सीरिया में रह रहे एक जर्मन सलाफी ने जर्मनी पर हमले की अपील की है. जिहादी इस्लामी राज्य की पैरवी करने वाले समर्थकों के यूरोप लौटने की योजना से यहां भारी चिंता है.
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इस युवा ने एक वीडियो जारी कर गानों के जरिए धमकियां दी हैं. जिहादी गुट इस्लामिक स्टेट (आईएस) ने ये वीडियो इंटरनेट पर अपलोड किया है. संदेश है, जो भी इस्लाम के प्रति प्रतिबद्ध नहीं होगा और उसके कानून को नहीं मानेगा, उसे सजा दी जाएगी. इस वीडियो में आईएस का चेहरा 27 साल का एक जर्मन युवक है. पूर्वी राज्य सेक्सनी में पैदा हुए सिल्वियो पहले तो एसेन शहर में गैरकानूनी सलाफी संगठन मिलातू इब्राहीम से जुड़ा और फिर सोलिंगन शहर की शाखा के साथ जुड़ गया.
बताया जाता है कि अभी वह सीरिया में है और पश्चिम में रहने वाले मुसलमानों से उसने हथियारबद्ध संघर्ष में साथ आने की अपील की है ताकि खिलाफत स्थापित किया जा सके. बर्लिन में अंतरराष्ट्रीय और सुरक्षा मामलों के जर्मन संस्थान (एसडबल्यूपी) में आतंकवाद विशेषज्ञ गिडो श्टाइनबर्ग कहते हैं, "वह जिहादियों का स्टार है, जर्मनी में उसे पांच से दस हजार सलाफी सुनते हैं." बताया जाता है कि वह खतरनाक है और उसके स्वभाव का अनुमान नहीं लगाया जा सकता. वह एक बार चांसलर अंगेला मैर्केल की हत्या की भी धमकी दे चुका है.
गृह मंत्रालय की पुष्टी
सिल्वियो के. के समर्थकों की बड़ी संख्या को देखते हुए सुरक्षा अधिकारी जर्मनी पर हमले की धमकी को गंभीरता से ले रहे हैं. बहुत लक्षित और सुनियोजित हमले की सूचना है. राइनलैंड पेलेटिनेट में अमेरिकी एटम बम के स्टोरेज वाला बुशेल एयर बेस हमले का लक्ष्य है. यहां करीब 20 परमाणु हथियार हैं.
गंभीर खतरा
2011 में जब से सीरिया में गृह युद्ध शुरू हुआ है, जर्मनी से करीब 320 जिहादी वहां गए हैं. यह संख्या पिछले साल से तेजी से बढ़ी है.
जर्मनी की घरेलू खुफिया सेवा के प्रमुख हंस गेऑर्ग मासेन के मुताबिक ब्रसेल्स में हुए हमले एक ठोस संकेत है कि सीरियाई लड़ाकों का लौटना यूरोपीय समस्या हो गई है और यूरोपीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ी चुनौती. साथ ही उन्होंने कहा कि अधिकारियों को सिर्फ जांच में शामिल लोगों पर ही ध्यान नहीं देना चाहिए. अगस्त की शुरुआत में बवेरिया प्रांत के खुफिया अधिकारियों ने एक महिला की गिरफ्तारी की, जो सीरिया लौटी थी. वहां उसने असद सरकार के खिलाफ इस्लामिक संघर्ष में हिस्सा लिया था. लड़ाई में वह अपने दो बच्चों को भी ले गई थी.
सबसे बड़े संघर्ष
दुनिया भर में पिछले साल करीब 400 संघर्ष चले जिनमें से 20 बड़े युद्ध हैं.
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शांति का नाम नहीं
चाहे धार्मिक कट्टरपंथ हो, या प्राकृतिक संसाधनों की तलाश या सिर्फ ताकत की भूख. हजारों साल से मनुष्य आपस में संघर्ष करते आ रहे हैं. 2013 में भी ऐसे ही हालात रहे. जर्मन शहर हाइडेलबर्ग की एक संस्था ने संघर्ष मापने का तरीका (कॉन्फ्लिक्ट बैरोमीट) निकाला है.
