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वर्चस्व के लिए माओवाद का सहारा

३० अगस्त २०१३

चीन का नया राजनीतिक नेतृत्व राजनीति में माओवादी रुख अपना कर लोगों के दिल में नए वाम के लिए समर्थन जुटाने की कोशिश में है. दूसरी ओर आर्थिक सुधारों की भी भारी तैयारी चल रही है.

तस्वीर: picture-alliance/AP

बदनाम राजनेता बो शिलाई के खिलाफ सुनवाई पूरी हो चुकी है. चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) इस कोशिश में है कि देश के सबसे बड़े राजनीतिक विवाद को खत्म किया जा सके. जेल में सलाखों के पीछे बो शिलाई भी "नए वाम" के प्रतीकों में होंगे. हालांकि उनके नव माओवादी राजनीति की विरासत जारी रहेगी. बो के राजनीतिक विरोधी, पार्टी के नेता और मौजूदा राष्ट्रपति इसे आगे ले जाएंगे.

जर्मनी के ट्रियर यूनिवर्सिटी में चीन के विशेषज्ञ सेबास्टियान हाइलमन साम्यवादी नेतृत्व राजनीतिक एजेंडे को लागू करने के तरीकों में कुछ नया देख रहे हैं. उनके मुताबिक कई अपराधों में सजा का इंतजार कर रहे किसी शख्स के जरिए कल्पना को लागू किया जा रहा है, "बो शिलाई को उनके एजेंडे से अलग कर देखा जा रहा है." राजनीतिक जानकार चीन की राजनीति में माओवादी आवाज की बढ़ती गूंज को महसूस कर रहे हैं.

विली लैम चायनीज यूनिवर्सिटी ऑफ हांगकांग में प्रोफेसर हैं और फिलहाल शी जिनपिंग पर एक किताब पर काम कर हैं. पिछले नवंबर में पार्टी का प्रमुख नियुक्त होने के बाद से ही शी रुढ़िवादी राजनीतिक रुख अपना रहे हैं जिन्हें माओवादी माना जा सकता है. चीन के नए नेता माओ की विरासत का इस्तेमाल जिस तरह से कर रहे हैं वैसा 1976 में "ग्रेट चेयरमैन" की मौत के बाद किसी ने नहीं किया. शी माओ के स्मारकों पर गए, अपराध और माओ के नुकसानदेह राजनीतिक फैसलों से समझौते के खिलाफ बयान दिया और जून में माओ की याद में एक विशाल "सुधारवादी अभियान" की शुरुआत की जिसका लक्ष्य पार्टी की फिजूलखर्ची और भ्रष्टाचार को एक साल के भीतर खत्म करना है.

सात मनाही

लैम के मुताबिक पार्टी के नए नेतृत्व ने विचारधारा और मीडिया पर लगाम कस दी है. हांगकांग के पत्रकार इस मामले में डॉक्यूमेंट-9 का हवाला दे रहे हैं जो पार्टी में बांटी जा रही है और जिसमें खासतौर से विचारधारा को सात खतरों से आगाह किया गया है. ये ऐसे विषय हैं जिन पर स्कूल कॉलेजों में चर्चा नहीं होनी चाहिए. इनमें सामान्य अधिकार, नागरिक समुदाय, स्वतंत्र न्याय तंत्र और पार्टी से पहले हुई गलतियां शामिल हैं. सेबास्टियन को लगता है कि माओवादी विचारधारा की तरफ जाने का राजनीतिक मकसद है, "पार्टी नेतृत्व आबादी के वामपंथियों का समर्थन हासिल करना चाहता है."

बो पर सुनवाई के दौरान सख्त पहरा रहातस्वीर: Getty Images

हाइलमन का कहना है कि इन वामपंथी प्रवृत्तियां को चीन में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. सर्वे में पता चला है, "गुआंगदोंग राज्य के 38 फीसदी लोग वामपंथी हैं. सामाजिक बराबरी की जब बात आती है तो वो माओ के लिए भावुक भी हो जाते हैं."

गिरफ्तारियां

माओवाद का सिर्फ शोर ही नहीं हैं. शी के नेतृत्व वाली सरकार ने कई "विरोधियों" को जेल में भी डाल दिया है. इसमें कथित रूप से "संवैधानिकता" की मांग करने वाले गुट के नेता भी हैं, जो सरकार को सिद्धांतों पर बने रहने और चीनी संविधान में बनाए नियम के आधार पर कानून बनाने को कह रहे हैं.

अभियान यहीं नहीं रुका है. पार्टी के अधिकारियों से उनकी संपत्ति का एलान करने की मांग करने वाले नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं को भी सताया जा रहा है. शी ने भ्रष्टाचार से लड़ाई को अपनी शीर्ष प्राथमिकता बताया है लेकिन वह इसे हासिल करने के लिए पार्टी के तरीकों पर ही भरोसा कर रहे हैं. हाइलमन के मुताबिक इसके कारण पार्टी अपनी इस दुविधा से बाहर निकलने का रास्ता नहीं निकाल पा रही कि "सीपीसी को सबसे पहले खुद को नियंत्रित करना होगा."

दोहरा खेल

नई सरकार की आर्थिक सुधारों की योजना के बारे में संभावना है कि सीपीसी की केंद्रीय कमेटी के तीसरे अधिवेशन में इसका एलान होगा, जो सितंबर में होने वाला है. जानकार मान रहे हैं कि योजना में घरेलू उपभोग बढ़ाने, उद्यमों के लिए ज्यादा छूट देने और आर्थिक विकास को बनाए रखने पर जोर होगा. इन सबके ऊपर हाइलमन छोटे और मझौले निजी उद्योगों के लिए बढ़ावे की उम्मीद कर रहे हैं. उन्होंने मौजूदा विकास को "दोहरा खेल" कहा है. एक तरफ पार्टी आर्थिक सुधारों के लिए प्रतिबद्ध है तो दूसरी तरफ वह ताकत जुटाने के लिए वामपंथी नारों का सहारा ले रही है.

हालांकि लैम मानते हैं कि सीपीसी लंबे समय से संतुलन स्थापित करने की कोशिश कर रही है. उनके मुताबिक "डेंग शियाओपिंग के बाद से ही अर्थशास्त्र को राजनीति से अलग कर दिया गया है. अर्थव्यवस्था को कुछ हद तक नियमों से मुक्त किया जा सकता है जिससे कि बाजार की ताकतों को आने का रास्ता मिलेगा. हालांकि राजनीति और विचारधारा के मामले में कठोर नियंत्रण लगाए जा रहे हैं और विचारों की विविधता को सहन नहीं किया जा रहा है."

रिपोर्टः माथियास फॉन हाइन/एनआर

संपादनः महेश झा

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