भारत का पड़ोसी देश नेपाल, चीन के "वन बेल्ट, वन रोड" प्रोजेक्ट में शामिल हुआ. बीजिंग की यह सड़क भारत के सारे पड़ोसी देशों तक जाएगी.
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बीजिंग में दो दिन के क्षेत्रीय सम्मेलन से पहले नेपाल इस प्रोजेक्ट में शामिल हुआ है. काठमांडू में नेपाल के विदेश सचिव शंकर दास बैरागी और नेपाल में चीन के राजदूत यू होंग ने 'वन बेल्ट, वन रोड' समझौते पर हस्ताक्षर किये.
समझौते के तहत दोनों देश आर्थिक, पर्यावरण और तकनीक के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाएंगे. नेपाल के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा, "इसके तहत संपर्क के क्षेत्र में भी सहयोग बढ़ाया जाएगा. ट्रांजिट, लॉजिस्टिक सिस्टम, ट्रांसपोर्ट नेटवर्क और रेलवे, रोड और हवाई सेवाओं के क्षेत्र में भी आधारभूत संरचना का विकास किया जाएगा." चीन पावर ग्रिड बनाने और इंफॉर्मेशन एंड कम्युनिकेशन सेवाओं को बेहतर करने में भी नेपाल की मदद करेगा.
दुनिया को जोड़ता चीन का रेल नेटवर्क
रेल तकनीक के मामले में भी चीन दुनिया की सबसे बड़ी ताकत बनकर उभरा है. भारत से बहुत पीछे रहने के बावजूद उसने ऐसी कामयाबी पाई कि अब दुनिया में चीन के रेल नेटवर्क का बोलबाला है. एक नजर चीन के ग्लोबल रेल नेटवर्क पर.
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तंजानिया-जाम्बिया रेल नेटवर्क
ताजारा कहा जाने वाले इस प्रोजेक्ट के जरिये 1976 में चीन ने पूर्वी अफ्रीका को मध्य और दक्षिणी अफ्रीका से जोड़ा. 1,860 किलोमीटर लंबे नेटवर्क को खड़ा करने के लिए चीन ने 50,000 कामगारों की मदद ली. पूरी योजना चीन की ही आर्थिक मदद से चली.
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तिब्बत तक
एक जुलाई 2006 के दिन तिब्बत की राजधानी ल्हासा तक ट्रेन पहुंचाकर विश्व को हैरान कर दिया. ट्रेन में खुद तत्कालीन चीनी राष्ट्रपति हू जिंताओ भी सवार थे. समुद्र से 5,027 मीटर की ऊंचाई पर बना यह दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे नेटवर्क है.
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जर्मनी तक
अक्टूबर 2013 में चीन की मालगाड़ी, ट्रांस साइबेरियन रूट का इस्तेमाल करते हुए 9,820 किलोमीटर का सफर कर जर्मनी के पोर्ट शहर हैम्बर्ग पहुंची. उस वक्त यह रिकॉर्ड था. इस तरह चीन ने अपने हार्बिन शहर को जर्मनी के कारोबारी शहर हैम्बर्ग से जोड़ा.
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तुर्की में
जनवरी 2014 में चीन ने तुर्की में हाई स्पीड रेलवे नेटवर्क का काम पूरा कर दिया. अब इंस्ताबुल और अंकारा के बीच हाई स्पीड ट्रेनें चलती हैं.
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स्पेन तक
दिसंबर 2014 में चीन की 82 बोगियों वाली मालगाड़ी स्पेन की राजधानी मैड्रिड पहुंची. 18 नंबवर को यिवु शहर से चली यह मालगाड़ी 13,000 किलोमीटर लंबा सफर कर 9 दिसंबर को मैड्रिड पहुंची. ट्रेन, रूस, जर्मनी और फ्रांस समेत 8 देशों को पार करते हुए गई. आज चीन और यूरोप के बीच नियमित रूप से मालगाड़ियां आती जाती हैं.
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म्यामांर तक
2015 में चीन ने म्यामांर की राजधानी यांगोन और कुनमिंग शहर को रेल सेवा से जोड़ने का काम शुरू किया. प्रोजेक्ट 2020 में पूरा होगा. 1,920 किलोमीटर लंबे इस रास्ते पर 140 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से ट्रेनें चलेंगी.
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अंगोला में
2015 में चीन ने अंगोला में 1,344 किलोमीटर का रेल नेटवर्क तैयार कर चालू कर दिया. चाइना रेल कंस्ट्रक्शन कारपोरेशन द्वारा बनाया गया यह रेल ढांचा देश का सबसे अहम आर्थिक गलियारा है.
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तेहरान तक
15 फरवरी 2016 को 32 बोगियों वाली चीनी मालगाड़ी ईरान की राजधानी तेहरान पहुंची. मालगाड़ी झेंगजियांग प्रांत से कजाखस्तान और तुर्कमेनिस्तान होते हुए ईरान पहुंची.
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फिर से सिल्क रूट का सफर
तेहरान तक ट्रेन पहुंचाकर चीन ने सैकड़ों साल पुराने सिल्क रूट के पैदल रास्ते को फिर से जीवित कर दिया.
