जब अदालत की सुरक्षा भी जान बचा ना सके
५ मार्च २०२१![India: Women protest against violence Women wear blindfold and apply red color during a demonstration to protest agains](https://static.dw.com/image/51897743_800.webp)
यह अपने आप में चिंताजनक है कि भारत के कई हिस्सों में आज भी ऐसी रूढ़िवादी सोच जिंदा है जो लोगों से अपनी ही बेटियों की हत्या करवाती है. लेकिन जब इसमें पुलिस जैसी संस्थाओं की मिली-भगत भी जुड़ जाती है, तो स्थिति और ज्यादा चिंताजनक हो जाती है. राजस्थान के दौसा में कुछ ऐसा ही हुआ है. शंकर लाल सैनी ने बुधवार 3 मार्च को खुद जा कर पुलिस को बताया कि उन्होंने अपने हाथों से ही अपनी 18 साल की बेटी पिंकी का गला घोंट दिया.
उनकी समझ के मुताबिक उनकी बेटी का गुनाह यह था कि उसने उसके परिवार द्वारा कराई गई उसकी शादी को मंजूर नहीं किया और अपने दलित प्रेमी के साथ रहने चली गई. लेकिन पिंकी और उनके प्रेमी रोशन महावर के वकीलों की मानें तो यह त्रासदी यहीं तक सीमित नहीं है. रोशन और उनके वकीलों का आरोप है कि पिंकी की हत्या पुलिस की लापरवाही की वजह से हुई.
दोनों प्रेमियों को राजस्थान हाई कोर्ट ने साथ रहने की अनुमति दी थी और पुलिस को उनकी सुरक्षा करने का आदेश दिया था. रोशन के परिवार ने इस मामले में जो एफआईआर दर्ज कराई है उसमें उन्होंने दावा किया है कि वो और पिंकी रोशन के घर पर थे जब पिंकी के पिता उनके परिवार के कई सदस्यों और 15-20 दूसरे लोगों के साथ आए, रोशन के परिवार वालों को जाति सूचक अपशब्द कहे, उनके घर में तोड़फोड़ की, 1. 25 लाख रुपए भी लूटे और पिंकी को जबरदस्ती ले गए.
पुलिस को चेताया था
रोशन ने इंडियन एक्सप्रेस अखबार को बताया कि पिंकी के परिवार ने कई बार उन दोनों को जान से मार देने की धमकी दी थी. उनका कहना है कि पिंकी का परिवार उनसे पूछता था कि कोली जाति से होने के बावजूद रोशन ने उनकी माली जाति (ओबीसी) के परिवार की लड़की के बारे में सपने देखने की भी हिम्मत कैसे की. रोशन ने बताया कि उन्हें पहले से डर था कि पिंकी का परिवार उसकी हत्या कर देगा और जब वो लोग पिंकी को जबरन ले गए तब उन्होंने पुलिस को इस बारे में चेताया था.
लेकिन उनका आरोप है कि पुलिस ने उनकी बात नहीं सुनी और कहा कि पिंकी का परिवार ही तो है जो उसे ले गया है. पुलिस ने उन्हें यह भी कहा कि वो पिंकी को अगली सुनवाई के दिन अदालत में ले आएंगे. पुलिस ने कहा है कि वो पिंकी को ढूंढ ही रहे थे तब तक उनके पिता ने पुलिस स्टेशन में आकर कबूला कि उन्होंने उसकी हत्या कर दी है. पुलिस इसके बाद उनके घर गई जहां से पिंकी का शव बरामद किया गया.
पुलिस पर आरोप
रोशन सवाल उठा रहे हैं कि पिंकी अगर दौसा में ही अपने माता-पिता के घर पर थी, तो पुलिस कैसे तीन दिनों तक उन्हें ढूंढ नहीं पाई और कैसे अंत में उसी के घर से उसकी लाश मिली? दौसा के पुलिस अधीक्षक अनिल कुमार ने रोशन के आरोपों का खंडन किया है. दौसा के सर्किल अधिकारी दीपक कुमार का कहना है कि पुलिस को इस बात की जानकारी नहीं थी की अदालत ने रोशन और पिंकी को सुरक्षा देने का आदेश दिया था.
उन्होंने कहा कि अदालत का आदेश आधिकारिक तरीके से पुलिस तक पहुंचा ही नहीं था. रोशन का कहना है कि अब उन्हें भी जान से मार दिए जाने का खतरा है. राजस्थान के ऐक्टिविस्ट और मानवाधिकार संगठन रोशन की हिफाजत सुनिश्चित करने और पुलिस की लापरवाही के खिलाफ कड़े कदम उठाए जाने की मांग कर रहे हैं.
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