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कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य
कीवू में सेना ने एम23 विद्रोहियों के खिलाफ लड़ाई की. सरकार के साथ समझौते के बाद विद्रोही आपस में बंट गए. 2013 में सरकार ने विद्रोहियों पर विजयी होने का एलान किया. एम23 अब राजनीतिक स्तर पर काम करना चाहता है.
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माली
पश्चिम अफ्रीका के इस देश में इस्लामी कट्टरपंथी सत्ता हड़पने की कोशिश कर रहे हैं. 2012 में उन्होंने देश का काफी हिस्सा अपने कब्जे में कर लिया. फ्रांस ने माली की सरकार की मदद करने अपने सैनिक भेजे और इस्लामी कट्टरपंथियों पर हावी हुए. संयुक्त राष्ट्र के सैनिक अब वहां शांति कायम करने पहुंचे हैं.
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नाइजीरिया
इस्लामी आतंकवादी गुट बोको हराम नाइजीरिया में शरीया कानून लागू करना चाहता है. इस मकसद को पाने के लिए वह ईसाइयों और उदारवादी मुसलमानों पर हमला करता है. इस तस्वीर में ईसाई समुदाय के लोग एक हमले के बाद अपने रिश्तेदारों के लिए कब्र खोद रहे हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
सूडान
दस साल से अफ्रीका के अलग अलग नस्ल दारफूर इलाके में सरकार के खिलाफ लड़ रहे हैं. लड़ाई पानी और जमीन को लेकर है. लाखों की मौत हो गई है और उतने ही लोग बेघर हैं.
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अफगानिस्तान
नाटो ने स्थानीय सेना को नियंत्रण सौंप दिया है लेकिन अफगानिस्तान में संघर्ष जारी है. तालिबान और इस्लामी गुटों के विद्रोही सरकार पर हमला करते हैं. 2013 में 2000 से ज्यादा आम लोग इन हमलों में मारे गए.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
मेक्सिको
ड्रग्स, मानव तस्करी और स्मगलिंग. मेक्सिको में माफिया इसी से पैसे कमाती है. अपना इलाका सुरक्षित करने के लिए गैंग एक दूसरे से लड़ते हैं. हर हफ्ते मुठभेड़ होती हैं. पिछले साल करीब 17,000 लोग ऐसे हादसों में मारे गए.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
सीरिया
गृह युद्ध का यह चौथा साल है. सीरिया सरकारी सैनिकों, विपक्ष और इस्लामी कट्टरपंथी गुटों के बीच बंट गया है. अब तक करीब एक लाख लोग संघर्ष में अपनी जान खो बैठे हैं.
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फिलिपींस
40 साल से फिलिपींस के दक्षिण में मोरो समुदाय के लोग आजादी के लिए लड़ रहे हैं. कुछ दिनों की शांति के बाद 2013 में संघर्ष दोबारा शुरू हुआ. मोरो विद्रोही संगठन एमएनएलएफ ने देश के दक्षिण में द्वीपों को आजाद घोषित कर दिया. सेना और विद्रोहियों की लड़ाई के बीच फंसे एक लाख से ज्यादा लोगों को इलाका छोड़कर भागना पड़ा.
तस्वीर: Reuters
सोमालिया
सरकार और अल शबाब विद्रोहियों के बीच लड़ाई पिछले आठ साल से चल रही है. संयुक्त राष्ट्र और अफ्रीकी संघ के सैनिकों की मदद से इस्लामी कट्टपंथियों को काबू में रखा गया है लेकिन अल शबाब के लड़ाके अब भी देश के दक्षिणी हिस्से में कब्जा किए हुए हैं.
तस्वीर: Mohamed Abdiwahab/AFP/Getty Images
दक्षिण सूडान
नए देश के गठन होने के तीन साल बाद भी दक्षिण सूडान में शांति स्थापित नहीं हो पाई है.