नाइजीरिया में
जुलाई 2016 में चीन की मदद से बने रेल नेटवर्क पर नाइजीरिया में पहली ट्रेन चली. ट्रेन में खुद नाइजीरिया के राष्ट्रपति सवार थे. 186 किलोमीटर लंबा ट्रैक राजधानी अबूजा को काडुना शहर से जोड़ता है. ट्रैक की उच्चतम रफ्तार 150 किलोमीटर प्रतिघंटा है.
तस्वीर: picture-alliance/dpaMarthe van der Wolf
अफगानिस्तान तक
सितंबर 2016 में चीन ने अफगानिस्तान को जोड़ने वाले रेलवे ट्रैक का काम खत्म कर वहां भी मालगाड़ी पहुंचा दी.
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अदिस अबाबा-जिबूती रेल नेटवर्क
अफ्रीका के पांच देशों में भी चीन का रेल नेटवर्क है. अक्टूबर 2016 में अदिस अबाबा-जिबूती में चीन ने 120 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार वाला 752.7 किलोमीटर लंबा ट्रैक बना दिया. चीन इथियोपिया की राजधानी अदिस अबाबा में मेट्रो रेल नेटवर्क शुरू भी कर चुका है.
तस्वीर: picture-alliance/dpaMarthe van der Wolf
पाकिस्तान तक
दिसंबर 2016 में चीन ने पाकिस्तान के सबसे बड़े शहर कराची तक मालगाड़ी पहुंचा दी. मालगाड़ी पर 500 टन माल लदा था. ट्रेन के जरिये कुनमिंग से कराची तक परिवहन का खर्चा 50 फीसदी घट जाएगा. ट्रेन नियमित रूप से चलेगी.
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मोम्बासा-नैरोबी ट्रैक
चीन ने केन्या में 480 किलोमीटर लंबा रेल नेटवर्क बनाया है. इसका काम 2014 में शुरू हुआ था. 2,935 किलोमीटर लंबा ट्रैक राजधानी नैरोबी से मोम्बासा के बीच है. इस ट्रैक पर यात्री ट्रेनें 120 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से चल सकती हैं. देर सबेर इस ट्रैक के जरिये यूगांडा, रवांडा, बुरुंडी और साउथ सूडान को जोड़ा जाएगा.
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नेपाल तक
चीन अब नेपाल तक रेल नेटवर्क का विस्तार करना चाहता है. नेपाल और चीन के बीच इस मसले पर बातचीत भी हो रही है. चीन चाहता है कि वह काठमांडू होते हुए पोखरा और लुम्बिनी तक रेल पहुंचाये. चीन नेपाल को तिब्बत से भी जोड़ना चाहता है.
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भारत तक
चीन चाहता था कि तिब्बत व नेपाल को जोड़ने वाले रेलवे ट्रैक से भारत भी जुड़े. ऐसा हुआ तो भारत का रेल नेटवर्क भी ग्लोबल नेटवर्क से जुड़ जाएगा. बीजिंग की कोशिश है कि तिब्बत को भारत, चीन और नेपाल के बीच व्यापारिक केंद्र की तरह इस्तेमाल किया जाए. हालांकि भारत ने अभी तक इस नेटवर्क के बारे में कोई स्पष्ट संकेत नहीं दिया है.
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चीन के वन बेल्ट, वन रोड प्रोजेक्ट को न्यू सिल्क रूट भी कहा जा रहा है. इसके तहत बीजिंग एशिया, यूरोप, मध्य पूर्व और अफ्रीका के कई देशों को सड़क, रेल और बंदरगाहों के जरिये जोड़ना चाहता है.
नेपाल, बांग्लादेश के बाद चीन की इस परियोजना में शामिल होने वाला दक्षिण एशिया का दूसरा देश बना है. बांग्लादेश ने अक्टूबर 2016 में इस प्रोजेक्ट में शामिल होने का एलान किया था. माना जा रहा है कि बीजिंग में होने वाले क्षेत्रीय सम्मेलन के दौरान श्रीलंका भी वन बेल्ट, वन रोड प्रोजेक्ट से जुड़ सकता है.
दक्षिण एशिया में चीन की बढ़ती सक्रियता से भारत परेशान हो रहा है. पाकिस्तान को छोड़कर पारंपरिक रूप से दक्षिण एशिया के छोटे देश अब तक काफी हद तक भारत पर निर्भर रहते थे. बीच बीच में यह देश भारत पर दखल देने का आरोप भी लगाते रहे हैं. बांग्लादेश में जमात ए इस्लामी के सत्ता में आने पर भारत और बांग्लादेश के संबंध गड़बड़ा जाते हैं. वहीं श्रीलंका में लिट्टे की वजह से नई दिल्ली और कोलंबों के संबंध हिचकोले खा चुके हैं. नेपाल का मधेसी आंदोलन समय समय पर भारत की काठमांडू से दूरी बढ़ा देता है.
