ा देने वाले लोगों की ना जाने ऐसी कितनी कहानियां है.
केंद्र सरकार के लिए संक्रमित व्यक्तियों के डाटा का विश्लेषण करने वाले एक सूत्र ने डॉयचे वेले को बताया कि किसी भी एक शहर के डाटा का अध्ययन कर के पता चलता है कि अभी तक हर संक्रमित व्यक्ति हर रोज औसतन 300 लोगों से संपर्क में आया है. यह आंकड़ा दर्शाता है कि इस समय संक्रमण के रोकथाम के लिए सरकार की एजेंसियों के आगे चुनौती कितनी बड़ी है.
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