(सबसे बड़े इनवेस्टमंड फंड वाले देश)
सबसे बड़े इनवेस्टमंड फंड वाले देश
बहुत ज्यादा विदेशी मुद्रा कमाने वाले देश पैसे को सरकारी फंड्स के जरिये निवेश कर देते हैं. एक नजर सबसे ज्यादा पैसा निवेश करने वाले देशों पर.
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1. नॉर्वे- 885 अरब डॉलर
1990 से नॉर्वे की सरकार मुनाफे में हैं. तेल उद्योग से हुई आय के चलते सरकार के पास काफी पैसा आया. इस पैसे को वहां का केंद्रीय बैंक सरकारी पेंशन फंड के जरिये इस्तेमाल करता है. इस लिहाज से नॉर्वे का सेंट्रल बैंक दुनिया का सबसे अमीर बैंक है.
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2. चीन (सीआईसी)- 813.8 अरब डॉलर
चीन के पास चार निवेश फंड हैं. इनमें सबसे बड़ा है, चाइना इनवेस्टमेंट कॉर्पोरेशन (सीआईसी). इसकी संपत्ति 813.8 अरब डॉलर है. इस पैसे से सीआईसी देश के विदेशी मुद्रा कोष को मैनेज करता है. साथ ही यूरोप में गैस से लेकर रियल स्टेट तक में निवेश करता है.
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3. अबु धाबी- 792 अरब डॉलर
स्थापना के बाद बीते 40 साल से अबु धाबी लगातार तेल निर्यात से मुनाफे में है. अबु धाबी इनवेस्टमेंट अथॉरिटी की गिनती सबसे अमीर निवेशकों में होती है. इसकी संपत्ति में हांग कांग के लक्जरी होटल और लंदन का गेटविक एयरपोर्ट भी शामिल है.
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4. सऊदी अरब- 598.4 अरब डॉलर
तेल से हुई अकूत कमाई को सऊदी अरब ने सामा फॉरेन होल्डिंग में लगाया है. इस इनवेस्टमेंट फंड को सऊदी अरब का सेंट्रल बैंक चलाता है. फिलहाल रियाद की सरकारी कंपनी की कुछ हिस्सेदारी बेचने की बात चल रही है. अगर ऐसा हुआ तो सामा का कुल फंड 2,000 अरब डॉलर हो जाएगा.
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5. कुवैत- 592 अरब डॉलर
कुवैत इनवेस्टमेंट अथॉरिटी (KIA) दुनिया का सबसे पुराना इनवेस्टमेंट फंड है. KIA की स्थापना 1953 में हुई, इसकी आय तेल निर्यात से होती है. संस्था पर राजनीतिक असर नहीं के बराबर है. अथॉरिटी संपत्तियों का मूल्य बढ़ाने के लिए निवेश करती है.
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6. चीन (सेफ)- 474 अरब डॉलर
सेफ चीन का दूसरा बड़ा इनवेस्टमेंट फंड है. इसकी स्थापना कारोबार को मजबूत करने के लिए हुई थी. 2007 में इसे दो हिस्सों में बांट दिया गया. फिलहाल सेफ का अमेरिकी खजाने में बड़ा हिस्सा है. शेल और रियो टिंटो जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियों में भी इसकी हिस्सेदारी है.
दूसरे इनवेस्टमेंट फंड्स से अलग हांग कांग मॉनिटरी अथॉरिटी विदेशों में निवेश नहीं करती. इस फंड का इस्तेमाल घरेलू बाजार में स्थिर रखने के लिए किया जाता है. HKMA सिर्फ हांग सेंग स्टॉक मार्केट के जरिये कारोबार करती है.
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8 सिंगापुर- 350 अरब डॉलर
सिंगापुर के सरकारी फंड (GIC) की मौजूदा वैल्यू 350 अरब डॉलर है. लेकिन दूसरे सरकारी फंड्स की तरह इसके पास कोई संपत्ति नहीं है. GIC सरकार की तरफ से संपत्तियों का लेन देन करता है. फिलहाल इसका कारोबार 40 देशों में फैला है.
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9. कतर- 335 अरब डॉलर
बड़े पैमाने पर गैस बिक्री के चलते कतर की इनवेस्टमेंट एजेंसी ने 335 अरब डॉलर की संपत्ति जुटाई. कतर दुनिया में प्राकृतिक गैस का सबसे बड़ा उत्पादक है. देश के पास अभी अगले 138 साल का तक चलने वाला गैस भंडार है. इनवेस्टमेंट एजेंसी के पास विदेशों के निवेश का बांटने की चुनौती है.
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10. चीन (NSSF)- 236 अरब डॉलर
नेशनल सोशल सिक्योरिटी फंड भी चीन सरकार का ही है. बुजुर्ग होती जनसंख्या की हिफाजत करने के लिए इसे बनाया गया. 1970 के दशक में लागू की गई एक बच्चा नीति के चलते चीन को बुजुर्ग जनसंख्या की समस्या का सामना करना पड़ रहा है. बोर्ड ट्रस्टियों के मुताबिक इस फंड से बुजुर्गों की मदद की जाती है.